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Supreme Court: क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियामकीय ढांचे की मांग करने वाली याचिका खारिज, अदालत ने दिया यह तर्क
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Wed, 16 Apr 2025 02:22 PM IST
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सार
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा नियामक बनाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी देश भर में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। अदालत ने इस मामले में क्या टिप्पणी की आइए जानते है।

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- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियामक ढांचे की मांग वाली याचिका पर बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा है कि वह इस संबंध में कानून नहीं बना सकता। क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल कर सुरक्षित बनाई जाती है। इससे जालसाजी करना या दोबारा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए विकेन्द्रीकृत नेटवर्क पर मौजूद हैं। यह कंप्यूटरों के एक असमान नेटवर्क पर संचालित और वितरित किया जाता जाता है।
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क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा नियामक बनाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी देश भर में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं।
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वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे पर नियामक ढांचे के लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इसे विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं है। न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, "यह नीति निर्माताओं के अधिकार क्षेत्र में है। हम ऐसा कोई निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं? हम कानून नहीं बना सकते।" पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे पर भारत सरकार के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं।
वकील ने तर्क दिया कि कई याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न पुलिस प्राधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन इस मुद्दे पर कोई नियामकीय नीति मौजूद नहीं है। पीठ ने कहा, "याचिका में की गई प्रार्थनाएं विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में हैं। इसलिए, हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।"
पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहें तो वे उचित प्राधिकारी के समक्ष विचार के लिए अपना अभ्यावेदन दे सकते हैं। पिछले साल जनवरी में, केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने और संबंधित अपराधों की प्रभावी जांच करने के लिए तंत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शीर्ष अदालत ने विभिन्न राज्यों में कथित क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी से जुड़े मामले के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
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