दौसा में आंगनबाड़ी की महिलाओं ने जिला कलेक्ट्री पर नारेबाजी कर उनकी समस्याओं पर सरकार को विचार करने के लिए ज्ञापन सौंपा है। रेखा शर्मा की मांने तो आंगनबाड़ी की महिलाओं की माने तो पोषण ट्रैकर चेहरे की पहचान प्रणाली वाली एप में आंगनबाड़ी कर्मियों को THR पोषाहार भरने में बड़ी समस्याएं आती हैं, जिसमें बड़ा मामला मोबाइल नेटवर्क होता है। ग्रामीण क्षेत्र में एवं विभागीय फोन से काम करना बिलकुल संम्भव नहीं है। अतः पूर्व की भांति THR रजिस्टर में ही अंकित करवाए जाने की मांग भी की है।
इधर, एक आंगनबाड़ी की महिला कार्यकर्ता लता शर्मा की माने तो इन्हें जो मानदेय दिया जाता है, वह भी दो टुकड़ों में दिया जाता है, जिसका भुगतान समय पर हो। इसके लिए कई बार विभाग अवगत करवाया जा चुका है और PMMVY एवं IGMVY को पूर्व की भांति मानव ससांधन कर्मियों द्वारा ही भरवाए जाएं। आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा तकनीकी परेशानी के कारण फॉर्म अपलोड नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते लाभार्थी को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके लिए पूर्व की भांति ऑफलाइन ही फॉर्म भरे जाने के जल्द ही विभाग को ओदश मांगा है। मानदेय के विषय में भी संगठन बार-बार आपसे मांग कर रहा है कि पूर्व की भांति केन्द्र-राज्य का मानदेय महीने के एक से पांच तारीख तक एक साथ दें।
इधर, इनकी एक और मांग ये भी है कि इनकी सेवा के अतिरिक्त इनको अन्य कार्य में नहीं लगाया जाए, जिसके लिए इनका आरोप है कि 29 मई 2019 CPMU के आदेश में स्पष्ट वर्णन है, उसके बाद भी इन महिलाओं से बार-बार अन्य कार्य करवाए जाते हैं। इस पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को इसके अतिरिक्त अन्य कार्य न करवाने के लिए आदेश जारी करें। अब इन आंगनबाड़ी में काम कर रही महिलाओं को इनकी मांगे मानने का पूर्ण विश्वास है, जिसके चलते इन्होंने कहा है कि मागों का शीघ्र निस्तारण करवाकर संगठन को राहत प्रदान कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की बात भी ये महिलाएं कर रही हैं।
इन महिलाओं ने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार, शास्त्री भवन, नई दिल्ली के अर्द्धशासकीय राजस्थान सरकार के पत्रांक 39520, 27 फरवरी 2019 तथा निदेशालय के पत्राक से 17 दिसंबर 2019 द्वारा समेकित बाल विकास सेवाओं के आंगनबाड़ी कार्मिकों को गैर आईसीडीएस सेवाओं में नहीं लगाया जाने हेतु निर्देशित किया गया था। परन्तु विभाग को प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभी भी आंगनबाड़ी कार्मिको को गैर आईसीडीएस कार्यों में लगाया जा रहा है, जो उचित नहीं है।
भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत आंगनबाड़ी कार्मिकों के द्वारा 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एव धात्री महिलाओं को आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से तय पोषण, शालापूर्व शिक्षा एवं पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र का नियमित रूप से संचालन कर सेवाएं देना अनिवार्य किया हुआ है। इन्हीं सभी मांगों के साथ आज आंगनबाड़ी की महिलाओं ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया।