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Crypto Fraud: गेनबिटकॉइन मामले में 60 जगहों पर सीबीआई छापा, क्रिप्टो के नाम पर ₹6600 करोड़ की गडबड़ी के आरोप

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Tue, 25 Feb 2025 07:10 PM IST
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सार

Crypto Fraud: सीबीआई ने 6,600 करोड़ रुपये के गेनबिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की जांच के तहत मंगलवार को देश भर में 60 जगहों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी के अनुसार, दिल्ली एनसीआर, पुणे, चंडीगढ़, नांदेड़, कोल्हापुर और बेंगलुरु सहित कई शहरों में छापेमारी की गई। इस दौरान कथित तौर पर प्रमुख आरोपियों से जुड़े परिसरों की तलाशी ली गई। कैसे की गई गड़बड़ी? आइए जानते हैं पूरा मामला।

CBI conducts searches at 60 locations in Rs 6,600 crore GainBitcoin cryptocurrency scam
आर्थिक अपराध। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

विस्तार
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सीबीआई ने 6,600 करोड़ रुपये के गेनबिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की जांच के तहत मंगलवार को देश भर में 60 जगहों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी ने एक बयान बताया कि दिल्ली एनसीआर, पुणे, चंडीगढ़, नांदेड़, कोल्हापुर और बेंगलुरु सहित कई शहरों में छापेमारी की गई, इस दौरान कथित तौर पर प्रमुख आरोपियों से जुड़े परिसरों की तलाशी ली गई। 

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कैसे की गई क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर गड़बड़ी?

अधिकारियों ने बताया कि www.gainbitcoin.com सहित कई अन्य प्लेटफार्म्स के जरिए किए गए इस पोंजी घोटाले की कथित तौर पर अमित भारद्वाज (अब दिवंगत) और उसके भाई अजय भारद्वाज ने साजिश रची थी। उन्होंने बताया कि 2015 में शुरू किया गया यह अवैध कारोबार वेरिएबलटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से चल रहा था। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि इस योजना के तहत निवेशकों को 18 महीने की अवधि में बिटकॉइन पर प्रति माह 10 प्रतिशत का असाधारण रिटर्न देने का लालच दिया गया और उन्हें बाहरी एक्सचेंजों से डिजिटल मुद्रा खरीदने और "क्लाउड माइनिंग" अनुबंधों के माध्यम से इसे गेन बिटकॉइन में जमा करने के लिए कहा गया। प्रवक्ता ने कहा, "यह मॉडल बहु-स्तरीय विपणन (एमएलएम) के आधार पर काम कर रहा था, जो सामान्यतः पिरामिड जैसी पोंजी योजनाओं से जुड़ा होता है, जहां भुगतान नए निवेशकों को जोड़ने पर निर्भर होता है।"

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बिटकॉइन का झांसा देकर निवेशकों को लगाया गया चूना

शुरुआती दिनों में निवेशकों को बिटकॉइन में भुगतान मिलता था, जिसके कारण लोगों के बीच इसके एक आकर्षक उद्यम होने का भ्रम पैदा होता था। हालांकि, 2017 तक नई पूंजी का प्रवाह कम होने के साथ ही सच सामने आने लगा। बयान में कहा गया है, "घाटे को कवर करने की जुगत, गेनबिटकॉइन ने एकतरफा भुगतान को अपने कथित इन-हाउस क्रिप्टोकरेंसी MCAP में बदल दिया, जिसका मूल्य बिटकॉइन की तुलना में काफी कम था, जिससे निवेशक भ्रमित हो गए।" बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले और इसकी जटिलता के कारण जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक पूरे भारत में कई एफआईआर दर्ज की गईं।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गड़बड़ी की व्यापक प्रकृति और इसके वैश्विक प्रभाव को देखते हुए इसकी जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। सीबीआई के बयान में कहा गया है, "जांच एजेंसी ने इन मामलों को अपने हाथ में ले लिया है और धोखाधड़ी की तह तक जाने, सभी आरोपी पक्षों की पहचान करने और वैश्विक लेनदेन सहित गबन की गई धनराशि का पता लगाने के लिए व्यापक जांच अभियान चलाया जा रहा है।" एजेंसी ने कहा, "तलाशी के दौरान कुछ क्रिप्टो वॉलेट, आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए हैं। ईमेल/क्लाउड में मौजूद साक्ष्य भी जब्त कर लिए गए हैं।"

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