पश्चिमी राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली जोजरी, बांडी और लूणी नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अब मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर पर्यावरणीय संकट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की, जिसने बुधवार सुबह करीब 10 बजे बालोतरा पहुंचकर जमीनी हालात का निरीक्षण किया। यह निरीक्षण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि वर्षों से अनदेखी की जा रही एक बड़ी पर्यावरणीय त्रासदी की वास्तविक तस्वीर सामने लाने का प्रयास माना जा रहा है।
डोली और अराबा गांव में दिखी प्रदूषण की भयावह सच्चाई
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी, जिसकी अगुवाई सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस संगीत लोढ़ा कर रहे हैं, सबसे पहले डोली और अराबा गांव पहुंची। यहां जोजरी नदी के किनारे फैले काले, बदबूदार और जहरीले पानी को देखकर हालात की गंभीरता स्वतः स्पष्ट हो गई। नदी का प्राकृतिक स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। पानी में न तो पारदर्शिता बची है और न ही जीवन। आसपास के खेतों में बहता दूषित पानी फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है, जबकि कई जगह जमीन बंजर होने की कगार पर है।
ग्रामीणों ने कमेटी को सुनाई दर्दभरी दास्तान
निरीक्षण के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने खुलकर अपनी पीड़ा साझा की। ग्रामीणों का कहना है कि नदी का पानी न केवल खेती के लायक नहीं रहा, बल्कि पशुओं के लिए भी जानलेवा बन चुका है। कई गांवों में पशुओं की मौत और लोगों में त्वचा, सांस व पेट से जुड़ी बीमारियां बढ़ने की शिकायतें सामने आईं। ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से वे प्रशासन और विभागों को शिकायतें देते आ रहे हैं, लेकिन औद्योगिक इकाइयों के प्रभाव के आगे उनकी आवाज दबती रही।
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कपड़ा उद्योगों के अपशिष्ट पर उठे गंभीर सवाल
जांच के दौरान कमेटी ने संकेतों में स्पष्ट किया कि जोधपुर, पाली और बालोतरा क्षेत्र में संचालित कपड़ा फैक्ट्रियों द्वारा छोड़ा जा रहा रासायनिक अपशिष्ट इस प्रदूषण का बड़ा कारण है। डोली-अराबा गांव के बाद टीम बालोतरा शहर के औद्योगिक क्षेत्र पहुंची, जहां टेक्सटाइल इकाइयों और उनकी अपशिष्ट निस्तारण व्यवस्था का निरीक्षण किया गया। यहां यह देखा गया कि किस तरह से शोधन संयंत्रों की कार्यप्रणाली और नियमों के पालन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रशासनिक अधिकारी रहे मौजूद, लेकिन जवाबों पर टिकी नजर
निरीक्षण के दौरान बालोतरा जिला कलेक्टर सुशील कुमार यादव, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक तंवर, एसडीएम अशोक कुमार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। कमेटी ने अधिकारियों से अब तक की गई कार्रवाई, निगरानी व्यवस्था और भविष्य की योजनाओं को लेकर विस्तार से जानकारी ली। सूत्रों के अनुसार, कमेटी ने केवल कागजी रिपोर्ट नहीं, बल्कि वास्तविक कार्यवाही के प्रमाण पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में जाएगी रिपोर्ट, तय हो सकती है सख्त कार्रवाई
माना जा रहा है कि इस दौरे और निरीक्षण के बाद जांच कमेटी अपनी विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी। रिपोर्ट के आधार पर न केवल दोषी औद्योगिक इकाइयों पर सख्त कार्रवाई, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली में बड़े सुधार और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के निर्देश भी जारी हो सकते हैं। यह भी संभव है कि आने वाले समय में औद्योगिक इकाइयों के संचालन पर प्रतिबंध या भारी जुर्माने जैसे कठोर कदम उठाए जाएं।
स्थानीय लोगों में जगी उम्मीद की किरण
वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट की सीधी दखलअंदाजी से स्थानीय लोगों में उम्मीद की नई किरण जगी है। लोगों को विश्वास है कि इस पहल से न केवल जोजरी और लूणी नदियों को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरणीय संतुलन भी बहाल किया जा सकेगा।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और आने वाले निर्देशों पर टिकी हैं, जो पश्चिमी राजस्थान की नदियों का भविष्य तय करेंगे।