Congress CWC Meeting : पप्पू यादव को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में मिलेगी जगह? दो बार मंच से उतारे जा चुके
Bihar News : कल राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से पप्पू यादव मिले। कल कोई भी कांग्रेसी दिग्गज पटना पहुंचने के बाद जिधर से भी गुजरे होंगे या आज गुजरेंगे, पप्पू यादव के पोस्टर दिखेंगे। लेकिन, क्या पप्पू यादव को बैठक में जगह मिलेगी?
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दिल्ली जाकर अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कराया। कांग्रेस मुख्यालय में स्वागत तक हुआ। लेकिन, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को बिहार में पार्टी ने अपना सदस्य नहीं माना था। कहा गया था कि वह तो चाय-नाश्ते पर वहां गए थे। लोकसभा चुनाव के पहले की यह हकीकत सामने आई थी। फिर पूर्णिया सीट से निर्दलीय उस गठबंधन के प्रत्याशी के खिलाफ भी लड़े, जिसमें कांग्रेस थी। खुद को कांग्रेसी कहते-कहते थक गए, लेकिन चुनाव भर कांग्रेस ने अपना नहीं माना। कुछ ऐसी ही कहानी पप्पू यादव की आगे भी चली। कांग्रेस के दो बड़े कार्यक्रमों में इस बार पप्पू यादव को मंच तक पहुंचने नहीं दिया गया। एक बार गाड़ी से, दूसरी बार मंच से; चढ़ते-चढ़ते उतार दिया गया। लेकिन, पप्पू यादव हैं कि मानते नहीं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सबसे ज्यादा पोस्टर पप्पू यादव का ही दिख रहा है। तो, क्या वह कांग्रेस में अब शामिल हो जाएंगे- ऑन पेपर?
मिलन समारोह नहीं, लेकिन घोषणाएं होती रहती हैं CWC में
बिहार में पहली बार कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक हो रही है। सीडब्ल्यूसी के तमाम सदस्य इसमें रहेंगे। कांग्रेसी मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, सभी राज्यों के कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता इस बैठक में रहेंगे। इस बैठक के लिए पप्पू यादव की तैयारी देखकर पटना भी कन्फ्यूज है और कांग्रेस नेता भी। बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं। वह भी रहेंगे। उनकी चर्चा इसलिए, क्योंकि पप्पू यादव की बिहार कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के दौरान एंट्री में रोड़ा बनकर वही सामने आए थे।
ऐसे में सवाल है कि क्या पप्पू यादव को सीडब्ल्यूसी की इस बैठक में प्रवेश भी मिलेगा? कांग्रेस के नेता तो साफ-साफ कह रहे- नहीं। वजह यही कि पप्पू यादव कागज पर कांग्रेसी नहीं बन सके हैं। वह खुद को कांग्रेसी बताते हैं, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलकर भी आ चुके हैं, लेकिन इस बैठक में उनकी एंट्री अब तक की जानकारी के हिसाब से 'असंभव' है। यह बैठक मिलन समारोह भी नहीं, लेकिन पप्पू यादव के समर्थक यह दावा भी कर रहे हैं कि बिहार में बैठक हो रही है तो पप्पू यादव को लेकर कुछ घोषणा हो सकती है।
पप्पू के आने से किसे फायदा, किसे नुकसान- समझें
कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में कुछ समय पहले बहुत प्रमुखता से सामने लाया था। फिर पीछे भी उतनी ही तेजी से कर दिया था। कन्हैया कुमार भी कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं। जिस कारण से कन्हैया कुमार पीछे किए गए, वही कारण पप्पू यादव को लेकर भी है। घटनाक्रम भी इनके साथ काफी हद तक मिलताजुलता हुआ है। माना जाता है कि तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में अपने समकक्ष या समानांतर किसी को नहीं चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस गठबंधन की मजबूरी को समझते हुए कन्हैया या पप्पू को बहुत आगे नहीं कर पाती है।
बिहार चुनाव के लिए सीटों पर बात अब तक नहीं बनी है और अगर कांग्रेस गठबंधन में बने रहना चाहती है तो उसे तेजस्वी के हिसाब से काफी हद तक आगे भी चलना होगा। कांग्रेस में पप्पू यादव के बहुत सारे समर्थक नहीं, लेकिन जो विरोधी नहीं; वह यह भी दबी जुबान में कहते हैं कि कांग्रेस को उनके जैसे एक मुखर चेहरे की दरकार है। बिहार में कांग्रेस लंबे समय तक सरकार में रही थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक उदय के साथ ही राज्य में कांग्रेस का नेतृत्व वाला चेहरा गायब हुआ तो कभी कोई उभरा ही नहीं। इस सदी में तो नहीं ही। इसलिए कुछ कांग्रेसी पप्पू यादव को लेकर लोकसभा चुनाव के समय भी समर्थन में थे, जिसका परिणाम पूर्णिया में दिखा भी था।