भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार व मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित धनराज पिल्लै व अर्जुन पुरस्कार व एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित आशीष कुमार बल्लाल फील्ड (हॉकी के पूर्व भारतीय गोलकीपर) श्री महाकालेश्वर भगवान की प्रातः होने वाली भस्मार्ती में सम्मिलित हुए। यहां उन्होंने बाबा महाकाल के निराकार से साकार स्वरूप के दर्शन किए और लगभग 2 घंटे तक बाबा महाकाल की आरती देखी। भस्मारती उपरांत पूजन विजय पुजारी द्वारा सम्पन्न करवाया गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति की ओर से सहायक प्रशासक शिवकांत पांडेय द्वारा पिल्लै और बल्लाल का स्वागत व सम्मान किया गया।
तबीयत बिगड़ी तो मिला तुरंत उपचार, आशीष बोले- अच्छी है मंदिर की व्यवस्था
आज सुबह भस्म आरती के दौरान गोलकीपर आशीष की तबीयत अचानक खराब हो गई। तबीयत बिगड़ने ही तुरंत श्री महाकालेश्वर द्वारा उन्हें उपचार दिया गया, जिसके बाद उन्होंने फिर नंदी हॉल में बैठकर बाबा महाकाल की भस्म आरती देखी। बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद आशीष बल्लाल ने मीडिया से कहा कि यहां आकर धन्य हो गया। यहां की दर्शन व्यवस्था काफी अच्छी है। मंदिर में दर्शन व्यवस्था कुछ ऐसी है कि इसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
जानिए कौन है धनराज पिल्लै
धनराज पिल्लै एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 1999-2000 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त किया था, जिसे पहले राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था। 2001 में, उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1998 के एशियाई खेलों और 2003 एशिया कप विजेता हॉकी टीम का नेतृत्व भी किया था। धनराज पिल्लै एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999-2000 में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला था, जो भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार है। 2001 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे 1998 के एशियाई खेलों और 2003 के एशिया कप विजेता हॉकी टीम के कप्तान थे।
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हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं
आशीष कुमार बल्लाल फील्ड हॉकी के पूर्व भारतीय गोलकीपर हैं। उन्होंने 1992 बार्सिलोना ओलंपिक, 1990 विश्व कप, 3 चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट (1989, 1993, 1996), 2 एशियाई खेल (1994, 1998) और 2 एशिया कप (1989, 1993) सहित 275 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बल्लाल भारत में तब मशहूर हो गए जब उन्होंने 1998 के बैंकॉक एशियाई खेलों के फाइनल में दक्षिण कोरिया के खिलाफ दो टाई-ब्रेकर गोल बचाए। बल्लाल की कप्तानी में भारत ने 32 साल के अंतराल के बाद बैंकॉक में एशियाड हॉकी स्वर्ण पदक जीता। हॉकी के खेल में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, बल्लाल को 1997 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार और 2000 में कर्नाटक सरकार द्वारा एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह भारत के हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं। एक सराहनीय प्रयास में, वह भारत में हॉकी के खेल को वापस देने के अपने तरीके के रूप में बैंगलोर में आशीष बल्लाल हॉकी अकादमी चलाते हैं।