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Jodhpur News: IIT Jodhpur Achieves Breakthrough in Seawater Hydrogen Production and Zinc Battery Technology
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Jodhpur News: IIT जोधपुर को मिली नई सफलता, समुद्री जल से हाइड्रोजन और जिंक बैटरियों बनाने में मिलेगी मदद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर Published by: जोधपुर ब्यूरो Updated Wed, 10 Dec 2025 07:49 PM IST
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आईआईटी जोधपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की इलेक्ट्रो केमिकल एनर्जी कन्वर्जन एंड स्टोरेज (E2CS) लैब ने सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों समुद्री जल से हाइड्रोजन उत्पादन और अगली पीढ़ी की जलीय जिंक आयन बैटरियों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत कुमार गुप्ता के नेतृत्व में हो रहे इन शोधों से ग्रीन एनर्जी, जल संरक्षण और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में नए रास्ते खुल रहे हैं।
दुनिया में कार्बन डाई ऑक्साइड के तेजी से बढ़ते स्तर और स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकता के बीच हाइड्रोजन ईंधन एक बड़ा विकल्प बनकर उभरा है लेकिन पारंपरिक इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक में शुद्ध पानी की भारी मांग होती है 1 किलो हाइड्रोजन के लिए लगभग 30 लीटर। यह तटीय और शुष्क क्षेत्रों में बड़ी चुनौती पैदा करता है। इसी समस्या का समाधान ढूंढते हुए आईआईटी जोधपुर की टीम ने ऐसे उन्नत इलेक्ट्रोकैटेलिस्ट विकसित किए हैं, जिनसे समुद्री जल से सीधे हाइड्रोजन उत्पादन संभव हो सका है।
इस तकनीक में पानी को पहले शुद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे लागत और समय दोनों की बचत होती है। टीम ऐसे इंडस्ट्री-ग्रेड मटेरियल बना रही है, जो समुद्री जल में मौजूद नमक, क्लोरीन-ब्रोमीन कन्वर्जन, स्केलिंग और इलेक्ट्रोड करप्शन जैसी समस्याओं को प्रभावी रूप से रोक सकें। माना जा रहा है कि इस तकनीक की मदद से ग्रीन हाइड्रोजन की लागत 90 रुपये प्रतिकिलो से भी कम लाई जा सकती है। रोटेटिंग रिंग-डिस्क इलेक्ट्रोड और गैस क्रोमैटोग्राफी जैसी तकनीकों से रिएक्शन और उप-उत्पादों की सटीक जांच की जा रही है।
दूसरी ओर E2CS लैब जलीय जिंक-आयन और जिंक-एयर बैटरियों पर भी तेजी से कार्य कर रही है। भारत में रिन्यूएबल एनर्जी का दायरा बढ़ने के साथ सुरक्षित, किफायती और लंबी उम्र वाली बैटरियों की मांग बढ़ रही है। जिंक बैटरियां उच्च ऊर्जा घनत्व, आसान उपलब्धता और सुरक्षित संचालन जैसे फायदे देती हैं। टीम नए कैथोड मटेरियल और इलेक्ट्रोलाइट एडिटिव्स बना रही है, जो एनोड पर जंग और डेंड्राइट बनने की समस्या को रोककर बैटरी के जीवनचक्र को बढ़ाएंगे। साथ ही पर्यावरणीय ऑक्सीजन का उपयोग करने वाली हाई-एनर्जी जिंक-एयर बैटरियों पर भी शोध जारी है, जो हल्के और पोर्टेबल उपकरणों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं।
डॉ. गुप्ता के अनुसार यह शोध भारत सरकार के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, SDG-7 और SDG-13 के लक्ष्यों को मजबूती देता है। आईआईटी जोधपुर की यह प्रगति देश को स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम है।
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