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Bihar: 33 साल बाद लौटे सुजीत! बचपन में घर छोड़ने वाला बेटा तीन बच्चों संग लौटा, गांव में खुशी की लहर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बेगूसराय
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Sun, 07 Dec 2025 06:08 PM IST
सार
बेगूसराय के हाथीदह गांव के सुजीत कुमार 33 साल बाद अपने परिवार के पास लौटे हैं। 9 साल की उम्र में माता-पिता की डांट से नाराज होकर उन्होंने 15 अगस्त 1992 को घर छोड़ दिया था और देवघर, कोलकाता, दिल्ली होते हुए देहरादून पहुंच गए।
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33 साल बाद घर लौटे सुजीत कुमार
- फोटो : bihar
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विस्तार
बेगूसराय से एक भावुक करने वाली खबर सामने आई है। 33 साल तक अपने घर-परिवार से दूर रहने का दर्द क्या होता है, यह सुजीत कुमार की कहानी बखूबी बयां करती है। उनकी जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं, लेकिन हर पल बिल्कुल सच्चा है। सुजीत कुमार, जिन्होंने सिर्फ 9 साल की उम्र में अपने माता-पिता की डांट से नाराज होकर घर छोड़ दिया था, अब पूरे 33 साल बाद अपने परिवार और तीन बच्चों के साथ नाटकीय अंदाज में वापस लौटे। उनके लौटते ही परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।
मामला बेगूसराय जिले के हाथीदह गांव का है। 15 अगस्त 1992 को स्कूल में झंडा फहराने के बाद सुजीत घर से निकल पड़े और एक ट्रक पर सवार होकर देवघर पहुंच गए। वहां से कोलकाता, दिल्ली और कई शहरों में भटकते रहे। इसी संघर्ष भरी जिंदगी के बीच देहरादून में एक परिवार मिला, जिसने उन्हें बेटे की तरह अपनाया। उसी परिवार के सहारे उन्होंने अपनी नई जिंदगी शुरू की और वहीं घर बसा लिया। उन्हें माता-पिता की कमी कभी महसूस न होने दी गई। 33 साल बीत गए और सुजीत फिर कभी अपने पैतृक घर नहीं लौटे। लेकिन हाल ही में वह बेगूसराय एक मित्र की शादी में आए थे। रास्ते में अपना पुराना घर देखकर उनके मन में माता-पिता से मिलने की इच्छा जागी। घर पहुंचे तो उन्होंने खुद को एक अधिकारी बताकर पिता से मुलाकात की, लेकिन इतने साल बाद पिता भी उन्हें पहचान नहीं पाए। इससे सुजीत थोड़ा निराश होकर शादी समारोह में लौट गए।
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इसी बीच उनकी पत्नी ने ज़िद की कि वह सास-ससुर से मिलना चाहती हैं। जब वे दोबारा घर पहुंचे और सुजीत ने अपने पिता को असली परिचय बताया, तो सभी हैरान रह गए। 33 साल बाद बेटे को सामने देखकर पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिता ने बताया कि बेटे के घर छोड़ने के बाद कई महीनों तक खोजबीन की गई, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो मजबूरी में तलाश बंद करनी पड़ी।
आज सिर्फ उनका बेटा ही नहीं, बल्कि एक संपूर्ण परिवार उनके दरवाजे पर वापस लौटा है। सुजीत की पत्नी और तीनों बच्चे अपने दादा से मिलकर बेहद खुश नजर आए। हालांकि पिता चाहते हैं कि बेटा हमेशा के लिए घर लौट आए, लेकिन बच्चों की पढ़ाई और कारोबार के चलते सुजीत कुमार को परिवार सहित फिर देहरादून वापस जाना है।
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मामला बेगूसराय जिले के हाथीदह गांव का है। 15 अगस्त 1992 को स्कूल में झंडा फहराने के बाद सुजीत घर से निकल पड़े और एक ट्रक पर सवार होकर देवघर पहुंच गए। वहां से कोलकाता, दिल्ली और कई शहरों में भटकते रहे। इसी संघर्ष भरी जिंदगी के बीच देहरादून में एक परिवार मिला, जिसने उन्हें बेटे की तरह अपनाया। उसी परिवार के सहारे उन्होंने अपनी नई जिंदगी शुरू की और वहीं घर बसा लिया। उन्हें माता-पिता की कमी कभी महसूस न होने दी गई। 33 साल बीत गए और सुजीत फिर कभी अपने पैतृक घर नहीं लौटे। लेकिन हाल ही में वह बेगूसराय एक मित्र की शादी में आए थे। रास्ते में अपना पुराना घर देखकर उनके मन में माता-पिता से मिलने की इच्छा जागी। घर पहुंचे तो उन्होंने खुद को एक अधिकारी बताकर पिता से मुलाकात की, लेकिन इतने साल बाद पिता भी उन्हें पहचान नहीं पाए। इससे सुजीत थोड़ा निराश होकर शादी समारोह में लौट गए।
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इसी बीच उनकी पत्नी ने ज़िद की कि वह सास-ससुर से मिलना चाहती हैं। जब वे दोबारा घर पहुंचे और सुजीत ने अपने पिता को असली परिचय बताया, तो सभी हैरान रह गए। 33 साल बाद बेटे को सामने देखकर पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिता ने बताया कि बेटे के घर छोड़ने के बाद कई महीनों तक खोजबीन की गई, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो मजबूरी में तलाश बंद करनी पड़ी।
आज सिर्फ उनका बेटा ही नहीं, बल्कि एक संपूर्ण परिवार उनके दरवाजे पर वापस लौटा है। सुजीत की पत्नी और तीनों बच्चे अपने दादा से मिलकर बेहद खुश नजर आए। हालांकि पिता चाहते हैं कि बेटा हमेशा के लिए घर लौट आए, लेकिन बच्चों की पढ़ाई और कारोबार के चलते सुजीत कुमार को परिवार सहित फिर देहरादून वापस जाना है।