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F-35 फाइटर जेट: क्या पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान पूरी करेगा भारत की जरूरतें; जानें क्या खासियत, कमियां कितनी
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 14 Feb 2025 05:27 PM IST
सार
एफ-35 फाइटर जेट है क्या? इसकी क्या खूबियां हैं? इसमें कमियां कितनी हैं? इसके अलावा अभी किन-किन देशों की वायुसेनाएं इस फाइटर जेट का इस्तेमाल कर रही हैं? इसका रखरखाव और कीमत कितनी होगी? भारत को इसके जरिए कौन से हथियार मिल सकते हैं? आइये जानते हैं...
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एफ-35 फाइटर जेट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर एक अहम घोषणा की है। पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, 'इस साल से हम भारत को अरबों डॉलर के सैन्य उपकरण बेचने जा रहे हैं। हम भारत को भविष्य में F-35 लड़ाकू विमान देने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहे हैं।' माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन अब भारत को F-35 लड़ाकू विमान देने का रास्ता भी साफ कर रहा है।
एफ-35 फाइटर जेट है क्या? इसकी क्या खूबियां हैं? इसमें कमियां कितनी हैं? इसके अलावा अभी किन-किन देशों की वायुसेनाएं इस फाइटर जेट का इस्तेमाल कर रही हैं? इसका रखरखाव और कीमत कितनी होगी? भारत को इसके जरिए कौन से हथियार मिल सकते हैं? आइये जानते हैं...
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एफ-35 फाइटर जेट है क्या? इसकी क्या खूबियां हैं? इसमें कमियां कितनी हैं? इसके अलावा अभी किन-किन देशों की वायुसेनाएं इस फाइटर जेट का इस्तेमाल कर रही हैं? इसका रखरखाव और कीमत कितनी होगी? भारत को इसके जरिए कौन से हथियार मिल सकते हैं? आइये जानते हैं...
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एफ-35 फाइटर जेट की खासियत क्या-क्या हैं?
स्टेल्थ तकनीक: एफ-35 लड़ाकू विमान अपनी आवाज से तेज गति की वजह से दुश्मन के रडार में आसानी से पकड़ में नहीं आता। दरअसल, स्टेल्थ विमान होने की वजह से इसकी रफ्तार 1.6 मैक (करीब 1930 किमी/घंटे तक पहुंच जाती है। इस रफ्तार में कई आधुनिक रडार भी विमान का पता नहीं लगा पातीं।
आधुनिक सेंसर: एफ-35 बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अपने इस लड़ाकू विमान में आधुनिक सेंसर इस्तेमाल किए हैं। इसके चलते यह फाइटर जेट अपने ऊपर किए जाने वाले हमलों को लगभग तुरंत पहचान कर पलटवार की क्षमता रखता है।
नेटवर्क आधारित युद्धक: एफ-35 का नेटवर्क सिस्टम इसके नियंत्रण से जुड़ी हर जानकारी जमीन आधारित संपर्क केंद्र में पहुंचती है। इसके अलावा यह विमान अभियान के दौरान ही जरूरी जानकारियां करीब के लड़ाकू विमानों तक भी पहुंचा सकता है।
स्टेल्थ तकनीक: एफ-35 लड़ाकू विमान अपनी आवाज से तेज गति की वजह से दुश्मन के रडार में आसानी से पकड़ में नहीं आता। दरअसल, स्टेल्थ विमान होने की वजह से इसकी रफ्तार 1.6 मैक (करीब 1930 किमी/घंटे तक पहुंच जाती है। इस रफ्तार में कई आधुनिक रडार भी विमान का पता नहीं लगा पातीं।
