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RBI का फरमान: डिजिटल पेमेंट में होने जा रहा है बड़ा बदलाव, जानिए क्या है नया नियम

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ‌डिंपल अलवधी Updated Sat, 24 Oct 2020 11:43 AM IST
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RBI norms to payment companies from them issuing new proprietary QR codes
क्यूआर कोड - फोटो : pixabay

देश में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना काल में हर कोई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सुझावों के अनुसार लेनदेन के लिए डिजिटल तरीका अपना रहा है। मौजूदा समय में बड़ी दुकानों से लेकर चाय वालों तक, हर व्यक्ति डिजिटल पेमेंट का सहारा ले रहा है और सभी के पास पेटीएम, गूगल पे जैसे अन्य पेमेंट विकल्प मौजूद हैं, जिसके लिए ग्राहकों को एक क्यूआर कोड को स्कैन करना होता है। लेकिन अब केंद्रीय बैंक ने पेमेंट सिस्टम में बदलाव करने को कहा है। आइए जानते हैं क्या है ये नया नियम और इससे क्या असर पड़ेगा।

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भारतीय रिजर्व बैंक ने पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को नया स्व-अधिकार वाला क्यूआर कोड जारी करने से मना कर दिया है। आरबीआई का कहना है कि स्मार्टफोन्स इस समय देशव्यापी हो गए हैं और ई-पेमेंट्स का आधार क्यूआर बनते जा रहे हैं। आसान शब्दों में समझें, तो पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को एक ऐसे क्यूआर कोड सिस्टम में शिफ्ट करना होगा, जो दूसरे पेमेंट ऑपरेटर्स द्वारा भी स्कैन हो सके। 
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भारत में चलन में हैं तीन क्यूआर कोड
वर्तमान में भारत में तीन क्यूआर कोड चलन में हैं, भारत क्यूआर, यूपीआई क्यूआर और स्व-अधिकार क्यूआर। इनका एक-दूसरे का परिचालन हो सकता है। भारत क्यूआर और यूपीआई क्यूआर इंटर-ऑपरेबल (एक-दूसरे के परिचालन योग्य) हैं, इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी एप इस क्यूआर स्टीकर को पढ़ सकती है।

मार्च 2022 है आखिरी तारीख
अभी यूपीआई क्यूआर और भारत क्यूआर ही चलन में रहेंगे। जो पेमेंट कंपनियां नया क्यूआर कोड लॉन्च करना चाहती हैं तो उन्हें इनमें से एक या दोनों पर परिचालन योग्य तैयार होने के लिए 31 मार्च 2022 तक की मोहलत दी जाती है।

क्यों लिया गया फैसला
इंटर-ऑपरेबिलिटी की वजह से आम लोगों को आसानी होगी और पेमेंट सिस्टम भी पहले की तुलना में बेहतर होगा। आरबीआई ने यह फैसला डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने के लिए लिया है। RBI के इस आदेश के अनुसार, देश में डिजिटल और सुरक्षित लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए यह ड्राफ्ट तैयार किया गया है। रिजर्व बैंक को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि कागज आधारित क्यूआर कोड काफी सस्ता और लागत प्रभावी है, इसमें रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है। दरअसल, ज्यादा इंटर-ऑपरेबल क्यूआर कोड लॉन्च किए जाने की संभावनाओं और अन्य पहलू पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई गई थी। इस समिति के चेयरमैन दीपत फाटक थे। समिति की बैठक के बाद ही रिजर्व बैंक ने फैसला लिया है। 

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