उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग एक बार फिर जोर पकड़ चुकी है। उदयपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को न्यायालय परिसर के बाहर प्रदर्शन करते हुए न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की सुगबुगाहट से नाराज अधिवक्ताओं ने कोर्ट चौराहा पर टायर जलाकर विरोध जताया और सरकार से जल्द उदयपुर में बेंच स्थापित करने की मांग की।
अधिवक्ताओं का कहना है कि मेवाड़-वागड़ क्षेत्र के लोग न्याय के लिए लंबे समय से भटक रहे हैं। यहां से जोधपुर या जयपुर तक जाना न केवल महंगा साबित होता है, बल्कि समय की भी बड़ी बर्बादी होती है। पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठ रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद इस मुद्दे को टाला जा रहा है।
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हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के बयान के बाद वकीलों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकार यदि बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने पर विचार कर सकती है तो उदयपुर जैसे बड़े संभाग की अनदेखी क्यों की जा रही है। उदयपुर न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आदिवासी क्षेत्र और दक्षिण राजस्थान की बड़ी आबादी का केंद्र है। यहां हाईकोर्ट बेंच बनने से सिरोही, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जिलों के लोगों को राहत मिलेगी।
बार एसोसिएशन के महासचिव महावीर शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते इस मांग पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि अधिवक्ता अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ वकीलों का आंदोलन नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों के न्याय और सुविधा का सवाल है। अधिवक्ताओं ने सरकार से मांग की है कि उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर जल्द सकारात्मक निर्णय लिया जाए, वरना बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।