आधुनिक सेंसर: एफ-35 बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अपने इस लड़ाकू विमान में आधुनिक सेंसर इस्तेमाल किए हैं। इसके चलते यह फाइटर जेट अपने ऊपर किए जाने वाले हमलों को लगभग तुरंत पहचान कर पलटवार की क्षमता रखता है।
नेटवर्क आधारित युद्धक: एफ-35 का नेटवर्क सिस्टम इसके नियंत्रण से जुड़ी हर जानकारी जमीन आधारित संपर्क केंद्र में पहुंचती है। इसके अलावा यह विमान अभियान के दौरान ही जरूरी जानकारियां करीब के लड़ाकू विमानों तक भी पहुंचा सकता है।
हथियार प्रणाली: एफ-35 में अमेरिका की कुछ सबसे घातक एयर-टू-एयर मिसाइलें और एयर-टू-ग्राउंड बम लगाए गए हैं। इसके अलावा जेट में एक 25 मिमी की क्षमता वाली आर्टिलरी का भी इस्तेमाल किया गया है। एफ-35ए को परमाणु बम ले जाने की मंजूरी भी दी जा चुकी है।
हेलमेट पर लगा डिस्प्ले सिस्टम: एफ-35 का सबसे खतरनाक पहलू है इसके पायलट को मिलने वाला हेलमेट सिस्टम, जो कि अपने आप में एक कंप्यूटर है। किसी भी अभियान के दौरान पायलट को लड़ाकू विमान के डैशबोर्ड में नहीं देखना पड़ता। बल्कि उन्हें मिलने वाले हेलमेट में ही आसपास का 360 डिग्री व्यू और नियंत्रण पैनल अपने आप मौजूद रहता है। इसके अलावा इस हेलमेट के जरिए पायलट नाइट विजन का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे रात में चलने वाले अभियान आसान हो जाते हैं।
हेलमेट पर लगा डिस्प्ले सिस्टम: एफ-35 का सबसे खतरनाक पहलू है इसके पायलट को मिलने वाला हेलमेट सिस्टम, जो कि अपने आप में एक कंप्यूटर है। किसी भी अभियान के दौरान पायलट को लड़ाकू विमान के डैशबोर्ड में नहीं देखना पड़ता। बल्कि उन्हें मिलने वाले हेलमेट में ही आसपास का 360 डिग्री व्यू और नियंत्रण पैनल अपने आप मौजूद रहता है। इसके अलावा इस हेलमेट के जरिए पायलट नाइट विजन का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे रात में चलने वाले अभियान आसान हो जाते हैं।
कैसे अस्तित्व में आया एफ-35, अभी कितने संस्करण मौजूद?
- 1980-90 के दौर में पहली बार अमेरिका ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत को समझते हुए जॉइंट स्ट्राइक फाइटर (जेएसएफ) कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके तहत रिसर्च एंड डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किए गए और करीब 20 साल बाद अमेरिका को पहली बार जमीन पर एफ-35 पाइटर जेट मिला।
- अमेरिकी वायुसेना ने एफ-35 के पहले वर्जन को 2006 में पहली बार उड़ाया था। इसके बाद एफ-35 का अगला संस्करण एफ-35बी स्टेल्थ जेट सबसे पहले अमेरिकी मरीन कोर को सौंपा गया और अमेरिकी सेना में औपचारिक तौर पर इसकी सेवाएं शुरू हुईं।
- एफ-35 का अगला वर्जन एफ-35ए अगस्त 2016 में अमेरिकी वायुसेना को सौंपा गया। इसमें एफ-35बी के मुकाबले कुछ अहम बदलाव किए गए थे। वहीं, अमेरिकी नौसेना को फरवरी 2019 में एफ-35सी दिया गया। इन तीनों वर्जन को थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अभियानों के हिसाब से अलग-अलग तैयार किया गया।
अभी किन देशों के पास मौजूद है एफ-35?
