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How did PM Modi's UK visit prove to be a gift for these small cities of Delhi-UP?
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पीएम मोदी का ब्रिटेन दौरा कैसे साबित हुआ दिल्ली-यूपी के इन छोटे शहरों के लिए सौगात?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 26 Jul 2025 01:25 PM IST
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement-FTA) ने देश के कई राज्यों और उनके प्रमुख शहरों को वैश्विक व्यापार में एक नई उड़ान देने का मौका दिया है। इस समझौते के बाद अब भारतीय वस्तुएं और सेवाएं ब्रिटिश बाजार में आसानी से और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर पहुंच सकेंगी। इससे भारत के निर्यातकों को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि स्थानीय उद्योगों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी।
शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय के सचिव सुनील बर्थवाल ने जानकारी दी कि भारत अब निर्यातकों के साथ मिलकर क्षमता विस्तार कार्यक्रम शुरू करेगा, ताकि इस अवसर का पूरा लाभ उठाया जा सके। उन्होंने कहा, “एफटीए से सबसे ज्यादा फायदा उन एमएसएमई यूनिट्स को होगा जो क्लस्टर रूप में काम कर रही हैं।”
भारत और ब्रिटेन ने इस समझौते में एक-दूसरे के हितों का पूरा ध्यान रखा है। भारत के लिए यह समझौता इसलिए अहम है क्योंकि अब कई वस्तुओं पर लगने वाला भारी आयात शुल्क या तो खत्म कर दिया गया है या काफी हद तक घटा दिया गया है। उदाहरण के तौर पर, प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स पर पहले 70% तक ड्यूटी लगती थी, जो अब शून्य हो गई है।
इसके अलावा, सीफूड, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल डिवाइस, टेक्सटाइल, चमड़ा, रत्न और आभूषण, फर्नीचर, और खेल सामग्री जैसे क्षेत्रों के लिए यूके में बड़ा बाजार खुला है। इससे न सिर्फ बड़े एक्सपोर्ट हब्स को फायदा मिलेगा, बल्कि छोटे शहरों और गांवों से जुड़े उद्योगों को भी सीधा लाभ होगा।
यह समझौता राज्यों के लिए क्यों खास है? क्योंकि हर राज्य की अपनी विशिष्टता होती है, और समझौते में इन क्षेत्रों को लक्ष्य बनाकर ब्रिटिश बाजार में स्थापित करने की रणनीति बनाई गई है।
उत्तर प्रदेश:
मुरादाबाद से पीतल, कानपुर से चमड़ा, नोएडा से वस्त्र। यूपी के छोटे शहरों की कारीगरी अब लंदन और बर्मिंघम के शो-रूम्स तक पहुंचेगी।
महाराष्ट्र:
पुणे और मुंबई की इंजीनियरिंग कंपनियां और फार्मा कंपनियां अब ब्रिटेन में और अधिक कॉम्पिटिटिव हो सकेंगी।
गुजरात:
सूरत और भरूच से केमिकल्स, राजकोट से इंजीनियरिंग सामान और वेरावल से सीफूड – गुजरात के एक्सपोर्ट को एक नई दिशा मिलेगी।
तमिलनाडु:
तिरुपुर, वेल्लोर और चेन्नई से वस्त्र, चमड़ा और इंजीनियरिंग उत्पाद अब तेजी से ब्रिटिश बाजार में पहुंचेंगे।
पंजाब और राजस्थान:
लुधियाना से टेक्सटाइल और जयपुर-जोधपुर से रत्न, आभूषण और हस्तशिल्प के लिए यूरोपीय ग्राहक पहले से ज्यादा आकर्षित होंगे।
केरल और आंध्र प्रदेश:
कोच्चि और विशाखापट्टनम से झींगा, टूना और मसालों के निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी की संभावना है।
इस समझौते की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसका सीधा लाभ भारत के लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) को मिलेगा। अब छोटे उद्योगों के लिए यूके जैसे बाजार में प्रवेश करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। उनके उत्पाद, जिन्हें कभी स्थानीय मंडियों से बाहर मौका नहीं मिलता था, अब ब्रिटेन की बड़ी रिटेल चेन तक पहुंच सकते हैं।
सरकार इसके लिए “एक्सपोर्ट क्लस्टर अपस्किलिंग” अभियान शुरू करेगी, ताकि छोटे व्यापारी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों को समझ सकें और गुणवत्ता बनाए रखकर व्यापार कर सकें।
वाणिज्य मंत्रालय ने साफ कहा है कि अब भारत को सिर्फ मात्रा नहीं, गुणवत्ता के बल पर आगे बढ़ना है। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र, प्रोडक्ट टेस्टिंग और प्रमाणीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है।
यह समझौता केवल निर्यात को बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के अंदर उद्योगों को मजबूत कर “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को भी साकार करेगा। जब देश के छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक के कारीगर और उद्यमी ब्रिटिश बाजार तक पहुंचेंगे, तब भारत की आत्मनिर्भरता भी मजबूत होगी और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।
भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता सिर्फ एक व्यापारिक समझौता नहीं, बल्कि छोटे उद्यमियों के लिए एक नया अंतरराष्ट्रीय अवसर है। यह देश के कोने-कोने में बसे हुनर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का माध्यम बन रहा है। अगर राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और उद्यमी एकजुट होकर इस अवसर को समझें और रणनीतिक तरीके से आगे बढ़ें, तो भारत की निर्यात कहानी नए आयाम छू सकती है।
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