जिले के मेहदवानी विकासखंड अंतर्गत पगनिया गांव में प्रस्तावित बसनिया औढ़ारी बांध परियोजना के सर्वे के लिए पहुंचे अधिकारियों और सर्वे टीम को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने गांव में घुसने से ही टीम को रोक दिया। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि यदि यह बांध बनता है तो डिंडोरी जिले के 13 और मंडला जिले के 18 गांव पूरी तरह से प्रभावित होंगे। इसी आशंका और असुरक्षा की वजह से ग्रामीणों में आक्रोश है।
जब सर्वे दल गांव पहुंचा तो ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में एकजुट होकर इसका विरोध किया। उन्होंने साफ कहा कि उनकी जमीन घर और पुश्तैनी खेत इस परियोजना की भेंट नहीं चढ़ सकते। ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए सर्वे टीम बिना काम किए ही लौट गई। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।
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ग्रामीणों का कहना है कि नर्मदा नदी पर प्रस्तावित इस बांध के निर्माण से उनकी जीवनशैली पूरी तरह बदल जाएगी। कई गांवों के डूब क्षेत्र में आने की आशंका है। खेती-किसानी, मवेशियों के लिए चारागाह और रहने के स्थान सभी प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक न तो सरकार और न ही परियोजना से जुड़े अधिकारी गांव आकर स्पष्ट जानकारी दे पाए हैं। मुआवजा, पुनर्वास और आजीविका को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि वर्षों से जिस जमीन से उनका जीवन जुड़ा है, उसे छोड़ना उनके लिए असंभव है। वहीं, युवाओं का मानना है कि यदि सरकार विकास के नाम पर परियोजना लाना चाहती है तो पहले प्रभावित होने वाले गांवों के लोगों से खुलकर चर्चा करनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, बसनिया औढ़ारी बांध परियोजना लंबे समय से प्रस्तावित है और इसे लेकर तकनीकी प्रक्रिया भी जारी है। लेकिन हर बार ग्रामीणों का विरोध सामने आने से परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। अब जब पुनः सर्वे की कोशिश की गई तो पगनिया गांव में विरोध के कारण अधिकारियों को पीछे हटना पड़ा।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन और सरकार ने उनकी समस्याओं और आशंकाओं को गंभीरता से नहीं लिया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे। वहीं, जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि प्रस्तावित बांध से क्षेत्र में सिंचाई और जल उपलब्धता बढ़ाने का लक्ष्य है, लेकिन जब तक ग्रामीणों की सहमति और सहयोग नहीं मिलेगा, परियोजना को लागू करना मुश्किल होगा। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद यह मामला और भी चर्चा में आ गया है। अब देखना होगा कि प्रशासन ग्रामीणों के विरोध को शांत करने और परियोजना पर सहमति बनाने के लिए क्या कदम उठाता है।