एफ-35 जब पहली बार अमेरिकी सेना में शामिल हुआ, तब इसे दुनिया का सबसे आधुनिक फाइटर जेट कहा जाने लगा। अमेरिकी सरकार ने भी लॉकहीड मार्टिन का समर्थन करते हुए कई पश्चिमी देशों को इसे खरीदने के लिए तैयार कर लिया। शुरुआत में अमेरिका ने एफ-35 कार्यक्रम के लिए 9 देशों को साझेदार बनाया। इन देशों को एफ-35 सबसे पहले मुहैया कराया गया।
एफ-35 जब पहली बार अमेरिकी सेना में शामिल हुआ, तब इसे दुनिया का सबसे आधुनिक फाइटर जेट कहा जाने लगा। अमेरिकी सरकार ने भी लॉकहीड मार्टिन का समर्थन करते हुए कई पश्चिमी देशों को इसे खरीदने के लिए तैयार कर लिया। शुरुआत में अमेरिका ने एफ-35 कार्यक्रम के लिए 9 देशों को साझेदार बनाया। इन देशों को एफ-35 सबसे पहले मुहैया कराया गया।
कई हादसों का शिकार भी हुआ है एफ-35
एफ-35 लड़ाकू विमान अब तक कई बार हादसों का शिकार हो चुके हैं। अमेरिकी मीडिया समूहों पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 2014 से लेकर अब तक एफ-35 लड़ाकू विमान के अलग-अलग संस्करण 15 बड़ी दुर्घटनाओं के शिकार हो चुके हैं। यानी 11 वर्षों में 15 हादसे।
अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों के साथ हुई इन बड़ी घटनाओं के अलावा अन्य देशों को दिए गए एफ-35 भी हादसे का शिकार हो चुके हैं। इनमें ब्रिटेन, जापान, नॉर्वे और इटली में इस फाइटर जेट को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, इनमें से अधिकतर हादसे इंजन की खराबी या सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से हुए। इतना ही नहीं कई बार पायलट की गलती और तकनीकी खराबी की वजह से भी एफ-35 दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं।
एफ-35 लड़ाकू विमान अब तक कई बार हादसों का शिकार हो चुके हैं। अमेरिकी मीडिया समूहों पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 2014 से लेकर अब तक एफ-35 लड़ाकू विमान के अलग-अलग संस्करण 15 बड़ी दुर्घटनाओं के शिकार हो चुके हैं। यानी 11 वर्षों में 15 हादसे।
अमेरिकी एफ-35 लड़ाकू विमानों के साथ हुई इन बड़ी घटनाओं के अलावा अन्य देशों को दिए गए एफ-35 भी हादसे का शिकार हो चुके हैं। इनमें ब्रिटेन, जापान, नॉर्वे और इटली में इस फाइटर जेट को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, इनमें से अधिकतर हादसे इंजन की खराबी या सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से हुए। इतना ही नहीं कई बार पायलट की गलती और तकनीकी खराबी की वजह से भी एफ-35 दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं।
क्या है एफ-35 लड़ाकू विमान की कीमत?
एफ-35 लड़ाकू विमानों को खरीदने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है इनकी कीमत। दरअसल, एफ-35 लाइटनिंग स्ट्राइक-II के तीनों वर्जन बेहद महंगे हैं। जहां एफ-35ए को वायुसेना के लिए डिजाइन किया गया है, वहीं एफ-35बी थलसेना की मदद के लिए है। वहीं एफ-35सी नौसेना के लिए बनाया गया है।
एफ-35 लड़ाकू विमानों को खरीदने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है इनकी कीमत। दरअसल, एफ-35 लाइटनिंग स्ट्राइक-II के तीनों वर्जन बेहद महंगे हैं। जहां एफ-35ए को वायुसेना के लिए डिजाइन किया गया है, वहीं एफ-35बी थलसेना की मदद के लिए है। वहीं एफ-35सी नौसेना के लिए बनाया गया है।
- एफ-35ए: पारंपरिक टेकऑफ और लैंडिंग (CTOL) संस्करण। मुख्य रूप से अमेरिकी वायुसेना और सहयोगी देशों के लिए।
- एफ-35बी: शॉर्ट टेकऑफ/वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) संस्करण, अमेरिकी मरीन कोर के लिए। जो छोटे एयरस्ट्रिप से उड़ान भरने में सक्षम।
- एफ-35सी: एयरक्राफ्ट कैरियर आधारित (CATOBAR) संस्करण, जिसे अमेरिकी नौसेना के विमान वाहक पोतों से संचालन के लिए डिजाइन किया गया।
लॉकहीड मार्टिन ने इन तीनों वर्जन की कीमतें भी अलग-अलग रखी हैं। जहां एफ-35ए सबसे कम 8 करोड़ डॉलर में खरीदा जा सकता है, तो वहीं एफ-35बी की कीमत करीब 10 करोड़ डॉलर रखी गई है। वहीं, एफ-35सी 9-10 करोड़ डॉलर में बेचा जाता है।
