जिले के आदिवासी बहुल कोटड़ा क्षेत्र के बाखेल गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बार फिर सामने आई है। यहां के ग्रामीण अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार नदी के बीच स्थित चट्टान पर करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि गांव में श्मशान घाट नहीं है। हाल ही में हुई एक मौत के बाद ग्रामीणों ने शव को कंधों पर उठाकर बहती नदी के बीच स्थित चट्टान तक ले जाकर अंतिम संस्कार किया।
ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से श्मशान घाट बनाने की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हर बार उन्हें केवल आश्वासन दिए जाते हैं, जबकि वास्तविक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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बाखेल गांव के लोगों ने बताया कि अंतिम संस्कार के समय उन्हें भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। नदी के पार जाकर शव को सुरक्षित ढंग से चट्टान तक पहुंचाना उनके लिए मुश्किल होता है। बरसात के दिनों में यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और बहाव तेज हो जाता है।
स्थानीय लोग कहते हैं कि श्मशान घाट के अभाव ने उनके सामाजिक और धार्मिक जीवन पर गहरा असर डाला है। गांव के बुजुर्ग और परिवारजन बार-बार प्रशासन से अनुरोध कर चुके हैं कि बाखेल में उचित श्मशान का निर्माण कराया जाए ताकि मृतकों को सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार दिया जा सके। इस मामले के बाद ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार को ऐसी कठिनाई का सामना न करना पड़े।