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Bihar Election 2025: मुख्य चुनाव आयुक्त बोले- चुनाव बाद SIR का मतलब नहीं था, UID नागरिकता का प्रमाण नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: कृष्ण बल्लभ नारायण Updated Sun, 05 Oct 2025 02:15 PM IST
सार

Election Commission of India : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पटना में संवाददाताओं से बात की। उन्होंने चुनाव और उसके पहले की प्रक्रिया पर बात की।

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Chief Election commissioner announcement on bihar assembly election 2025 blo sir bihar update
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार - फोटो : अमर उजाला
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भोजपुरी में बिहार के मतदाताओं का अभिवादन करते हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पटना में कहा कि जिस तरह हम अपने पर्व-त्योहारों और विशेष रूप से लोक आस्था के महापर्व छठ को मनाते हैं, उसी तरह से बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान को उत्साह के साथ मनाएं। उन्होंने मतदान की तारीखों पर फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन यह जरूर कहा कि 22 नवंबर से पहले चुनाव की पूरी प्रक्रिया संपन्न करा ली जाएगी। 

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SIR पर उठाए सवालों का जवाब दिया मुख्य चुनाव आयुक्त ने
जो प्रत्याशी खड़े हों, वह पोलिंग एजेंट्स जरूर दें। मॉक पोल अपनी आंखों के सामने जरूर देखने कहें। मतदान के खत्म होते समय पोलिंग एजेंट्स फॉर्म 17सी भी ले लें। जिन लोगों को नगर निगम ने मकान का कोई नंबर तय नहीं किया है, वहां एक ही मकान में कई लोगों के नंबर मतदाता सूची में दर्ज होने की आशंका रहती है। क्योंकि, कुछ चिह्नित करने के लिए बीएलओ यह करते हैं। चुनाव के पहले पुनरीक्षण हर बार होता है, इसलिए उसे चुनाव के बाद कराने की मांग का कोई अर्थ नहीं है। बिहार के एसआईआर में दावा-आपत्ति का पूरा अवसर दिया गया। इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने बूथ लेवल एजेंट्स दिए थे। एसआईआर में अब भी समय है कि किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को ऐसा लगता है कि योग्य मतदाता छूट गया है या अयोग्य मतदाता का नाम सूची में है तो वह दावा-आपत्ति कर सकता है। उनके दावे-आपत्ति का निपटारा ईआरओ स्तर से हो जाएगा।
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किन्हें मिलेगा वोटर कार्ड, आधार कार्ड पर क्या बोले CEC?
जिनके वोटर कार्ड के डाटा में कोई परिवर्तन होगा, उन्हें 15 दिनों के अंदर ईपिक मिल जाएगा। वोटर की जांच किस तरह करनी है, उसी के तहत जांच की गई है। जिन लोगों ने मतदाता सूची के लिए नामांकन भरा होगा, वह आधार देने के लिए बाध्य नहीं हैं। चुनाव आयोग, आधार अथॉरिटी के नियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आधार न जन्मतिथि और न ही नागरिकता का प्रमाणपत्र है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो हमने पुनरीक्षण में आधार कार्ड लेने की व्यवस्था दी। संविधान के तहत, मतदाता बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है। वोटर जहां रहता है, उसके आसपास के बूथ का मतदाता हो सकता है। गैर-भारतीय होने के आधार पर कितने नाम कटे, इसपर मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि सभी चिह्नित अयोग्य मतदाताओं का नाम हटाया गया है। इसकी सूची जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के पास भी है और राजनीतिक दलों के पास भी है। 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि एससी 2 और एससी 38 समेत बिहार में 243 सीटें हैं। दो दिनों के इस भ्रमण के पहले भी चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बैठक हो चुकी है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विभिन्न स्तरों पर बैठक कर चुके हैं। मुख्य सचिव, बाकी विभागीय सचिवों और डीजीपी के साथ भी बैठक कर चुके हैं।

