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Jhalawar School Roof Collapses: 8000 government schools in Rajasthan dilapidated, school children in the shado
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Jhalawar School Roof Collapses: राजस्थान के 8000 सरकारी स्कूल जर्जर, डर के साये में स्कूली बच्चे!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Sun, 27 Jul 2025 04:10 AM IST
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसकी पोल झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे ने खोल दी है। इससे साबित हो गया है कि स्कूलों में बच्चों की जान भी सुरक्षित नहीं है। माता-पिता ने जब मासूमों का शव देखा तो उन पर कहर टूट पड़ा। एक साथ पढ़ने गए भाई-बहन भी अकाल मौत का ग्रास बन गए। उनके परिवारों का सब कुछ खत्म हो गया। पूरे गांव में हर कोई आंसू बहाते हुए सरकारी तंत्र को कोस रहा है। राज्य के सैकड़ों स्कूलों के संस्था प्रधान पिछले दो साल से विभाग से भवनों की मरम्मत के लिए बजट मांगते-मांगते थक गए, लेकिन सरकारी तंत्र पर कोई असर नहीं हुआ। प्रदेश में आठ हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां बारिश के दिनों छत टपक रही हैं। दीवारें जर्जर हैं और प्लास्टर उखड़ रहा है। कई जगह स्कूल छत को गिरने से बचाने के लिए लकड़ी के पट्टों का इस्तेमाल किया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने हाल ही आठ हजार स्कूलों का प्रस्ताव स्कूल शिक्षा परिषद को भेजा। इनमें से महज दो हजार स्कूलों का चयन कर इनमें मरम्मत के लिए 175 करोड़ प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया, लेकिन राशि अभी तक नहीं मिली।
हादसे के बाद विभाग की नींद खुली और आनन-फानन में हर जिले के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण कराने के लिए टीम दौड़ाई। सीएमओ के सख्त निर्देश के बाद विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों से जर्जर भवनों की एक बार फिर सूचना मंगवाई। इस बार केंद्र से सिर्फ नवीन भवनों का बजट मिला। इसके चलते सरकार ने पिछले बजट में 700 स्कूलों की मरम्मत की घोषणा की। इसके लिए 80 करोड़ जारी हो गए, जिनका कार्य चल रहा है। वहीं, हाल ही बजट में 175 करोड़ स्वीकृत किए गए। लेकिन बजट कम होने के कारण दो हजार स्कूलों को शामिल किया गया। करीब छह हजार स्कूल मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं। धनोप के जोरा का खेड़ा ग्राम स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवन की टूटी छत को बल्लियों के सहारे टीका रखी है। अभी तक छत की मरम्मत नहीं की गई है। छात्रों की जान को खतरा बना हुआ है।
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