भीलवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत पंडेर इन दिनों भारी राजनीतिक और प्रशासनिक उथल-पुथल का केंद्र बनी हुई है। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरपंच (प्रशासक) ममता मुकेश जाट को मंगलवार को पद ग्रहण करना था, लेकिन पंचायत भवन के मुख्य द्वार पर ताले लगे होने के कारण वे अंदर प्रवेश नहीं कर सकीं। स्थिति और अधिक गंभीर तब हो गई जब गुरुवार को ममता के पति एवं कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मुकेश जाट प्रशासन के विरोध में गांव के मोबाइल टावर पर चढ़ गए।
हाईकोर्ट का आदेश, फिर भी रोका गया पदभार
दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने 7 जुलाई 2025 को ममता जाट को सरपंच पद पर पुनः बहाल करने का आदेश दिया था। इसके पालन में ममता जाट 8 जुलाई को सैकड़ों समर्थकों के साथ ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकालते हुए पंचायत भवन पहुंचीं। लेकिन, वहां ताले जड़े मिले और उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका। इसके बाद समर्थकों ने मौके पर धरना शुरू कर दिया। ममता जाट ने आरोप लगाया कि उन्हें राजनीतिक दुर्भावना के चलते पदभार ग्रहण नहीं करने दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और विकास अधिकारी को भेजी जा चुकी है, इसके बावजूद पंचायत भवन बंद कर दिया गया।
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मोबाइल टावर पर चढ़े पति, बोले- न्याय मिलने तक नहीं उतरूंगा
गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे ममता जाट के पति मुकेश जाट मोबाइल टावर पर चढ़ गए और ऐलान किया कि जब तक उनकी पत्नी को पदभार नहीं दिलाया जाएगा, वे नीचे नहीं उतरेंगे। सूचना पर एएसपी राजेश आर्य, एसडीएम राजकेश मीणा और विकास अधिकारी सीताराम मीणा मौके पर पहुंचे और समझाइश देने का प्रयास किया, लेकिन मुकेश जाट अड़े रहे। इस दौरान ग्रामवासियों और समर्थकों ने प्रशासन के खिलाफ "प्रशासन हाय-हाय" के नारे लगाए और सरपंच ममता जाट के समर्थन में डटे रहे। पंचायत भवन के बाहर बड़ी संख्या में समर्थकों की मौजूदगी और बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस बल भी तैनात किया गया है।
पूर्व में हटाए गए थे पद से, आरोप भी लगे
ममता जाट पर पूर्व में पद के दुरुपयोग और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे। आरोप था कि उन्होंने सामुदायिक भवन और चारदीवारी के उद्घाटन में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया, शिलालेख पर संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के नाम नहीं अंकित करवाए। साथ ही, सड़कों की लाइटों में कम सामग्री लगाकर अधिक भुगतान और बिना आवश्यक दस्तावेजों के पट्टे जारी करने जैसे आरोप भी लगे। इन आधारों पर 7 मई को उन्हें प्रशासक पद से हटा दिया गया था, जबकि इससे पहले 24 जनवरी 2025 को जिला कलेक्टर ने उन्हें प्रशासक नियुक्त किया था।
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'यह सम्मान और न्याय की लड़ाई है'
ममता जाट ने कहा कि यह लड़ाई किसी पद या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और न्याय की है। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना को लोकतंत्र और कानून के विरुद्ध बताया। वहीं, इस मामले को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव व जहाजपुर के पूर्व विधायक धीरज गुर्जर ने कहा कि यह केवल पंडेर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है। यदि समय रहते सरपंच को कार्यभार नहीं सौंपा गया तो वे स्वयं मौके पर पहुंचकर बड़ा आंदोलन करेंगे।