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नीतीश से क्यों रूठे चिराग? BJP ने दिया ये ऑफर
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 16 Oct 2025 10:43 AM IST
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भीतर सीट बंटवारे का संकट गहराने लगा था। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि भाजपा के हस्तक्षेप के बाद माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है।
दरअसल, जदयू ने चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर सियासी हलचल बढ़ा दी थी। इससे पहले जो बढ़त राजग ने महागठबंधन से सीट बंटवारे की घोषणा कर हासिल की थी, वह सहयोगी दलों के बीच टकराव से कमजोर पड़ती दिखी।
स्थिति बिगड़ती देख भाजपा नेतृत्व सक्रिय हुआ।पार्टी ने ‘दोस्ताना संघर्ष’ से बचने के लिए लोजपा (आर) को 27 नई सीटों की सूची सौंपी है, जिनमें जदयू से टकराव वाली सीटें शामिल नहीं हैं। लोजपा सूत्रों के मुताबिक, नई सूची में सोनबरसा, मोरवा, एकमा, राजगीर, गायघाट, मटिहानी और अलौली जैसी सीटें नहीं हैं, जो पहले विवाद का कारण थीं। सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान नए प्रस्ताव से सहमत हैं और उन्होंने 14 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है।
भाजपा की कोशिश अब गठबंधन में “ऑल इज वेल” का माहौल बनाने और सीट बंटवारे के औपचारिक एलान से पहले सबको साथ लाने की है।
राजग में एकजुटता दिखाने के लिए बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से करीब 40 मिनट तक मुलाकात की।
पटना में राजग के भीतर सब कुछ ठीक नहीं होने का दावा करने वाले कुशवाहा ने बैठक के बाद कहा, “राजग में अब सब कुछ ठीक है। हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे।”
मालूम हो कि मंगलवार देर रात तक भाजपा के राज्यस्तरीय नेता कुशवाहा को मनाने में असफल रहे थे। अंततः दिल्ली से अमित शाह की एंट्री के बाद मामला सुलझा। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने कुशवाहा को राज्यसभा का एक और कार्यकाल देने और जीतन राम मांझी को विधान परिषद की सीट देने का वादा किया है।
जदयू ने बुधवार को अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें 57 उम्मीदवारों के नाम हैं। पार्टी ने चार मौजूदा विधायकों के टिकट काटे और नए चेहरों को मौका दिया। सबसे ज्यादा चर्चा मोकामा से उम्मीदवार अनंत सिंह को लेकर है, जो मंगलवार को नामांकन दाखिल कर चुके हैं। नीतीश कुमार के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि वे पुराने समीकरणों से हटकर नए तरीके से चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि नीतीश कुमार ने इस बार चिराग पासवान से पुराना हिसाब चुकता कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग ने जदयू कोटे की सीटों पर उम्मीदवार उतारकर उसे भारी नुकसान पहुंचाया था। परिणामस्वरूप, जदयू तीसरे स्थान पर खिसक गई थी।
इस बार नीतीश ने लोजपा (आर) की सात सीटों पर उम्मीदवार उतारकर उस पुराने घाव का जवाब दिया है। हालांकि, उन्होंने किसी और सहयोगी के कोटे की सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारे, जिससे यह भी संदेश गया कि नाराजगी सिर्फ चिराग से है।
पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं। ऐसे में चिराग के पास पलटवार करने का समय बेहद सीमित है।
लेकिन अगर आने वाले दिनों में राजग में फिर से तनातनी बढ़ती है, तो चिराग दूसरे चरण की सीटों पर जदयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारकर बदला ले सकते हैं।
हालांकि फिलहाल भाजपा तनाव कम करने और एकजुटता का संदेश देने की कोशिश में जुटी है।
लोजपा (आर) के साथ टकराव के बावजूद जदयू और भाजपा के बीच तालमेल पहले की तरह मजबूत है। जदयू ने अपने कोटे की कांटी और मीनापुर सीट से भाजपा नेताओं अजीत कुमार और अजय कुशवाहा को टिकट दिया है दोनों पहले जदयू में थे। उधर, भाजपा ने भी सहयोग का संदेश देते हुए कहलगांव और काराकाट सीटों पर दावा छोड़ दिया। नीतीश ने बदले में तारापुर सीट से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा।
भले ही जदयू और लोजपा (आर) के बीच तनातनी अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन भाजपा के प्रयासों से राजग फिलहाल टूट से बच गया है। अमित शाह की सक्रियता और नई सीटों के प्रस्ताव से सियासी माहौल बदल गया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या यह “ऑल इज वेल” का संदेश चुनावी नतीजों तक टिक पाएगा, या फिर बिहार की सियासत में नीतीश बनाम चिराग का यह टकराव नए मोड़ लेगा।
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