राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने शुक्रवार को राजसमंद जिले का दौरा किया, जहां उन्होंने कलेक्ट्री सभागार में वन विभाग से संबंधित कार्यों की समीक्षा बैठक की। बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य बजट में घोषित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा, पौधारोपण अभियानों की स्थिति और कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट में आ रही अड़चनों पर विस्तार से चर्चा करना रहा।
बैठक में मंत्री शर्मा ने विभागीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली और चल रहे कार्यों की प्रगति पर संतोष जताया। उन्होंने साफ कहा कि अब लक्ष्य केवल योजना बनाना नहीं है, बल्कि उन योजनाओं को धरातल पर समयबद्ध और प्रभावी रूप से लागू करना है, जिससे वन क्षेत्र मजबूत हो सके और जैव विविधता को संरक्षण मिल सके।
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टाइगर रिजर्व को लेकर प्रगति और चुनौतियों पर गंभीर चर्चा
बैठक के दौरान कुंभलगढ़ में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की स्थिति पर विशेष फोकस रहा। मंत्री संजय शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की गई है और कार्यों में जो बाधाएं सामने आ रही हैं, उन पर भी गंभीरता से विचार हुआ है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए जो भी संसाधन और सहयोग आवश्यक हों, उन्हें तत्काल प्रभाव से जुटाया जाए। वन मंत्री ने कहा कि कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व न केवल राजस्थान, बल्कि देश के लिए एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण परियोजना है और इसका पूर्ण संचालन जैविक संतुलन के लिए बेहद जरूरी है।
पौधारोपण की सफलता पर जताया संतोष
प्रेस से बातचीत में मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि पौधा लगाना आसान है, लेकिन पौधे का संरक्षण करना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने जानकारी दी कि राजसमंद जिले में पिछले वर्ष किए गए पौधारोपण में से 70 प्रतिशत पौधे सुरक्षित और जीवित हैं, जो वन विभाग की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 'एक पौधा मां के नाम' और 'हरियालो राजस्थान' जैसे अभियानों के तहत पूरे प्रदेश में अब तक करीब आठ करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 2.51 करोड़ पौधे 'हरियालो राजस्थान' अभियान के अंतर्गत हैं।
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आग से बचाव और आमजन की भागीदारी पर बनी रणनीति
बैठक में वन क्षेत्रों में आग की घटनाओं पर भी विशेष चर्चा हुई। मंत्री ने कहा कि केवल विभागीय कर्मचारियों के बल पर जंगलों की रक्षा संभव नहीं है। इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों और आमजन की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि जब भी जंगल में आग जैसी आपदा की स्थिति बने, तो स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर उनसे सहयोग लिया जाए, जिससे समय पर राहत और बचाव संभव हो सके। मंत्री शर्मा ने कहा कि वनों की सुरक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जंगलों के संरक्षण से न केवल पर्यावरण संतुलन कायम रहेगा, बल्कि जल स्रोतों और जैवविविधता को भी स्थायित्व मिलेगा।
इस समीक्षा बैठक में कुंभलगढ़ विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़, नाथद्वारा विधायक विष्वराज सिंह, राजसमंद कलेक्टर अरुण कुमार हसीजा, डीएफओ कस्तूरी प्रशांत शूले, सहित वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।