मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय समुदाय के नायक भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का ऐलान किया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने ब्यौहारी में आयोजित कोल जनजातीय सम्मेलन के दौरान की। इस पहल का लक्ष्य जनजातीय इतिहास और संस्कृति को पढ़ाई के माध्यम से आगे बढ़ाना है, जिससे नई पीढ़ी को उनके नायकों के योगदान के बारे में जानकारी मिल सके।
सीएम यादव ने कहा, भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए महान संघर्ष किया। उनकी जीवनी हमारे छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। इस कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने 13 जिलों में कोल समुदाय के लिए 82 कन्या छात्रावासों का नाम शबरी माता कन्या छात्रावास रखने की भी घोषणा की। यह कदम महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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इसके साथ ही, सीएम ने आश्वासन दिया कि जिन कोल समाज के लोगों के पास भूमि का पट्टा नहीं है, उन्हें परीक्षण के बाद भूमि का पट्टा दिलाया जाएगा। जहां भी कोल समाज के लोग निवास करते हैं, वहां उनके अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। इस दौरान सीएम ने विचारपुर की फुटबॉल टीमों को 10 लाख रुपये देने की भी घोषणा की और मेडिकल कॉलेज शहडोल में बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्थापित करने का वादा किया।
इस घोषणा के बाद, प्रदेश में जनजातीय समुदाय के लोगों ने सरकार के कदम का स्वागत किया है। शहडोल के एक स्थानीय निवासी ने कहा, भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी हमारे बच्चों को शिक्षित करने में मदद करेगी और उनके संघर्ष की याद दिलाएगी। इस पहल के माध्यम से, मध्यप्रदेश सरकार एक नई दिशा में बढ़ रही है, जहां जनजातीय संस्कृति और इतिहास को प्राथमिकता दी जा रही है। यह कदम राज्य की सामाजिक संरचना को सुदृढ़ करने में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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इस कार्यक्रम में जनजातीय मंत्री विजय शाह और सीएम यादव के बीच दूरी साफ नजर आई। कार्यक्रम में मंत्री शाह को बोलने का अवसर नहीं मिला, जबकि अन्य नेताओं ने मंच पर अपने विचार रखे। इस पर चर्चा करते हुए एक स्थानीय नेता ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मंत्री शाह को उनके ही विभाग के कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिला। यह एक राजनीतिक संकेत हो सकता है।