प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर को बांसवाड़ा में माही परमाणु बिजलीघर परियोजना का शिलान्यास करते हुए प्रदेश को कई सौगातें दीं। इन्हीं में से एक बड़ी सौगात डूंगरपुर जिले के चिखली में माही नदी पर बने संगमेश्वर पुल की है। यह पुल राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा हैंगिंग पुल है, जो अब आमजन की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है।
संगमेश्वर शिवालय तक आसान पहुंच
डूंगरपुर जिले की चिखली ग्राम पंचायत के बेडुआ गांव में माही, अनास और जाखम नदियों के संगम स्थल पर संगमेश्वर शिवालय स्थित है। वर्ष के छह से आठ माह तक यह स्थल पानी से घिरा रहता है, ऐसे में श्रद्धालुओं को यहां पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। शिवालय के समीप ही बनाए गए इस पुल से अब बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी कस्बे तक सीधा मार्ग जुड़ गया है। पुल पहले से तैयार था, लेकिन उद्घाटन नहीं होने से आवागमन शुरू नहीं हो पाया था। प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के बाद अब यहां आवाजाही संभव हो गई है।
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134 करोड़ की लागत से हुआ निर्माण
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से इस हैंगिंग पुल का निर्माण कराया गया है। 134 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल की कुल लंबाई 1.925 किलोमीटर है। निर्माण के लिए स्वीकृत राशि में सीआरएफ मद से 99.16 करोड़ रुपये और एसआरएफ मद से 34.85 करोड़ रुपये शामिल किए गए।
दूरी घटेगी, सफर होगा सुगम
पुल शुरू होने से डूंगरपुर के चिखली से बेडुआ की दूरी घटकर 4 किलोमीटर रह गई है। इसी तरह बेडुआ से बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी की दूरी भी अब सिर्फ 4 किलोमीटर होगी। आनंदपुरी से मानगढ़ धाम की दूरी 8 किलोमीटर है। इस हिसाब से चिखली से मानगढ़ जाने का सफर अब मात्र 16 किलोमीटर में पूरा होगा। पहले इस मार्ग के लिए लोगों को सागवाड़ा, गढ़ी, परतापुर, बागीदौरा और आनंदपुरी होकर करीब 115 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था।
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