हालांकि, एफ-35 की कीमतें सिर्फ इन्हें खरीदे जाने तक सीमित नहीं हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाले हथियारों के लिए लॉकहीड मार्टिन अलग से ऑर्डर लेता है। साथ ही इनकी उड़ान के भी अलग-अलग खर्च हैं। अमेरिका के सरकारी जवाबदेही कार्यालय (GAO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफ-35 को एक घंटे उड़ाने में 40 हजार डॉलर (करीब 32-36 लाख रुपये) का खर्च आता है।
हालांकि, एफ-35 की कीमतें सिर्फ इन्हें खरीदे जाने तक सीमित नहीं हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाले हथियारों के लिए लॉकहीड मार्टिन अलग से ऑर्डर लेता है। साथ ही इनकी उड़ान के भी अलग-अलग खर्च हैं। अमेरिका के सरकारी जवाबदेही कार्यालय (GAO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफ-35 को एक घंटे उड़ाने में 40 हजार डॉलर (करीब 32-36 लाख रुपये) का खर्च आता है।
एफ-35 की आपूर्ति ही पूरी नहीं कर पा रहा अमेरिका
लॉकहीड मार्टिन के एफ-35 को अलग-अलग देशों को बेचे जाने की रफ्तार तो काफी तेज रही है, लेकिन कंपनी ऑर्डर के मुताबिक, इनकी आपूर्ति तक पूरी नहीं कर पा रही। GAO की रिपोर्ट में ही कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में एफ-35 लड़ाकू विमानों की उपलब्धता में जबरदस्त गिरावट आई है। इसके तीनों ही वर्जन में से कोई भी अपने निर्धारित उपलब्धता लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सका है। लॉकहीड मार्टिन ने ऑर्डर मिलने के बाद कम समय में 80 फीसदी विमान उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, कंपनी अभी 50-60% उपलब्धता पर काम कर रही है।
लॉकहीड मार्टिन के एफ-35 को अलग-अलग देशों को बेचे जाने की रफ्तार तो काफी तेज रही है, लेकिन कंपनी ऑर्डर के मुताबिक, इनकी आपूर्ति तक पूरी नहीं कर पा रही। GAO की रिपोर्ट में ही कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में एफ-35 लड़ाकू विमानों की उपलब्धता में जबरदस्त गिरावट आई है। इसके तीनों ही वर्जन में से कोई भी अपने निर्धारित उपलब्धता लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सका है। लॉकहीड मार्टिन ने ऑर्डर मिलने के बाद कम समय में 80 फीसदी विमान उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, कंपनी अभी 50-60% उपलब्धता पर काम कर रही है।
अमेरिका में करीब 50% एफ-35 ही ऑपरेशन के लिए हर वक्त मौजूद
2023 तक, अमेरिकी वायुसेना के एफ-35A बेड़े की मिशन सक्षम दर (Mission Capable Rate) 51.9% है। इसका मतलब यह है कि लगभग 48.1% विमान किसी भी समय सेवा के लिए मौजूद नहीं होते हैं। यह दर 2022 के 56% उपलब्धता के मुकाबले काफी कम है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि एफ-35 के स्पेयर पार्ट्स भी जल्द उपलब्ध नहीं होते।
2023 तक, अमेरिकी वायुसेना के एफ-35A बेड़े की मिशन सक्षम दर (Mission Capable Rate) 51.9% है। इसका मतलब यह है कि लगभग 48.1% विमान किसी भी समय सेवा के लिए मौजूद नहीं होते हैं। यह दर 2022 के 56% उपलब्धता के मुकाबले काफी कम है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि एफ-35 के स्पेयर पार्ट्स भी जल्द उपलब्ध नहीं होते।
सालाना रखरखाव और रिपेयरिंग भी जबरदस्त महंगी
एफ-35 लड़ाकू विमानों के रखरखाव और रिपेयरिंग का खर्च भी काफी ज्यादा है।
इसके अलावा सालाना रखरखाव में प्रत्येक एफ-35 पर करीब 40 लाख डॉलर का खर्च आता है। अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने पूरे जीवनकाल में एक एफ-35 कई करोड़ों डॉलर के खर्च से संचालित होता है।
एफ-35 लड़ाकू विमानों के रखरखाव और रिपेयरिंग का खर्च भी काफी ज्यादा है।
इसके अलावा सालाना रखरखाव में प्रत्येक एफ-35 पर करीब 40 लाख डॉलर का खर्च आता है। अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने पूरे जीवनकाल में एक एफ-35 कई करोड़ों डॉलर के खर्च से संचालित होता है।