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Pearl Farming in Jharkhand: The luster of pearls has become a new source of income for the youth of Jharkhand.
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Pearl Farming in Jharkhand: मोती की चमक बना झारखंड के युवाओं की कमाई का नया जरिया
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Thu, 02 Oct 2025 11:03 AM IST
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मोती की चमक अब झारखंड के युवाओं की कमाई नया जरिया बन गया है। प्रदेश मोती की खेती के केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत झारखंड सरकार के सहयोग से हजारीबाग में 22 करोड़ की लागत से मोती उत्पादन का पहला क्लस्टर बनाया गया। साथ ही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मिलने वाले वित्तीय प्रोत्साहन से झारखंड के युवा पर्ल फार्मिंग को अपनाकर आर्थिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहे हैं।
झारखंड मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शंभू प्रसाद यादव बोले- "इसमें प्रशिक्षण हम लोग दे रहे हैं, और अब तक करीब 150 किसानों को प्रशिक्षण दे चुके हैं। साथ ही, इसमें राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) की तरफ़ से भी हमें सहायता मिल रही है।
मूल रूप से चाईबासा के रहने वाले बुधन सिंह पूर्ति ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर पर्ल फार्मिंग को अपनाया। साथ ही उन्होंने पर्ल फार्मिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोलकर दूसरे युवाओं को भी प्रोत्साहित किया। बुधन सिंह अब तक 800 से ज्यादा किसानों को मोती की खेती की बारीकियां सिखा चुके हैं, जिसमें 132 किसान सफलता पूर्वक आगे भी बढ़ चुके हैं। ठंड के मौसम में सीप को प्राकृतिक स्रोत से लाया जाता है और करीब 2 साल में मोती आकर लेता है।
रांची के मोती उत्पादक किसान बुधन सिंह पूर्ति कहते हैं कि, यहाँ पहले कुछ भी नहीं था, सिर्फ़ क्रिया का मकान था। लेकिन अब हमारे पास सारी सुविधाएँ हैं, अच्छी आय हो रही है। अब तक मैं 800 से ज़्यादा किसानों को प्रशिक्षण दे चुका हूँ, जिनमें से 132 किसान सफल हैं और अपने दम पर आजीविका चला रहे हैं।
झारखंड में करीब 300 किसान पर्ल फार्मिंग में लगे हुए हैं और सालाना 60 से 70 लाख मोदी की पैदावार करते हैं। अकेले हज़ारीबाग क्लस्टर में 1 लाख से ज्यादा मोती का उत्पादन होता है। अगर रिटर्न की बात करें तो करीब साढ़े छह लाख रुपए के निवेश पर 65 लाख रुपए की आमदनी तक का अनुमान है।
झारखंड सरकार अब महिलाओं को भी मोती उत्पादन से जोड़ने की योजना बना रही है। जिसके लिए हजारीबाग, चाईबासा. पूर्वी सिंहभूम, बोकारो में क्लस्टर बनाने की योजना है। यानी मोती उत्पादन झारखंड में रोजगार का चमकदार अवसर बन गया है।
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