उमरिया जिले में पाली नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर-6 में जन्मे रामप्रकाश उपाध्याय इन दिनों क्षेत्र में चर्चित हैं। वजह है उनकी आवाज और चेहरा जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलता-जुलता है। लोग जब उनको देखते और बात करते हैं तो पहली बार चौंक जाते हैं। क्योंकि उनकी आवाज और फेस हूबहू नरेंद्र मोदी जैसा प्रतीत होता है। यही कारण है कि लोग उनके साथ सेल्फी लेने और उनसे हाथ मिलाने के लिए उत्सुक रहते हैं और उन्हें पाली का मोदी भी कहते हैं।
रामप्रकाश उपाध्याय पेशे से किसान हैं। पाली में रहकर वे कृषि कार्य में जुटे रहते हैं और अपनी जमीन पर खेती-बाड़ी करते हैं। हालांकि, उनकी आवाज और फेस की समानता के कारण वे सिर्फ किसान तक सीमित नहीं रहे। क्षेत्र में जहां भी वे जाते हैं, लोग उन्हें घेर लेते हैं और उनकी बातों को गौर से सुनने लगते हैं। कई बार लोग उनसे मजाक में कहते हैं, आप दिल्ली में प्रधानमंत्री की जगह क्यों नहीं ले लेते? इस पर वे मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं, मैं तो बस एक आम किसान हूं, लेकिन मोदी जी से तुलना होने पर गर्व महसूस करता हूं।
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं रामप्रकाश उपाध्याय
रामप्रकाश उपाध्याय राजनीतिक जीवन में भी काफी सक्रिय रहे। वे शहडोल यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी, कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष और नगर पालिका के पार्षद जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। राजनीति में सक्रिय रहने के दौरान उन्होंने कई सामाजिक कार्य भी किए हैं और जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाई है। हालांकि, उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलते-जुलते स्वर ने उन्हें अलग ही पहचान दिला दी है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद चर्चा में आए
रामप्रकाश उपाध्याय की फेस और आवाज हमेशा से ऐसी ही थी। लेकिन जब 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तब लोगों को इस समानता का अहसास हुआ। जैसे ही मोदी जी के भाषण टीवी पर ज्यादा प्रसारित होने लगे, लोगों ने रामप्रकाश उपाध्याय की फेस और आवाज से उनकी तुलना शुरू कर दी। देखते ही देखते वे इलाके में पाली के नरेंद्र मोदी के नाम से मशहूर हो गए।
सेल्फी और हाथ मिलाने के लिए उमड़ती भीड़
रामप्रकाश उपाध्याय जब भी सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं, लोग उन्हें घेर लेते हैं। कोई उनके साथ सेल्फी लेने की इच्छा जताता है, तो कोई उनसे हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ता है। कई बार वे खुद भी इस प्रेम और उत्सुकता से आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उनका कहना है कि वे इस पहचान को सम्मान की तरह लेते हैं और लोगों के साथ संवाद करना उन्हें अच्छा लगता है। पाली के इस 'नरेंद्र मोदी' की कहानी बताती है कि कभी-कभी समानता भी व्यक्ति को लोकप्रियता दिला सकती है। चाहे वे राजनीति में हो या किसानी में, उनकी आवाज़ और फेस ने उन्हें आम जनता के बीच खास बना दिया है।