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Bihar Politics: RJD नेता ने बिहार चुनाव की गड़बड़ियों पर सरकार को घेरा, बैलेट पेपर से चुनाव की मांग
न्यूज डेस्क,अमर उजाला, औरंगाबाद
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Tue, 09 Dec 2025 09:51 PM IST
सार
लोकसभा में राजद संसदीय दल के नेता और औरंगाबाद सांसद अभय कुमार सिंहा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हुई चुनावी अनियमितताओं, सरकारी दुरुपयोग और चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर कड़ा रुख अपनाया।
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औरंगाबाद के सांसद अभय कुमार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान राजद संसदीय दल के नेता और औरंगाबाद के सांसद अभय कुमार सिंह उर्फ अभय कुशवाहा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हुई गड़बड़ियों, सरकारी दुरुपयोग और चुनाव आयोग की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “जिस बिहार को लोकतंत्र की मां कहा जाता है, वही आज गहरे चुनावी संकट में फंसा हुआ है।”
मंत्री के ‘परिवारवाद’ वाले आरोप पर तीखा जवाब
चर्चा के दौरान जब संबंधित मंत्री चुनाव सुधार के मुद्दे से हटकर परिवारवाद का आरोप लगाने लगे, तो सांसद अभय सिंहा ने कड़ा प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा, “अगर परिवारवाद देखना है तो एनडीए के भीतर देखिए। पति-पत्नी, समधी-समधन, ससुर-पोते, मामा-भांजे—सबको टिकट दिया गया है। और सरकार बनने पर ऐसे व्यक्ति को मंत्री बनाया गया जो विधायक भी नहीं है। परिवारवाद का असली केंद्र आपकी गठबंधन राजनीति है।” उन्होंने कहा कि मंत्री जानबूझकर मुद्दे को भटका रहे हैं ताकि असल सवाल—चुनाव सुधार और चुनावी अनियमितताओं—पर बात न हो।
बैलेट पेपर की वापसी की मांग और सरकार को खुली चुनौती
सांसद ने कहा कि जनता का भरोसा अब EVM और VVPAT पर लगातार कम हो रहा है। इसलिए बैलेट पेपर को फिर से लागू करना ज़रूरी है। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा, “अगर आपको अपनी लोकप्रियता और लोकतंत्र की पारदर्शिता पर भरोसा है, तो पश्चिम बंगाल में बैलेट पेपर से चुनाव कराइए। तब देश देखेगा असली फ्री एंड फेयर इलेक्शन क्या होता है।” उन्होंने कहा कि जब बार-बार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं, तो बैलेट पेपर ही एक पारदर्शी विकल्प है, जो जनता का भरोसा मजबूत कर सकता है।
चुनावी अनियमितताओं पर कड़ा रुख
सांसद सिंह ने आरोप लगाया कि 27 अक्टूबर, 31 अक्टूबर और 4 नवंबर को प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों ने साम्प्रदायिक और भड़काऊ भाषण दिए, जो आदर्श आचार संहिता और IPC की धारा 153A का सीधा उल्लंघन था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने सिर्फ “सावधानी” कहकर अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की। समस्तीपुर के सरायरंजन में सड़क पर बड़ी संख्या में मिली VVPAT स्लिप्स पर उन्होंने कहा, “वहां लोकतंत्र सड़क पर बिखरा पड़ा था। अगर ये मॉक पोल स्लिप्स थीं, तो FIR और निलंबन क्यों किया गया?”
सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप
अभय सिंह ने कहा कि जीविका दीदी, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और अन्य सरकारी कर्मचारियों पर एनडीए के पक्ष में काम कराने का दबाव बनाया गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र का सबसे अनैतिक अपमान बताया।
चुनाव में 10 हजार रुपये के ट्रांसफर पर सवाल
सांसद ने कहा कि महिलाओं के खातों में 17 अक्टूबर, 2 नवंबर और 7 नवंबर को 10-10 हजार रुपये भेजे गए, जो आचार संहिता की धारा 7 का स्पष्ट उल्लंघन है और चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया कदम था।
65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए
उन्होंने बताया कि बिहार में 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए, जिनमें ज़्यादातर दलित, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और प्रवासी मजदूर शामिल थे। उन्होंने कहा, “यह जनादेश नहीं था, यह जनादेश का मैनेजमेंट था।”
सांसद अभय कुमार सिंह की मुख्य मांगें
• 100% VVPAT–EVM मिलान
• चुनाव आयोग की नियुक्ति में CJI की भूमिका बहाल हो
• MCC उल्लंघनों पर FIR अनिवार्य
• 10 हजार के चुनावी ट्रांसफर की स्वतंत्र जांच
• सरकारी कर्मचारियों के दुरुपयोग पर कार्रवाई
• वोटर लिस्ट सुधार सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में
• प्रवासी मजदूरों के लिए Remote Voting
• मीडिया और सोशल मीडिया पर नियमन
• विपक्षी शिकायतों पर चुनाव आयोग की जवाबदेही
• बैलेट पेपर की वापसी पर राष्ट्रीय बहस
अंत में सांसद ने कहा, “बिहार की जनता नहीं हारी, व्यवस्था ने जनता को हराया। लेकिन बिहार कभी हार मानने वाला नहीं है। हम लोकतंत्र की असली आवाज़ फिर से स्थापित करेंगे।”
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मंत्री के ‘परिवारवाद’ वाले आरोप पर तीखा जवाब
चर्चा के दौरान जब संबंधित मंत्री चुनाव सुधार के मुद्दे से हटकर परिवारवाद का आरोप लगाने लगे, तो सांसद अभय सिंहा ने कड़ा प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा, “अगर परिवारवाद देखना है तो एनडीए के भीतर देखिए। पति-पत्नी, समधी-समधन, ससुर-पोते, मामा-भांजे—सबको टिकट दिया गया है। और सरकार बनने पर ऐसे व्यक्ति को मंत्री बनाया गया जो विधायक भी नहीं है। परिवारवाद का असली केंद्र आपकी गठबंधन राजनीति है।” उन्होंने कहा कि मंत्री जानबूझकर मुद्दे को भटका रहे हैं ताकि असल सवाल—चुनाव सुधार और चुनावी अनियमितताओं—पर बात न हो।
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बैलेट पेपर की वापसी की मांग और सरकार को खुली चुनौती
सांसद ने कहा कि जनता का भरोसा अब EVM और VVPAT पर लगातार कम हो रहा है। इसलिए बैलेट पेपर को फिर से लागू करना ज़रूरी है। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा, “अगर आपको अपनी लोकप्रियता और लोकतंत्र की पारदर्शिता पर भरोसा है, तो पश्चिम बंगाल में बैलेट पेपर से चुनाव कराइए। तब देश देखेगा असली फ्री एंड फेयर इलेक्शन क्या होता है।” उन्होंने कहा कि जब बार-बार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं, तो बैलेट पेपर ही एक पारदर्शी विकल्प है, जो जनता का भरोसा मजबूत कर सकता है।
चुनावी अनियमितताओं पर कड़ा रुख
सांसद सिंह ने आरोप लगाया कि 27 अक्टूबर, 31 अक्टूबर और 4 नवंबर को प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों ने साम्प्रदायिक और भड़काऊ भाषण दिए, जो आदर्श आचार संहिता और IPC की धारा 153A का सीधा उल्लंघन था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने सिर्फ “सावधानी” कहकर अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की। समस्तीपुर के सरायरंजन में सड़क पर बड़ी संख्या में मिली VVPAT स्लिप्स पर उन्होंने कहा, “वहां लोकतंत्र सड़क पर बिखरा पड़ा था। अगर ये मॉक पोल स्लिप्स थीं, तो FIR और निलंबन क्यों किया गया?”
सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप
अभय सिंह ने कहा कि जीविका दीदी, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और अन्य सरकारी कर्मचारियों पर एनडीए के पक्ष में काम कराने का दबाव बनाया गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र का सबसे अनैतिक अपमान बताया।
चुनाव में 10 हजार रुपये के ट्रांसफर पर सवाल
सांसद ने कहा कि महिलाओं के खातों में 17 अक्टूबर, 2 नवंबर और 7 नवंबर को 10-10 हजार रुपये भेजे गए, जो आचार संहिता की धारा 7 का स्पष्ट उल्लंघन है और चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया कदम था।
65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए
उन्होंने बताया कि बिहार में 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए, जिनमें ज़्यादातर दलित, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और प्रवासी मजदूर शामिल थे। उन्होंने कहा, “यह जनादेश नहीं था, यह जनादेश का मैनेजमेंट था।”
सांसद अभय कुमार सिंह की मुख्य मांगें
• 100% VVPAT–EVM मिलान
• चुनाव आयोग की नियुक्ति में CJI की भूमिका बहाल हो
• MCC उल्लंघनों पर FIR अनिवार्य
• 10 हजार के चुनावी ट्रांसफर की स्वतंत्र जांच
• सरकारी कर्मचारियों के दुरुपयोग पर कार्रवाई
• वोटर लिस्ट सुधार सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में
• प्रवासी मजदूरों के लिए Remote Voting
• मीडिया और सोशल मीडिया पर नियमन
• विपक्षी शिकायतों पर चुनाव आयोग की जवाबदेही
• बैलेट पेपर की वापसी पर राष्ट्रीय बहस
अंत में सांसद ने कहा, “बिहार की जनता नहीं हारी, व्यवस्था ने जनता को हराया। लेकिन बिहार कभी हार मानने वाला नहीं है। हम लोकतंत्र की असली आवाज़ फिर से स्थापित करेंगे।”