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पेंटागन: चीनी सेना तकनीकी चोरी के लिए कर रही जासूसी का इस्तेमाल
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: Shilpa Thakur
Updated Fri, 03 May 2019 01:07 PM IST
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
- फोटो : social media
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चीन अपनी सेना को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। हाल ही में जारी हुई पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय) की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सैन्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जासूसों का इस्तेमाल करके आधुनिक तकनीक की चोरी कर रहा है।
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पेंटागन ने चीनी सेना को लेकर ये रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है, "विदेशी सैन्य और दोहरे उपयोग वाली तकनीक को पाने के लिए चीन कई तरीकों का इस्तेमाल करता है। इसके लिए विदेशी निवेश, साइबर चोरी, खुफिया सेवाओं का इस्तेमाल, कंप्यूटर तकनीक और अन्य अवैध तरीके शामिल हैं।"
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सीएनएन में छपी रिपोर्ट के अनुसार "चीन विदेशी तकनीक को पाने के लिए आयात, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी अनुसंधान और विकास केंद्रों की स्थापना, अनुसंधान और शैक्षणिक पार्टनरशिप, टैलेंट की भर्ती, उद्योग एवं साइबर स्पेस का इस्तेमाल भी करता है।"
जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा है कि जो अमेरिकी कंपनियां चीन में व्यापार कर रही हैं, वह वास्तव में चीनी सेना को फायदा पहुंचा रही हैं। उन्होंने ये बात समझाने के लिए गूगल का उदाहरण भी दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने इन तकनीकों का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका से संवेदनशील, दोहरे उपयोग या सैन्य-ग्रेड उपकरण तकनीक प्राप्त करने के लिए किया था। जिसमें विमानन और एंटी पनडुब्बी युद्ध तकनीक शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपने नागरिकों के साथ शोषण करता है, साथ ही वह विदेश में रह रहे चीनी नागरिकों को भी प्रताड़ित करता है। चीन इन लोगों को उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ब्लैकमेल से लेकर बलप्रयोग तक करने को कहता है।
हाल ही में चीन ने उन्नत हथियारों का परीक्षण किया है। जिसमें हाईपरसॉनिक मिसाइल और कई गुना तेज गति से चलने वाले हथियार शामिल हैं। चीन ने अपनी सैन्य क्षमता में तो बढ़ोतरी की ही है, साथ ही उसने अपने सैन्य बजट को भी काफी बढ़ाया है। बीते दस सालों में चीन ने सैन्य बजट में दोगुना वृद्धि की है। चीन अपनी नौसेना को भी काफी विकसित कर चुका है। वह कई सैन्य हथियारों पर इस वक्त काम कर रहा है।
चीन ऐसे पैंतरे अपना रहा है जिससे वह बिना किसी लड़ाई के दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण स्थापित कर सके। चीन का मानना है कि दक्षिण चीन सागर पर अंतर्राष्ट्रीय सैन्य उपस्थिति उसकी संप्रभुता के लिए एक चुनौती है।