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Sikar News Historical Holi celebrated in Ringas funeral procession of dead procession of groom watch video
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Sikar News: रींगस में मनी ऐतिहासिक होली, दूल्हे की बारात संग निभाई जाती है यह विशेष परंपरा, देखें वीडियो
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीकर Published by: सीकर ब्यूरो Updated Fri, 14 Mar 2025 11:03 PM IST
देश भर में होली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। जहां एक ओर लोग रंगों में डूबकर इस पर्व का आनंद लिए। वहीं राजस्थान के सीकर जिले के रींगस कस्बे में एक अनूठी और ऐतिहासिक होली मनाई गई। यह होली अन्य जगहों से बिल्कुल अलग रही। क्योंकि यहां पिछले 200 साल से भी अधिक समय से एक विशेष परंपरा का पालन किया जा रहा है। मुर्दे की शवयात्रा और दूल्हे की बारात को एक साथ निकला जाता है।
रींगस कस्बे में होली के दिन सुबह से ही खास उत्सव की शुरुआत होती है। हर साल की तरह इस बार भी गोपीनाथ राजा मंदिर के सामने सुबह नौ बजे से भजन और नाच-गाने का कार्यक्रम होता है। इस दौरान लोग होली के पारंपरिक रसिया और भजनों पर झूमते हैं और पूरे कस्बे में रंगों की बौछार होती है। जैसे-जैसे समय बढ़ता है, उत्सव की धूम बढ़ती जाती है और लोग इसके रंग में पूरी तरह रंग जाते हैं।
शाम को निकलती है शवयात्रा और बारात
सुबह के भजन और नाच-गाने के बाद करीब एक बजे मुर्दे की शव यात्रा और दूल्हे की बारात एक साथ निकलती है। यह दृश्य बहुत ही आकर्षक होता है। क्योंकि शवयात्रा और बारात का एक साथ निकलना अपने आप में एक अनोखा प्रतीक है। इस यात्रा में हजारों लोग शामिल होते हैं और गाजे-बाजे के साथ यह यात्रा आगे बढ़ती है। शवयात्रा का मार्ग दशहरा मैदान के शमशान घाट तक होता है, जहां यह समाप्त होती है।
परंपरा का महत्व
यह परंपरा रींगस कस्बे के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। शवयात्रा समाज में व्याप्त बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का प्रतीक मानी जाती है, जबकि दूल्हे की बारात खुशियों और शुभ अवसरों का प्रतीक होती है। इस तरह से शव यात्रा और दूल्हे की बारात का एक साथ निकलना जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। एक ओर जहां मृत्यु और बुराई का अंत होता है, वहीं दूसरी ओर नए जीवन और खुशियों का आगमन होता है।
यह अनूठी परंपरा न केवल रींगस कस्बे के लोग बल्कि पर्यटक और स्थानीय लोग भी देखना पसंद करते हैं। ऐतिहासिक होली के इस विशेष आयोजन में रींगस वाले लोग खासकर युवा हर साल इस घटना का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित रहते हैं। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
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