अलवर के ट्रांसपोर्ट नगर में घटिया सड़क निर्माण को लेकर सोमवार को स्थानीय लोगों में आक्रोश फूट पड़ा। लोगों ने ठेकेदार प्रवीण चौधरी को घेर लिया और घटिया निर्माण कार्य को लेकर तीखी बहस हुई। भीड़ इतनी आक्रोशित हो गई कि हाथापाई की नौबत आ गई। हालात बिगड़ते देख ठेकेदार ने हाथ जोड़कर माफी मांग ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम के कमिश्नर सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। मिट्टी को साफ किए बिना ही सड़क बनाई जा रही थी, जिससे कुछ ही दिनों में यह टूट जाएगी। वहीं, वार्ड पार्षद हेतराम यादव पर भी कमीशन लेने के आरोप लगे, जिससे जनता का गुस्सा और बढ़ गया।
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वार्ड पार्षद हेतराम यादव ने कहा कि एनकेप योजना के तहत 4 करोड़ 61 लाख रुपये की लागत से सड़क, नाली और इंटरलॉकिंग का काम स्वीकृत हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने मनमाने तरीके से घटिया निर्माण शुरू कर दिया। हमने इसे रोकने की कोशिश की फिर भी ठेकेदार ने अनदेखी की और मिट्टी के ऊपर ही डामरीकरण शुरू कर दिया। जनता की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए नगर निगम कमिश्नर मौके पर पहुंचे और मामले को शांत करने का प्रयास किया। लोगों की मांग थी कि निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए और गुणवत्ता की जांच कराई जाए। स्थानीय नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि शिकायत के बावजूद न तो ठेकेदार ने ध्यान दिया और न ही नगर निगम अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई की।
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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी मौके पर पहुंचे और भ्रष्टाचार पर उठाए सवाल
जब मामला तूल पकड़ने लगा तो नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने जनता की जागरूकता की सराहना करते हुए कहा कि मैं ट्रांसपोर्ट नगर के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि वे अपने हक के लिए खड़े हुए। जब इतनी घटिया सड़क बनाई जा रही है, तो यह साफ दर्शाता है कि सरकार में बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड किया जाना चाहिए और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने जिला कलेक्टर से फोन पर बात कर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने प्रशासन से निर्माण कार्य को तुरंत रोकने और सही तरीके से पूरा कराने का निर्देश देने की अपील की। इस विरोध के बाद नगर निगम अधिकारियों ने जनता को आश्वासन दिया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि निर्माण कार्य को सही तरीके से नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।