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Burhanpur: अफ्रीका की सबसे ऊंची पहाड़ी पर फहराया तिरंगा, बर्फीली हवाओं और खराब मौसम में कई किमी पैदल चलना पड़ा
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, बुरहानपुर Published by: बुरहानपुर ब्यूरो Updated Mon, 03 Feb 2025 10:25 PM IST
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मध्यप्रदेश के बुरहानपुर नगर के रहने वाले एक युवा पर्वतारोही ने देश का नाम रोशन करते हुए अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फ़हराने का कारनामा कर दिखाया है। माउंट किलिमंजारों की इस ऊंची चोटी पर पहुंच कर भारत का तिरंगा झंडा लहराने का साहस दिखाने वाला यह युवा योगेश सुरजिया है, जिसने इतनी ऊंचाई पर बर्फिली हवाओं और कठोर मौसम को मात देकर इस साहासिक कारनामे को अंजाम दिया है।
बता दें कि माउंट किलिमंजारों की ऊंचाई लगभग पांच हजार 895 मीटर है, जिस पर चढ़कर योगेश ने यह उपलब्धि हासिल की है। वहां से वापस लौटने पर योगेश का शहर में जोरदार स्वागत किया गया है। वहीं, इस अभियान के पूरा होने के बाद अब योगेश ने अपनी सफलता को भारत के युवाओं को समर्पित किया है। साथ ही आने वाले दिनों में और भी ऊंची पहाड़ियों की चोटी पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया है।
रोजाना आठ घंटे में चलते थे 10 से 12 किमी
शहर के युवा पर्वतारोही योगेश कुमार ने बताया कि इस उपलब्धि को हासिल करते हुए पहाड़ की ऊंची चोटी तक पहुंचने में उन्हें चार दिन का वक्त लगा था। इस दौरान उन्हें रोजाना करीब आठ से 12 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था, जिसके लिए उन्हें करीब आठ घंटे का समय लगता था। उनके इस अभियान में भारत के कई अन्य पर्वतारोहियों के साथ ही जर्मनी और पोलैंड के पर्वतारोही भी शामिल थे। वहीं, उन्होंने बताया कि इस अभियान के सफर में उन्हें करीब 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के अत्यधिक ठंडे तापमान में सफर करना पड़ा। जो कि उनके लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण था। चोटी पर पहुंचने के लिए जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती थी, वहां का ऑक्सीजन लेवल कम होता जाता था। इसके साथ ही वहां बर्फीली हवाओं की स्पीड और भी बढ़ती जाती थी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस मुकाम को हासिल कर ही लिया।
पर्वतारोहियों को साथ रखना होता है वजनी बैग
शहर के युवा पर्वतारोही योगेश ने बताया कि उन्होंने पर्वतारोहण की ट्रेनिंग अटल बिहारी वाजपेयी माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट मनाली से साल 2019 में पूरी की थी। उन्होंने इस प्रशिक्षण के बाद अब तक चार प्रमुख चोटियों की सफल चढ़ाई पूरी कर ली है। वहीं, इस अभियान के लिए उन्होंने कठोर ट्रेनिंग और अभ्यास किया था। क्योंकि चढ़ाई के दौरान हरेक पर्वतारोही को करीब आठ से 10 किलो वजनी बैग लेकर भी साथ चलना होता है। उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही उनके खाने पीने का सामान और कपड़े सहित जरूरी सामान रहता है।
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