दमोह जिला अस्पताल में मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कैसी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, इसका अंदाजा एक गर्भवती महिला को देखकर लगाया जा सकता है। एंबुलेंस से उतरने के बाद न तो उसे स्ट्रेचर मिला, न ही व्हीलचेयर, जबकि उसे ड्रिप लगी थी। इस बीच महिला के साथ आई उसकी रिश्तेदार ड्रिप हाथ में पकड़े खड़ी रही। यह मामला रविवार शाम चार बजे का है, जिसका वीडियो वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने बना लिया और वह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। अब अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि हो सकता है महिला ने कोई मदद न मांगी हो।
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जानकारी लेने पर पता चला कि हटा के नवोदय वार्ड निवासी गर्भवती महिला अर्चना पति रीतेश रजक (22) को गंभीर हालत में रविवार दोपहर जिला अस्पताल लाया गया था। महिला एमसीएच वार्ड के बाहर खड़ी हो गई। जेठानी पूजा ने बताया कि अर्चना की यह दूसरी डिलीवरी है, आठ माह का गर्भ है। दोपहर से देवरानी को ब्लीडिंग हो रही थी। हटा अस्पताल लेकर गए तो वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां आने के बाद एंबुलेंस से उतरने के बाद गेट से पैदल ही हॉल तक ले गए। देवरानी को ड्रिप लगी थी, इसलिए मैंने अपने हाथ में बॉटल पकड़ ली। यहां न तो व्हीलचेयर मिली, न ही स्ट्रेचर।
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जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. रवींद्र सिंह का कहना है कि महिलाओं को अंदर तक पहुंचाने के लिए व्हीलचेयर और स्ट्रेचर की सुविधा उपलब्ध है। किसी ने जानकारी के अभाव में मांग न की हो, यह भी हो सकता है, फिर भी मैं दिखवाता हूं।
यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी इसी तरह की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। जिला अस्पताल में रात के समय जब घायल पहुंचते हैं, तो उनके परिजनों को ही स्ट्रेचर ले जाना पड़ता है, क्योंकि वार्ड बॉय गायब रहते हैं। कई बार तो मुख्य गेट से स्ट्रेचर ही गायब रहता है। इस हालत में मरीजों को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ता है। अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पातीं।