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TTP: कौन है नूर वली महसूद, जिसकी वजह से अफगानिस्तान का दुश्मन बना पाकिस्तान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, काबुल Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 17 Oct 2025 09:51 AM IST
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सार

पाकिस्तान की शिकायत है कि नूर वली महसूद और टीटीपी के कई शीर्ष आतंकी अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं। वहीं अफगानिस्तान का तालिबान प्रशासन, पाकिस्तान पर उसके मुख्य प्रतिद्वंदी संगठन इस्लामिक स्टेट को पाकिस्तान में पनाह देने का आरोप लगाता है। 

who is TTP Chief noor wali mehsud why he attack pakistan afghanistan clash
नूर वली महसूद - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव है। हाल ही में दोनों देशों के बीच सीमा पर लड़ाई छिड़ गई और यह दशकों में दोनों देशों के बीच सीमा पर हुआ सबसे गंभीर टकराव है। दरअसल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हिंसक झड़प के पीछे एक शख्स है, जो है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का मुखिया नूर वली महसूद। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी उसकी धरती पर हमलों को अंजाम देता है और उसके नेताओं को अफगानिस्तान का समर्थन मिला हुआ है। हालांकि अफगानिस्तान ने इससे इनकार किया है।
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नूर वली महसूद को ही निशाना बनाकर पाकिस्तान ने काबुल में किया था हमला
गौरतलब है कि बीते दिनों पाकिस्तान ने काबुल में टीटीपी चीफ नूर वली महसूद को निशाना बनाकर एक लैंड क्रूजर गाड़ी को निशाना बनाकर हवाई हमला किया था। हालांकि कई चरमपंथी नेताओं का दावा है कि इस हमले में नूर वली महसूद बाल-बाल बच गया। पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हमले के बाद नूर वली महसूद ने एक ऑडियो संदेश भी जारी किया है। इस हमले की वजह से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सीमा पर हिंसक झड़प हुई। पाकिस्तान की शिकायत है कि नूर वली महसूद और टीटीपी के कई शीर्ष आतंकी अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं। वहीं अफगानिस्तान का तालिबान प्रशासन, पाकिस्तान पर उसके मुख्य प्रतिद्वंदी संगठन इस्लामिक स्टेट को पाकिस्तान में पनाह देने का आरोप लगाता है। 
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टीटीपी को किया मजबूत
नूर वली महसूद का जन्म पाकिस्तान में हुआ और उसने साल 2018 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का नेतृत्व संभाला था। टीटीपी के तीन पूर्व शीर्ष नेताओं की अमेरिकी हमले में मौत के बाद नूर वली ने संगठन की जिम्मेदारी संभाली। विश्लेषकों का कहना है कि नूर वली ने ही टीटीपी को फिर से खड़ा किया और मजबूत बनाया। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद टीटीपी को फायदा हुआ और उसे अफगानिस्तान में बेस और हथियार मिले। जिनके दम पर टीटीपी ने पाकिस्तान पर आतंकी हमले शुरू किए, खासकर अफगानिस्तान से लगते पाकिस्तान के इलाकों में हमले बढ़े हैं।

ये भी पढ़ें- Afghanistan: तालिबान का दावा- पाकिस्तान ने ड्रोन से किया बड़ा हमला, बाजार और घर को बनाया निशाना; पांच की मौत

कई किताबों का लेखक, पश्तून समर्थक
नूर वली महसूद ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और कूटनीतिक युद्धकौशल से विरोधी गुटों को एकजुट किया। नूर वली एक प्रशिक्षित धार्मिक विद्वान है और वैचारिक तौर पर भी काफी सुलझा हुआ है। महसूद धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़ता है। उसने तीन किताबें लिखी हैं, जिनमें 700 पन्नों का एक धार्मिक ग्रंथ भी शामिल है। नूर वली महसूद का दावा है कि उनका संगठन ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से विद्रोह करता आ रहा है। महसूद पश्तून जातीय समूह से ताल्लुक रखता है, जो उत्तर पश्चिम पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहते हैं। अफगान तालिबान भी मुख्यतः पश्तून ही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नूर वली महसूद तालिबान की तरह ही पाकिस्तान के अफगानिस्तान से लगते कुछ इलाकों में समानांतर सरकार चलाना चाहता है। हालांकि पाकिस्तानी सेना और सरकार इसके खिलाफ है। 

पाकिस्तानी सेना को बताता है इस्लाम विरोधी
टीटीपी ने पूर्व में पाकिस्तान में मस्जिदों और बाजारों को निशाना बनाया। साल 2014 में पाकिस्तान के आर्मी स्कूल पर हुए हमले के पीछे भी टीटीपी का हाथ था। बाद में महसूद के निर्देश पर ही टीटीपी ने नागरिकों को निशाना बनाना बंद किया क्योंकि उन्हें आशंका थी कि इससे पाकिस्तानी जनता में आक्रोश बढ़ेगा। महसूद के निर्देश पर ही अब टीटीपी के निशाने पर पाकिस्तानी सेना और पुलिस है। नूर वली महसूद का कहना है कि पाकिस्तानी सेना इस्लाम विरोधी है और पाकिस्तान की राजनीति में भी पाकिस्तानी सेना के दखल का वह विरोध करता है। वहीं पाकिस्तानी सेना का कहना है कि टीटीपी ने इस्लाम को विकृत किया है। पाकिस्तानी सेना भारत पर टीटीपी को समर्थन देने का आरोप लगाती है, लेकिन नई दिल्ली ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। 

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