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बिहार: अवैध शिकार और ध्वनि प्रदूषण से दम तोड़ रहीं गंगा डॉल्फिन, तीन दिन में दो की मौत
अमर उजाला नेटवर्क, पटना
Published by: गुलाम अहमद
Updated Sat, 03 Jun 2023 07:13 AM IST
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सार
विशेषज्ञों का मानना है कि नदी में होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण भी डॉल्फिन का जीवन तनाव में आ रहा है। दिनों-दिन गंगा में स्टीमर और बड़े जहाजों की संख्या बढ़ रही है। इस वजह से एक तो ध्वनि प्रदूषण और दूसरा चोट लगने से होने वाली मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : amar ujala

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विस्तार
मोकामा में औंटा के पास गंगा नदी के तट संगत घाट पर एक डॉल्फिन मृत पाई गई। अधिकारियों के अनुसार पिछले 72 घंटे में डॉल्फिन के मारे जाने की यह दूसरी घटना है। राष्ट्रीय जलीय जीव विज्ञानियों ने इस तरह से डॉल्फिन के मारे जाने पर गहरी चिंता जताई है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध शिकार और नदी के तल को गहरा करने के लिए चल रहे यंत्रीकृत ड्रेजिंग के कारण दोनों गंगा डॉल्फिन मारी गईं। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि नदी में होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण भी डॉल्फिन का जीवन तनाव में आ रहा है। दिनों-दिन गंगा में स्टीमर और बड़े जहाजों की संख्या बढ़ रही है। इस वजह से एक तो ध्वनि प्रदूषण और दूसरा चोट लगने से होने वाली मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है।
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डैम या बैराज निर्माण से भी पड़ा प्रभाव
तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के डॉल्फिन मैन डॉ. सुनील चौधरी कहते हैं कि डॉल्फिन की सबसे अधिक मृत्यु मछुआरों के जाल में फंसकर होती है। डैम या बैराज बनाने से भी यह जीव प्रभावित हुआ है। साथ ही सहायक नदियों में पानी कम होने के कारण गंगा के प्रवाह में कमी आ गई है जो सबसे बड़ा खतरा है। डॉल्फिन को प्रवाह भी चाहिए और नदी की गहराई भी।
स्वच्छ जल की संकेतक...
गंगा नदी की डॉल्फिन दुनियाभर में मीठे पानी की चार डॉल्फिन प्रजातियों में से एक है। अन्य तीन चीन में यांग्त्जी नदी (अब विलुप्त), पाकिस्तान में सिंधु नदी और दक्षिण अमेरिका में अमेजन नदी में पाई जाती हैं। गंगा डॉल्फिन जिन जगहों पर पाई जाती हैं, माना जाता है कि वहां का जल काफी स्वच्छ होता है क्योंकि गंदे पानी में डॉल्फिन नहीं रहती है।
600 आवाजें निकाल सकती है...
प्रकृति ने डॉल्फिन के कंठ को अनोखा बनाया है, जिससे वह विभिन्न प्रकार की करीब 600 आवाजें निकाल सकती हैं। डॉल्फिन सीटी बजाने वाली एकमात्र जीव है। भारत में अनुमानित 3 हजार गंगा डॉल्फिन हैं, जिनमें से करीब आधी डॉल्फिन का घर बिहार है। बिहार में गंगा व उसकी दो सहायक नदियों गंडक व घाघरा के लगभग एक हजार किमी में किए व्यापक सर्वेक्षण के दौरान यह तथ्य सामने आया था।