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When will the plane crash victims get the bodies of their loved ones?
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विमान हादसे के पीड़ितों को कब मिलेगा उनके अपनों का शव?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 17 Jun 2025 01:08 PM IST
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12 जून की दोपहर का वक्त था। आसमान साफ था, रनवे पर चहल-पहल थी और एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 लंदन गैटविक के लिए तैयार थी। लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि महज कुछ मिनटों में ही ये उड़ान इतिहास के सबसे भयावह हादसों में दर्ज हो जाएगी। हादसे को अब कई दिन बीत चुके हैं, पर सवाल अभी भी वहीं खड़े हैं – आखिर ऐसा क्या हुआ जो भारत के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले विमानों में से एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पलभर में आग के गोले में तब्दील हो गया?
इस दर्दनाक हादसे में 242 यात्रियों में से सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा है। विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराया, जिससे वहां मौजूद कम से कम 30 और लोगों की जान चली गई। अब परिजन, जो हर दिन उम्मीदों के साथ अस्पतालों और शवगृहों का चक्कर लगा रहे हैं, उन्हें डीएनए रिपोर्ट का इंतजार और लंबा खींचता जा रहा है।
गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर, राजकोट, सूरत और वडोदरा की फोरेंसिक लैब्स के 54 विशेषज्ञ पिछले चार दिनों से लगातार काम कर रहे हैं। अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने जानकारी दी कि अब तक 119 पीड़ितों के डीएनए नमूने सफलतापूर्वक मैच हो चुके हैं, जिनमें से 76 शवों को परिजनों को सौंप दिया गया है। इसके अलावा 8 अन्य शव, जिनकी पहचान बिना डीएनए की ही हो सकी, शुक्रवार को सौंपे गए थे।
उन्होंने बताया कि मंगलवार शाम या बुधवार सुबह तक सभी पीड़ितों की डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी हो सकती है। इस प्रक्रिया में हो रही थोड़ी सी भी देरी पीड़ित परिवारों के लिए भावनात्मक रूप से बेहद कठिन साबित हो रही है।
इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया था। उनकी पहचान डीएनए मिलान के जरिए हुई और उनका सोमवार को राजकोट में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से आए 50 से अधिक परिजन अहमदाबाद में डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। डॉ. प्रतीक जोशी, उनकी पत्नी डॉ. कोमी व्यास और उनके तीन बच्चे – मिराया (8 वर्ष), नकुल और प्रद्युत (5 वर्षीय जुड़वां) – इस हादसे का शिकार हुए। कोमी के पिता अनिल व्यास ने कहा, “ये किसी डरावने सपने जैसा है। प्रतीक की पुष्टि हो गई है, लेकिन बाकी का इंतजार अभी भी बाकी है। अस्पताल प्रशासन ने कल तक रिपोर्ट देने का वादा किया है।”
यही स्थिति तमाम अन्य परिवारों की भी है, जो अपनों के अवशेषों की शिनाख्त के लिए किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
AI-171 दोपहर 1:38 बजे उड़ा था, लेकिन कुछ ही मिनटों में उसका लैंडिंग गियर खुला रह गया और विमान तेजी से नीचे आने लगा। हॉस्टल से टकराते ही विमान में मौजूद 1.25 लाख लीटर ईंधन ने आग को और भयावह बना दिया। चश्मदीदों ने बताया कि पूरा क्षेत्र एक जलते inferno में बदल गया था।
इस विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें सिर्फ एक यात्री चमत्कारिक रूप से जीवित बच पाया है, जो फिलहाल वेंटिलेटर पर है। अधिकारियों ने अभी तक उसकी पहचान उजागर नहीं की है, लेकिन मेडिकल टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है।
फिलहाल दुर्घटना की जांच का जिम्मा विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के पास है। हादसे के कारणों को लेकर अब तक कोई अंतिम रिपोर्ट सामने नहीं आई है। शुरुआती आशंकाएं तकनीकी खराबी और मानवीय भूल की ओर इशारा कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है।
परिजन, विशेषज्ञ और पूरा देश इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि क्या इस त्रासदी को टाला जा सकता था? क्या समय रहते चेतावनी मिल जाती, तो 242 जिंदगियां बच सकती थीं?
जब देश सवालों से घिरा हो, तब जवाब देना ज़रूरी होता है – ताकि कोई और प्रतीक, कोमी, मिराया, या रूपाणी यूं अचानक छिन न जाए।
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