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अगर वाहन में आती है कोई खराबी, तो रिकॉल के लिए सरकार बनाने जा रही है नए नियम

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 30 Sep 2020 05:46 PM IST
सार

अगर किसी कार की सालाना बिक्री 500 यूनिट्स है और 100 यूनिट्स में शिकायतें (20 फीसदी) आती हैं तो यह परिवहन मंत्रालय के लिए रिकॉल प्रक्रिया शुरू करने के लिए काफी है।...

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Government is going to Finalize new vehicle recall policy in india
फाइल फोटो - फोटो : PTI
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विस्तार
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों की रिकॉल को लेकर नया फॉर्मूला तैयार किया है। नए फॉर्मूले के तहत केवल उन्हीं वाहनों के उन खास मॉडल्स को ही रिकॉल किया जा सकेगा जिनमें एक समान खराबी होगी। खबरों के मुताबिक सरकार का कहना है कि समान दोषों की शिकायत होने पर वाहन को रिकॉल करना होगा।

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शिकायतों के आधार पर होगा फैसला

इसमें खास बात यह होगी कि रिकॉल का कदम तभी उठाया जाएगा जब उस खास मॉडल की गाड़ियों को लेकर ग्राहकों से कितनी शिकायतें मिली हैं, साथ ही उसकी सालाना बिक्री की भी समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा सात साल तक के वाहनों को ही रिकॉल किया जा सकेगा, जो उसकी निर्माण तिथि, आयात से लागू होगा। वहीं सबसे ज्यादा बिकने वाले वाहनों में रिक़ॉल की शिकायतें आमतौर पर कम होती हैं।

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ऑटो इंड्स्ट्री के साथ होगी बैठक

वहीं वाहनों के स्वैच्छिक या अनिवार्य रूप से वापस बुलाने वाले नए प्रावधानों को संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट का हिस्सा बनाया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नए संशोधित
फॉर्मूले को सहमति दे दी है, जिसके लिए जल्द ही अधिसूचना जारी की जा सकती है। सरकार इसके लिए ऑटो इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ बैठ कर इसके नियमों पर अंतिम मुहर लगाएगी।

बिक्री के आधार पर फैसला

अगर किसी कार की सालाना बिक्री 500 यूनिट्स है और 100 यूनिट्स में शिकायतें (20 फीसदी) आती हैं तो परिवहन मंत्रालय के लिए रिकॉल प्रक्रिया शुरू करने के लिए काफी है। वहीं दूसरे परिदृश्य में गाड़ी की बिक्री 10 हजार यूनिट्स से ज्यादा है, तो रिकॉल करने के लिए कम से कम 1050 शिकायतों का होना जरूरी है। वहीं अगर बिक्री 10 हजार से ज्यादा है, तो कम से कम 1250 शिकायतें वाहन को वापस बुलाने के लिए जरूरी हैं।

सभी श्रेणी के वाहनों पर एक समान नियम

यही फॉर्मूला दो-पहिया और तिपहिया के अलावा क्वॉड्रीसाइकिल्स पर भी लागू होगा। इसके अलावा बड़े यात्री वाहनों, बसों और ट्रकों सहित अन्य श्रेणियों के वाहनों के लिए एक समान फॉर्मूला लागू होगा। इस श्रेणी के लिए, सालाना बिक्री की केवल तीन फीसदी शिकायतें ही वापस लेने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पर्याप्त होंगी।

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