राजस्थान की धरती प्राचीन सभ्यताओं की खोज के लिए जानी जाती है। कालीबंगा और अन्य स्थलों की तरह टोंक जिले के नगरफोर्ट कस्बे में भी एक ऐसी सभ्यता मौजूद है, जो करीब 8000 साल पुरानी मानी जाती है। इसे खेड़ा सभ्यता कहा जाता है। माना जाता है कि यह ईसा से भी पूर्व की है और यहां कभी एक सुनियोजित नगर बसा हुआ था। इस सभ्यता के अवशेष आज भी मिट्टी के भीतर से निकलते हैं, लेकिन विभाग और प्रशासन की अनदेखी के चलते यह अनमोल धरोहर धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है।
मिट्टी धंसने से उजागर हुई प्राचीन दीवार
हाल ही में हुई तेज बारिश के बाद नगरफोर्ट क्षेत्र में मिट्टी धंसने से ईंटों से बना एक पुराना मकान उजागर हुआ। बताया जा रहा है कि यह संरचना खेड़ा सभ्यता का हिस्सा है। कस्बे में यह दीवार चर्चा का विषय बनी हुई है। इससे पहले भी यहां से कई बार ईंटों और दीवारों के अवशेष निकल चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सभ्यता की ईंटें अक्सर लोग अपने घर बनाने के लिए ले जाते हैं।
चोरों की नजर और प्रशासन की अनदेखी
खेड़ा सभ्यता से कई बार सोने-चांदी के सिक्के और अन्य मूल्यवान वस्तुएं मिलने की बातें सामने आ चुकी हैं। अवैध खुदाई के चलते चोरों ने कई गड्ढे खोदकर धरोहर को नुकसान पहुंचाया है। यहां तक कि लोगों ने गुपचुप तरीके से आभूषण भी निकाल लिए। इसके बावजूद विभाग की ओर से न तो सुरक्षा व्यवस्था की गई और न ही इसे संरक्षित करने के ठोस कदम उठाए गए। यही वजह है कि हजारों साल पुरानी यह धरोहर धीरे-धीरे लुप्त हो रही है।
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सभ्यता के नष्ट होने की गाथा
इतिहासकारों के अनुसार, कहा जाता है कि इस नगर के राजा मुचुकुंद के वैभव से दावन और राक्षस ईर्ष्या रखते थे। उनकी बेटी की शादी के दौरान कुछ अनिष्ट हुआ और इसके बाद टकराव अथवा किसी प्राकृतिक आपदा ने इस सभ्यता को नष्ट कर दिया। हालांकि इसकी ऐतिहासिक पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्वालामुखी जैसी आपदाओं ने भी इसके विनाश में भूमिका निभाई होगी। प्रसिद्ध पुरातत्वविद कार्लाइल के मुताबिक, यह क्षेत्र एक किलेदार प्राचीन नगर था जो ईसाई युग से 100 वर्ष पहले का हो सकता है।
मालवों की राजधानी रहा करकोट नगर
इतिहास में इस क्षेत्र को नगर या करकोट नगर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि यह कभी मालवों की राजधानी था। वर्तमान में यह टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में आता है। प्राचीन नगर की भव्यता और इसके अवशेष आज भी इसके गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं।
बचाव के प्रयास जरूरी
खेड़ा सभ्यता का इतिहास राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर में एक अहम स्थान रखता है। लेकिन लगातार उपेक्षा और असुरक्षा के चलते यह सभ्यता खतरे में है। स्थानीय लोग और इतिहास प्रेमी अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस धरोहर से रूबरू हो सकें।
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