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Bihar News: भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार को थाने में टॉर्चर, मामला पहुंचा पटना हाईकोर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Tue, 24 Jun 2025 07:14 PM IST
सार
मधुबनी जिले के हरलाखी थाना क्षेत्र में पत्रकार हरि शम्भू के साथ पुलिस द्वारा की गई कथित बर्बरता और अवैध गिरफ्तारी का मामला अब पटना उच्च न्यायालय पहुंच गया है। पत्रकार ने थानेदार के रिश्वत लेते वीडियो को सार्वजनिक किया था, जिसके बाद उन्हें बिना वारंट घर से उठाकर 22 घंटे थाने में हिरासत में रखा गया।
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पटना हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार में पुलिस तंत्र की कार्यशैली एक बार फिर कठघरे में है। मधुबनी जिले के हरलाखी थाना क्षेत्र के फुलहर गांव निवासी पत्रकार हरि शम्भू की गिरफ्तारी और थाने में उनके साथ कथित अमानवीय व्यवहार के खिलाफ अब पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। पत्रकार ने कुछ सप्ताह पूर्व रिश्वत लेते हुए थाना के एक अधिकारी का वीडियो सार्वजनिक किया था, जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया।
बिना प्राथमिकी और वारंट के घर से उठाया गया पत्रकार
20 जून की रात करीब 8 बजे हरलाखी थानाध्यक्ष अनूप कुमार, अपर थानाध्यक्ष आदित्य कुमार समेत 20 पुलिसकर्मियों की टीम ने पत्रकार हरि शम्भू को उनके घर से बिना किसी पूर्व सूचना, प्राथमिकी या वारंट के हिरासत में ले लिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि इस दौरान पुलिस ने पत्रकार की मां के साथ भी दुर्व्यवहार किया।
22 घंटे की हिरासत, मारपीट और मानसिक उत्पीड़न के आरोप
पत्रकार को करीब 22 घंटे तक थाने में रखा गया, जहां उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने मोबाइल फोन जब्त कर बंदूक की नोक पर जबरन उसका डेटा फॉर्मेट कराया, ताकि रिश्वत से संबंधित डिजिटल सबूत मिटाए जा सकें।
यह भी पढ़ें: पटना में अगले दो दिनों तक भारी बारिश के आसार नहीं, कोसी और बागमती नदी उफान पर
अस्पताल में भर्ती, चिकित्सकीय जांच में चोट के निशान
थाने से रिहा होने के बाद पत्रकार की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें मधुबनी सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में शरीर पर चोट के निशान, सूजन और मानसिक तनाव की पुष्टि की गई है। घटना के बाद पुलिस महानिदेशक विनय कुमार को शिकायत सौंपी गई, जिसके आधार पर एएसआई प्रमोद कुमार और चौकीदार अजय कुमार को निलंबित कर दिया गया। साथ ही, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक एफआईआर भी हरलाखी थाना में दर्ज हुई है।
हाईकोर्ट में याचिका, 20 पुलिसकर्मियों को प्रतिवादी बनाया गया
पत्रकार हरि शम्भू ने अब पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें निवर्तमान डीएसपी निशिकांत भारती, थानाध्यक्ष अनूप कुमार और अपर थानाध्यक्ष आदित्य कुमार सहित कुल 20 पुलिसकर्मियों को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में अवैध गिरफ्तारी, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, महिला से दुर्व्यवहार और डिजिटल साक्ष्य नष्ट करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सोशल मीडिया पर समर्थन, न्यायिक जांच की मांग
घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर पत्रकार हरि शम्भू के समर्थन में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। पत्रकार संगठनों, सामाजिक संस्थाओं और आम जनता द्वारा निष्पक्ष न्यायिक जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
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बिना प्राथमिकी और वारंट के घर से उठाया गया पत्रकार
20 जून की रात करीब 8 बजे हरलाखी थानाध्यक्ष अनूप कुमार, अपर थानाध्यक्ष आदित्य कुमार समेत 20 पुलिसकर्मियों की टीम ने पत्रकार हरि शम्भू को उनके घर से बिना किसी पूर्व सूचना, प्राथमिकी या वारंट के हिरासत में ले लिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि इस दौरान पुलिस ने पत्रकार की मां के साथ भी दुर्व्यवहार किया।
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22 घंटे की हिरासत, मारपीट और मानसिक उत्पीड़न के आरोप
पत्रकार को करीब 22 घंटे तक थाने में रखा गया, जहां उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने मोबाइल फोन जब्त कर बंदूक की नोक पर जबरन उसका डेटा फॉर्मेट कराया, ताकि रिश्वत से संबंधित डिजिटल सबूत मिटाए जा सकें।
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अस्पताल में भर्ती, चिकित्सकीय जांच में चोट के निशान
थाने से रिहा होने के बाद पत्रकार की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें मधुबनी सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में शरीर पर चोट के निशान, सूजन और मानसिक तनाव की पुष्टि की गई है। घटना के बाद पुलिस महानिदेशक विनय कुमार को शिकायत सौंपी गई, जिसके आधार पर एएसआई प्रमोद कुमार और चौकीदार अजय कुमार को निलंबित कर दिया गया। साथ ही, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक एफआईआर भी हरलाखी थाना में दर्ज हुई है।
हाईकोर्ट में याचिका, 20 पुलिसकर्मियों को प्रतिवादी बनाया गया
पत्रकार हरि शम्भू ने अब पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें निवर्तमान डीएसपी निशिकांत भारती, थानाध्यक्ष अनूप कुमार और अपर थानाध्यक्ष आदित्य कुमार सहित कुल 20 पुलिसकर्मियों को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में अवैध गिरफ्तारी, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, महिला से दुर्व्यवहार और डिजिटल साक्ष्य नष्ट करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सोशल मीडिया पर समर्थन, न्यायिक जांच की मांग
घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर पत्रकार हरि शम्भू के समर्थन में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। पत्रकार संगठनों, सामाजिक संस्थाओं और आम जनता द्वारा निष्पक्ष न्यायिक जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।