पहली बार दिल्ली में ट्रेनिंग, मानदेय बढ़ाया जाना उपलब्धि
मुख्य चुनाव आयुक्त ने जानकारी दी कि बूथ लेवल एजेंट्स की पहली बार चुनाव आयोग ने ट्रेनिंग की। बिहार के सभी बूथ लेवल एजेंट्स- 1 की ट्रेनिंग कुछ माह पहले ही दिल्ली में ट्रेनिंग हुई। उसके बाद बूथ लेवल ऑफिसर्स की ट्रेनिंग हुई। इसके बाद देशभर के 700 बूथ लेवल सुपरवाइजर्स-एजेंट्स की ट्रेनिंग की गई। मतदाता सूची के मामले में विशेष गहन पुनरीक्षण बड़ा टास्क था। सभी मतदाताओं के सहयोग के साथ स-समय यह पूरा हुआ। बूथ लेवल ऑफिसर्स के साथ तमाम अधिकारी, जो इस काम को करते हैं- उनका मानदेय भी बढ़ाया गया। खास तौर पर ARO और AERO को भी मानदेय की व्यवस्था की गई। चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड के 15 दिनों के अंदर मिलने की व्यवस्था की। बीएलओ को मतदाता सुगमता से पहचाने जा सकें, इसके लिए आईडी भी दिए गए।

सभी 90 हजार मतदान केंद्राें पर मोबाइल रखने की व्यवस्था
इस बार बूथ के कमरे के ठीक बाहर मतदाताओं को सभी 90 हजार मतदान केंद्रों पर मोबाइल रखने की व्यवस्था रहेगी। वोटर स्लिप में इस बार बूथ की संख्या और पता बड़े फॉन्ट में रखा जा रहा है, ताकि आसानी से पढ़ा जा सके। चुनाव आयोग ने तकनीक का सहारा बहुत पहले से ले रहा है। 40 एप्लिकेशन थे। उसकी जगह अब वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म- ECINET लाया गया। बिहार चुनाव में यह प्लेटफॉर्म सक्रिय रहेगा। चूंकि 1500 से ज्यादा मतदाताओं वाले मतदान केंद्रों में लंबी भीड़ रहती थी और परेशानी ज्यादा होती थी, इसलिए अब 1200 से ज्यादा किसी भी बूथ पर वोटर नहीं रहेंगे।

100 मीटर के दायरे में अपना स्टॉल लगा सकेंगे प्रत्याशी
कानून के तहत प्रत्याशी मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में भी अपना स्टॉल लगा सकते हैं। अब हर पोलिंग स्टेशन की 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग की व्यवस्था की जा रही है, ताकि किसी को किसी तरह का संशय न रहे। ईवीएम में प्रत्याशियों की तस्वीर रंगीन होगी और उनका सीरियल नंबर भी बड़े फॉन्ट में होगा। पहले जब मतगणना होती थी, उसमें ईवीएम-वीवीपैट को लेकर मिसमैच की आशंका रहती थी। कभी-कभी ऐसा होता था। अब ऐसा न हो, इसलिए मैचिंग कराने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पोस्टल बैलेट की पूरी गिनती के बाद ही अंतिम ईवीएम की गणना होगी। मतगणना के बाद मीडिया को डिजिटल इंडेक्स कार्ड पहले के मुकाबले जल्दी दिखने लगेगा। कुल 17 नए प्रयास चुनाव आयोग बिहार से कर रहा है।

वोटर लिस्ट और चुनाव प्रक्रिया को लेकर बोले सीईसी
भारत में चुनाव संविधान, लोक प्रतिनिधित्व कानून और कानून के तहत होते हैं। भारत का चुनाव और चुनाव आयोग दुनिया की सबसे बड़ी व्यवस्था है। आपने देखा कि मतदान केंद्र स्तर पर बीएलओ, उनके ऊपर निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी होते हैं। मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी 243 ईआरओ और 90127 बीएलओ पर थी। 22 साल बाद यहां विशेष गहन पुनरीक्षण किया। अगर कोई गलत नाम आ जाए या किसी का नाम छूट जाए तो उससे ऊपर डीएम के पास अपील और उससे भी नहीं समाधान निकले तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील का प्रावधान होता है। इसी तरह से जब चुनाव होते हैं तो चुनाव आयोग हर विधानसभा के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर को नियुक्त करता है। वह अपने क्षेत्र में चुनाव कराते हैं और नियमों का पालन कराते हैं। वोटर लिस्ट बनाना और चुनाव कराना, दो अलग काम है। यह दोनों काम करने वाले अधिकारी चुनाव आयोग के निर्देशों पर काम करते हैं। 

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