मेडिकल साइंस और विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी अंधविश्वास कायम है। बीमार होने छोटे-छोटे बच्चों को डाम (लोहे का सरिया, फूटे मटकों के टुकड़े आदि गर्म करके शरीर पर चिपकाना) आदि के मामले सामने आते रहते हैं। वहीं कई ग्रामीण अस्पतालों में भर्ती रहने के दौरान अपने परिजन की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा को गाजे-बाजे के साथ पूजा करके घर ले जाते हैं। ऐसा ही एक मामला मेडिकल कॉलेज में सामने आया है। तीन माह पहले ग्राम छावनी झोड़िया निवासी शांतिलाल की बीमारी के चलते मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उसके परिजन व ग्रामीण मेडिकल ढोल व थाली बजाते हुए पूजा सामग्री लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे तथा तलवारे हाथों में लेकर नृत्य करते रहे और फिर लौट गए। ग्रामीणों का कहना था कि इस रिवाज को ‘आत्मा’ को नोतकर ले जाना कहते हैं।
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जानकारी के अनुसार करीब तीन माह पहले शांतिलाल झोड़िया निवासी ग्राम छावनी झोड़िया ने कीटनाशक पी लिया था। उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। तीन माह बाद उसके परिजन, रिश्तेदार अन्य ग्रामीण आत्मा को नोतकर ले जाने की प्रक्रिया करने ढोल, पूजा सामग्री व तलवारों के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां महिलाएं गीत गाती रहीं। दो व्यक्ति हाथों में तलवार लेकर नृत्य करते रहे। एक महिला के हाथ में पूजा की थाली, दूसरी महिला के हाथ में नारियल था तो एक अन्य महिला के सिर पर लकड़ी की टोकरी में एक पत्थर रखा हुआ था। उन्हें गीत गाते व नृत्य करते देख वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान कुछ लोग लिफ्ट से मेडिकल कॉलेज की तीसरी मंजिल पर उस स्थान पर पहुंचे जहां शांतिलाल भर्ती था। वहां पूजा-पाठ की। इसके बाद वे वापस बाहर मैदान में आए और गीत गाते हुए तथा नृत्य करते हुए जुलूस के रूप में वापस अपने गांव जाने लगे। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि वे आदिवासी मान्यता के अनुसार शांतिलाल की आत्मा लेने (नोतने) आए हैं। आत्मा लेकर गांव जाएंगे और हमारी रीति-रिवाज से गांव में एक स्थान पर ओटला बनाकर उस पर उसकी पत्थर के रूप में उसकी प्रतिमा स्थापित करेंगे।
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सपनों को संकेत मानकर आत्मा लेने आए
शांतिलाल के परिजन का कहना था कि परिवार की एक बालिका को पिछले कुछ दिए से आए दिन सपने आ रहे थे, सपने में वह बालिका से कहता था कि उसे मेडकिल कॉलेज से घर ले जाओ। सपनों को उसकी आत्मा को घर लाने का संकेत माना गया और परंपरा के अनुसार उसकी आत्मा लेने आए हैं। शांतिलाल के रिश्तेदार भूरालाल ने बताया कि वे रीति-रिवाज के अनुसार शांतिलाल की आत्मा नोतने (लेने) आए हैं। उसकी आत्मा को घर ले जाएंगे तथा वहां ओटला बनाकर साथ में जो बड़ा पत्थर लेकर आए हैं, उसे ओटले पर उसकी प्रतिमा के रूप में स्थापित करेंगे, ताकि वह परिजन को परेशान न करे। मृतक की बुआ नीता झोड़िया ने बताया कि उनके भतीजा शांतिलाल बड़े भाई की बेटी के सपने में आकर उसे परेशान कर रहा है। बोल रहा है कि मुझे मेडिकल कॉलेज से घर ले जाओ। इस कारण हम सब उसे लेने आए हैं। पत्थर में उसकी आत्मा को लेकर जा रहे हैं।