मैहर शहर में सड़क निर्माण से जुड़े जनहित मुद्दे पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गंभीर रुख अपनाया है। सुनवाई के बाद जबलपुर कोर्ट ने मैहर नगर पालिका, ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब करते हुए अगली सुनवाई 24 सितंबर को निर्धारित की है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा- ऐसे कार्य को मंजूरी कौन देता है? अदालत ने इस निर्माण कार्य को नागरिकों के हितों के प्रतिकूल बताते हुए इसकी वैधता पर सवाल खड़े किए हैं।
दरअसल, जनहित याचिकाकर्ता मनीष पटेल निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, मैहर ने अदालत को बताया कि मैहर शहर के केंद्र में चार किमी लंबी सड़क का निर्माण बिना उचित योजना और अध्ययन के किया जा रहा है। सड़क को एक फीट तक ऊंचा कर दिया गया है, जिससे आसपास के घर, दुकानें और सार्वजनिक स्थल नीचे हो गए हैं। इस वजह से जलभराव, दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बिना पर्यावरणीय अध्ययन, तकनीकी परीक्षण और स्थानीय निवासियों की सहमति के सड़क निर्माण किया जाना जनता के हितों की अनदेखी है। इससे आने वाले समय में गंभीर परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।
कोर्ट ने मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रमुख सचिव, निर्माण भवन, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग, इंजीनियर इन चीफ, पीडब्ल्यूडी, कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी संभाग सतना, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी मैहर, कलेक्टर मैहर, नगर पालिका मैहर, ठेकेदार संजय सिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नागरिकों के हितों की उपेक्षा कर किए गए निर्माण कार्य न्यायसंगत नहीं मान सकते।
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क्या बोले याचिकाकर्ता?
याचिकाकर्ता मनीष पटेल ने बताया कि यह सड़क पहले भी दो बार बनाई जा चुकी है। वर्तमान में अलाउद्दीन चौराहा, कलेक्ट्रेट क्षेत्र से लेकर मां शारदा मंदिर रोपवे और घंटाघर तक हो रहे निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं हैं, जो नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा दोनों के खिलाफ हैं।
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