प्रदेश में इस बार मानसून जरूरत से ज्यादा ही मेहरबान रहा है। प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में औसत बारिश से करीब 100 से 200 एमएम अधिक बारिश हुई। यदि सीकर की बात की जाए तो इस साल की बारिश ने एक तरफ जहां नदी, तालाबों को लबालब कर दिया है तो वहीं किसानों को खून के आंसू रुलाए हैं। जिस फसल को तैयार करने के लिए किसानों ने दिन-रात मेहनत की, उस पर अब किसान खुद ट्रैक्टर चला रहे हैं।
दरअसल इस बार जिले के रींगस क्षेत्र में औसत से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। बारिश थमे हुए करीब एक सप्ताह का समय निकल चुका है लेकिन अब यहां फसल का खराबा सामने आ रहा है। कई खेतों में बारिश का पानी चले जाने की वजह से पूरी की पूरी फसल ही बर्बाद हो गई, जिसके चलते किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान अब फसल पर खुद ही ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर रहे हैं।
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स्थानीय किसान नेता केशाराम बताते हैं कि इलाके में कई किसानों ने ट्रैक्टर चलाकर खुद ही अपनी फसल को नष्ट किया है। खेतों में बारिश का पानी चले जाने की वजह से फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। अब यदि इसे निकालकर मार्केट में बेचा जाता है तो इसकी लागत के आधे पैसे भी किसान को नहीं मिलेंगे। ऐसे में किसान खुद फसलों पर ट्रैक्टर चलाकर फसलों को नष्ट कर रहे हैं क्योंकि यदि मजदूरी देकर इन्हें कटवाया जाता है तो उसका भी खर्चा आएगा।
बता दें कि रींगस इलाके में इस बार हुई अतिवृष्टि का जायजा लेने के लिए पिछले दिनों प्रभारी मंत्री और प्रदेश में वन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे संजय शर्मा खुद दौरा करने के लिए आए थे। तब उन्होंने खुद किसानों को आश्वासन दिया था कि फसल खराबे का जल्द ही आकलन करके किसानों को मुआवजा दिया जाएगा।