राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत अपने जोधपुर प्रवास के बाद फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हुए। इस दौरान 5 से 7 सितंबर तक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों और 32 सहयोगी संगठनों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें आगामी योजनाओं और संगठनात्मक गतिविधियों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष (2025-26) के उपलक्ष्य में देशभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। इसके साथ ही शिक्षा नीति के क्रियान्वयन, सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। संगठन ने निर्णय लिया कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने और उसकी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
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मोहन भागवत ने कहा कि भारत की युवा पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्हें सकारात्मक दिशा देने के लिए संस्कार आधारित शिक्षा और सामाजिक जुड़ाव जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का कार्य किसी राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि समाज को संगठित करने और राष्ट्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से निरंतर जारी है।
बैठक में पंजाब, मणिपुर और पश्चिम बंगाल की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों पर भी चिंता व्यक्त की गई और इन क्षेत्रों में संवाद व सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि यह समाज में समानता और न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।
तीन दिवसीय बैठक में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ लगभग 32 संगठनों के करीब 320 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी बैठक में शामिल हुए। जोधपुर से इस बैठक के जरिए देशभर में संगठनात्मक ऊर्जा और संदेश दिया गया।