बीते 16 साल से वन्य जीव संरक्षण में लगे आबूरोड निवासी चिंटू यादव अब तक 40 हजार से ज्यादा सांपों और 2500 से ज्यादा अजगरों का रेस्क्यू कर चुके हैं। इसके अलावा मगरमच्छ, तेंदुए और भालुओं सहित अन्य वन्यजीवों को भी बचाने का कार्य भी वे कर चुके हैं। चिंटू का प्रयास केवल इन जीवों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे आमजन को भी वन्यजीवों के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके इस उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें स्थानीय और जिला स्तर पर सम्मानित भी किया गया है।
वर्ष 2009 में चिंटू ने यह संकल्प लिया था कि वे आबादी क्षेत्रों में आने वाले सांपों और अजगरों को पकड़कर जंगल में सुरक्षित छोड़ेंगे। उन्होंने बताया कि पहले जब कोई सांप या अजगर रिहायशी इलाके में आ जाता था, तो लोग उसे मार देते थे। घायल सांपों की हालत देखकर उन्हें पीड़ा होती थी, इसलिए उन्होंने इनका बचाव करने की ठानी। शुरुआती दौर में वे खुद इन सांपों का इलाज करते और फिर उन्हें जंगल में छोड़ देते थे। धीरे-धीरे लोगों को उनके कार्य के बारे में जानकारी मिली और वे उन्हें सांपों के रेस्क्यू के लिए बुलाने लगे।
अब यह कार्य उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। साल 2020 से वे आबूरोड में रहकर शहर और आसपास के इलाकों में सक्रिय रूप से वन्यजीवों को बचाने का कार्य कर रहे हैं। पिछले 16 साल में वे 40 हजार से अधिक सांपों, 2500 से ज्यादा अजगरों, 8 मगरमच्छों, 1 तेंदुए और 2 भालुओं का सुरक्षित रेस्क्यू कर चुके हैं।
उनके काम को देखते हुए उन्हें 2014 में रेडियो मधुबन और 2023 में जिला स्तर पर सम्मानित किया गया। वे वन्यजीव संरक्षण के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए विभिन्न स्कूलों और आंतरिक सुरक्षा अकादमी में जागरूकता कार्यक्रम भी चला चुके हैं।
चिंटू का कहना है कि यदि किसी को सांप काट ले तो घबराने की जरूरत नहीं होती। अंधविश्वास में पड़ने के बजाय तुरंत नजदीकी अस्पताल में इलाज कराना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे हालात में व्यक्ति को पानी नहीं पिलाना चाहिए और अधिक हिलने-डुलने से बचना चाहिए, ताकि जहर शरीर में तेजी से न फैले। उनका प्रयास केवल सांपों और अजगरों को बचाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे आमजन को भी वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं।