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Bihar: 'निर्माताओं की सुविधा के लिए वन विंडो क्लियरेंस रखा गया है', संस्कृति विभाग के सचिव प्रणव कुमार बोले
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Sun, 23 Nov 2025 08:06 PM IST
सार
Bihar: प्रणव कुमार ने कहा कि बिहार की जो छवि बनी थी वह काफी पुरानी बात हो गई है। बिहार में सुरक्षा की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बिहार में जिन्होंने शूटिंग की है उन्हें यह बात पता है। उन्होंने कहा कि बिहार की छवि सिनेमा से बदलने की कोशिश नहीं है, बल्कि यहां फिल्म निर्माण की संस्कृत बनाना मुख्य उद्देश्य है।
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बैठक
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
गोवा में चल रहे 56वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में नॉलेज सीरीज के तहत रूटेड इन रिजन बिहार्स इमर्जिंग सिनेमा (जड़ से जुड़ाव: बिहार में सिनेमा का उदय) विषय पर चर्चा हुई है। इस चर्चा में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम (बिहार फिल्म निगम) के प्रबंध निदेशक और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार (आईएएस), अभिनेत्री, फिल्म प्रोड्यूसर, मॉडल और थियेटर आर्टिस्ट नीतू चंद्रा, इंडियन मोशन पिक्चर एसोसिएसन (इम्पा) के अध्यक्ष और प्रोड्यूसर अभय सिन्हा, अभिनेता विनीत कुमार और निर्माता और अभिनेता विकास कुमार शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन फिल्म इन्फॉर्मेशन के एडिटर कोमल नाहटा ने किया।
फिल्म निगम के प्रबंध निदेशक ने कहा कि बिहार लगातार विकसित हो रहा है और उसी कड़ी में नए पहल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में पहले भी शूटिंग होती थी, लेकिन अब उसे एक व्यवस्थित रूप दिया गया है। बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति बनाने से पहले विभिन्न राज्यों और देश की फिल्म नीतियों का अध्ययन किया गया है और सबकी अच्छी बातों को लेने के साथ ही फिल्म निर्माताओं की खास जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है।
उन्होंने कहा कि बिहार में शूटिंग के लिए प्रोड्यूसर को आकर्षित करने के लिए अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि निर्माताओं की सुविधा के लिए वन विंडो क्लियरेंस रखा गया है। हर जिलों में नोडल अफसर नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नई फिल्म नीति में फिल्म के साथ-साथ वेबसीरीज, टीवी सीरियल और डॉक्यूमेंट्री में भी ये सहूलियतें देने के साथ ही अनुदान की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि बिहार के हर जिले में शूटिंग स्थलों का डेटाबेस बनाया है। जल्द ही इन स्थलों को वीआर मोड में देखा जा सकता है, इससे शूटिंग स्थल पर रेकी किए बिना भी बहुत हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा, लोकेशन के साथ ही वहां फिल्म निर्माताओं की पूरी जानकारी रहेगी।
प्रणव कुमार ने कहा कि बिहार की जो छवि बनी थी वह काफी पुरानी बात हो गई है। बिहार में सुरक्षा की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बिहार में जिन्होंने शूटिंग की है उन्हें यह बात पता है। उन्होंने कहा कि बिहार की छवि सिनेमा से बदलने की कोशिश नहीं है, बल्कि यहां फिल्म निर्माण की संस्कृत बनाना मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि वैनिटी वैन से लेकर फिल्म निर्माण के लिए सभी जरूरी संसाधन एक ही छत के नीचे लाने की योजना बनाई जा रही है। राजगीर में फिल्म सिटी बनाने की भी योजना है। प्रणव कुमार ने कहा कि सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल बनाने के लिए सीधे बैंक से फाइनांस करने की व्यवस्था करने के साथ ही दूसरे राज्यों के इनोवेटिव आइडिया का भी अध्ययन किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्म नीति लागू होने के बाद हर स्तर पर अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में नए और पुराने जमाने हर तरह की कहानियां हैं।
इम्पा के अध्यक्ष और याशी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और निदेशक अभय सिन्हा ने कहा कि वह अबतक 150 से ज्यादा फिल्म प्रोड्यूस कर चुके हैं, लेकिन उन्हें उतनी खुशी कभी नहीं हुई जितनी बिहार में नई फिल्म नीति आने से हुई है। उन्होंने कहा कि अगले महीने वह बिहार में एक साथ तीन फिल्मों की शूटिंग करने वाले हैं। उन्होंने इम्पा से जुड़े 40 हजार प्रोड्यूसर से बिहार में अपनी अगली फिल्म की शूटिंग करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि बिहार में भी सेंसर बोर्ड का कार्यालय होना चाहिए, ताकि प्रोड्यूसर को सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए मुंबई नहीं जाना पड़े। उन्होंने कहा कि वह बिहार में जल्द ही इम्पा का क्षेत्रिय कार्यालय खोलेंगे, ताकि इसकी सदस्यता लेने के लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं रहे। भोजपुरी एवं अन्य स्थानीय भाषाओं में बनी फिल्म को स्क्रीन मिलने में दिक्कत होने पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में सिंगल स्क्रीन थियेटर में भोजपुरी फिल्म को दिखाया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए, इससे सिनेमा हॉल और प्रोड्यूसर दोनों को फायदा मिलेगा।
पढ़ें: ट्रेन से कटकर युवक की दर्दनाक मौत, जांच में जुटी पुलिस; परिजनों में कोहराम
सीआईडी फेम अभिनेता और फिल्म निर्माता विकास कुमार ने कहा कि वह अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्माता और डायलॉग कोच भी हैं। वह हर तरह से बिहार में शूटिंग करने वाले को मदद करेंगे। एक डायलॉग कोच होने के नाते बाहर के कलाकारों को बिहारी भाषा की कोचिंग देने को तैयार हैं जो बिहारी कैरेक्टर को लेकर फिल्म की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास नीति भी है और अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हम कि बिहार में अगले साल तक नई फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन भवनों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है उसे अस्थायी रूप से सिनेमा हॉल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
अभिनेता विनित कुमार ने कहा कि बिहार में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वह हर समय उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जैसी छवि बनाई गई है वैसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे गांव को तैयार करें, जहां पर शूटिंग के अनुकूल माहौल बनाई जा सके। इससे फिल्म वास्तविकता के और भी करीब आ पाएगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने कहा कि बिहार की पहचान उसकी मातृभाषा से ही हो सकती है। यह पहचान मैथली, भोजपुरी, बज्जिका और मगही से ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि बिहार में हर तरह की फिल्मों की शूटिंग की जा सकती है।
आज बिहार पवेलियन में लापता लेडिज के लेखक बिप्लव गोस्वामी पहुंचे और फिल्म निगम की पूरी टीम से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनकी आने वाली नई फिल्म ‘ये झरना कौन है’ की शूटिंग के लिए बिहार एक बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही बिहार आकर फिल्म की शूटिंग की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
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फिल्म निगम के प्रबंध निदेशक ने कहा कि बिहार लगातार विकसित हो रहा है और उसी कड़ी में नए पहल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में पहले भी शूटिंग होती थी, लेकिन अब उसे एक व्यवस्थित रूप दिया गया है। बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति बनाने से पहले विभिन्न राज्यों और देश की फिल्म नीतियों का अध्ययन किया गया है और सबकी अच्छी बातों को लेने के साथ ही फिल्म निर्माताओं की खास जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है।
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उन्होंने कहा कि बिहार में शूटिंग के लिए प्रोड्यूसर को आकर्षित करने के लिए अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि निर्माताओं की सुविधा के लिए वन विंडो क्लियरेंस रखा गया है। हर जिलों में नोडल अफसर नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नई फिल्म नीति में फिल्म के साथ-साथ वेबसीरीज, टीवी सीरियल और डॉक्यूमेंट्री में भी ये सहूलियतें देने के साथ ही अनुदान की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि बिहार के हर जिले में शूटिंग स्थलों का डेटाबेस बनाया है। जल्द ही इन स्थलों को वीआर मोड में देखा जा सकता है, इससे शूटिंग स्थल पर रेकी किए बिना भी बहुत हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा, लोकेशन के साथ ही वहां फिल्म निर्माताओं की पूरी जानकारी रहेगी।
प्रणव कुमार ने कहा कि बिहार की जो छवि बनी थी वह काफी पुरानी बात हो गई है। बिहार में सुरक्षा की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बिहार में जिन्होंने शूटिंग की है उन्हें यह बात पता है। उन्होंने कहा कि बिहार की छवि सिनेमा से बदलने की कोशिश नहीं है, बल्कि यहां फिल्म निर्माण की संस्कृत बनाना मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि वैनिटी वैन से लेकर फिल्म निर्माण के लिए सभी जरूरी संसाधन एक ही छत के नीचे लाने की योजना बनाई जा रही है। राजगीर में फिल्म सिटी बनाने की भी योजना है। प्रणव कुमार ने कहा कि सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल बनाने के लिए सीधे बैंक से फाइनांस करने की व्यवस्था करने के साथ ही दूसरे राज्यों के इनोवेटिव आइडिया का भी अध्ययन किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्म नीति लागू होने के बाद हर स्तर पर अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में नए और पुराने जमाने हर तरह की कहानियां हैं।
इम्पा के अध्यक्ष और याशी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और निदेशक अभय सिन्हा ने कहा कि वह अबतक 150 से ज्यादा फिल्म प्रोड्यूस कर चुके हैं, लेकिन उन्हें उतनी खुशी कभी नहीं हुई जितनी बिहार में नई फिल्म नीति आने से हुई है। उन्होंने कहा कि अगले महीने वह बिहार में एक साथ तीन फिल्मों की शूटिंग करने वाले हैं। उन्होंने इम्पा से जुड़े 40 हजार प्रोड्यूसर से बिहार में अपनी अगली फिल्म की शूटिंग करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि बिहार में भी सेंसर बोर्ड का कार्यालय होना चाहिए, ताकि प्रोड्यूसर को सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए मुंबई नहीं जाना पड़े। उन्होंने कहा कि वह बिहार में जल्द ही इम्पा का क्षेत्रिय कार्यालय खोलेंगे, ताकि इसकी सदस्यता लेने के लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं रहे। भोजपुरी एवं अन्य स्थानीय भाषाओं में बनी फिल्म को स्क्रीन मिलने में दिक्कत होने पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में सिंगल स्क्रीन थियेटर में भोजपुरी फिल्म को दिखाया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए, इससे सिनेमा हॉल और प्रोड्यूसर दोनों को फायदा मिलेगा।
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सीआईडी फेम अभिनेता और फिल्म निर्माता विकास कुमार ने कहा कि वह अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्माता और डायलॉग कोच भी हैं। वह हर तरह से बिहार में शूटिंग करने वाले को मदद करेंगे। एक डायलॉग कोच होने के नाते बाहर के कलाकारों को बिहारी भाषा की कोचिंग देने को तैयार हैं जो बिहारी कैरेक्टर को लेकर फिल्म की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास नीति भी है और अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हम कि बिहार में अगले साल तक नई फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन भवनों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है उसे अस्थायी रूप से सिनेमा हॉल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
अभिनेता विनित कुमार ने कहा कि बिहार में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वह हर समय उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जैसी छवि बनाई गई है वैसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे गांव को तैयार करें, जहां पर शूटिंग के अनुकूल माहौल बनाई जा सके। इससे फिल्म वास्तविकता के और भी करीब आ पाएगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने कहा कि बिहार की पहचान उसकी मातृभाषा से ही हो सकती है। यह पहचान मैथली, भोजपुरी, बज्जिका और मगही से ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि बिहार में हर तरह की फिल्मों की शूटिंग की जा सकती है।
आज बिहार पवेलियन में लापता लेडिज के लेखक बिप्लव गोस्वामी पहुंचे और फिल्म निगम की पूरी टीम से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनकी आने वाली नई फिल्म ‘ये झरना कौन है’ की शूटिंग के लिए बिहार एक बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही बिहार आकर फिल्म की शूटिंग की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।