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अच्छी खबर: सड़क दुर्घटना में मुआवजा देने में बिहार देश में पहले स्थान पर, एडीजी ट्रैफिक ने दी जानकारी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Fri, 26 Sep 2025 05:01 PM IST
सार
Bihar News: एडीजी ने कहा कि आम लोगों को एमएसीटी के बारे में समुचित जानकारी होनी चाहिए। सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए यह व्यवस्था की गई है। सड़क दुर्घटना दो श्रेणी की होती है। आगे क्या कहा पढ़ें पूरी खबर
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सांकेतिक
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
बिहार का सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए या मारे गए लोगों को मुआवजा देने में देश में पहला स्थान है। मोटर दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना के अंतर्गत गंभीर चोट लगने पर 50 हजार और मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये देने का प्रावधान है। इसके तहत जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) के पास हिट एंड रन से जुड़े 9 हजार 80 मामले अंतिम अनुमति के लिए भेजे गए हैं, ताकि इन्हें मुआवजा दिलाया जा सके। इसमें अब तक 5 हजार 830 मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है। यह जानकारी एडीजी (ट्रैफिक) सुधांशु कुमार ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
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एडीजी ने कहा कि पिछले डेढ़ से दो साल में 1626 मामलों में 84 करोड़ 19 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। सड़क दुर्घटना से जुड़े मामलों का समय पर निपटारा करने के लिए 10 जिलों पटना, सारण, पूर्णिया, गयाजी, डेहरी, सहरसा, मुंगेर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में एमएसीटी (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण) का गठन किया गया है। इसमें 6 महीने, 9 महीने और अधिकतम 12 महीने में मामलों का निपटारा पूरा करने का प्रावधान किया गया है।
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उन्होंने कहा कि आम लोगों को एमएसीटी के बारे में समुचित जानकारी होनी चाहिए। सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए यह व्यवस्था की गई है। सड़क दुर्घटना दो श्रेणी की होती है। एक मामले में चालक का पता चल जाता है। दूसरे मामले में चालक का पता नहीं चलता है, इन मामलों को हिट एंड रन के तहत दर्ज किए जाते हैं। किसी दुर्घटना के मामले में थाना के स्तर पर फॉर्म-3 भरकर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पुलिस की है। इसके अलावा 90 दिनों में चार्जशीट दायर करने का नियम है, जिसे विस्तृत एक्शन रिपोर्ट कहते हैं। इसके अलावा अंतरिम दुर्घटना रिपोर्ट फॉर्म-5 में भरकर देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि हीट एंड रन के मामले का राष्ट्रीय औसत 25 फीसदी है। जबकि, बिहार का औसत 25 फीसदी है।