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जानिए, हरियाणा के नए डीजीपी केपी सिंह के बारे में खास बातें
ब्यूरो/अमर उजाला, चंडीगढ़।
Updated Thu, 14 Apr 2016 10:46 AM IST
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प्रदेश के नए डीजीपी की कमान संभालने जा रहे केपी सिंह
- फोटो : file
प्रदेश के नए डीजीपी की कमान संभालने जा रहे केपी सिंह को न तो कॉलेज टाइम में लिखने का शौक रहा और न ही यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उनकी इस विषय में रुचि रही। इसके बावजूद वे हिंदी-अंग्रेजी में 22 पुस्तकें लिख चुके हैं।
1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मूलत: यूपी के सहारनपुर निवासी केपी सिंह ने अपनी सर्विस के सात वर्षों के बाद यानी 1992 में पहली बार कुछ लिखा। उनकी पहली पुस्तक पुलिस ट्रेनिंग और पुलिस प्रोफेशन से संबंधित थीं। बेशक, उन्होंने यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी, लेकिन उसके बाद उन्हें लिखने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ह्यूमन राइट्स में पीएचडी कर चुके डॉ. केपी सिंह बेशक अंग्रेजी के टॉपर रहे, लेकिन जब उन्होंने लिखना शुरू किया तो हिंदी की बारीकियों को समझने में भी उन्हें देर नहीं लगी। वर्ष 1996 में उन्होंने हिंदी में अपनी पहली पुस्तक ‘अर्द्धजन्मी’ लिखी। हरभजनवां के साथ वे ‘आठवां समंदर’ नाम से भी दो पुस्तकें लिखे चुके हैं।
उनके अब तक तीन निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। समानांतर, भावनांतर व निरंतर नामक ये निबंध संग्रह उनके उन लेखों का संग्रह हैं। कानून व्यवस्था पुलिस ट्रेनिंग पर भी उन्होंने पुस्तकें लिखी हैं। पुलिस ट्रेनिंग पर लिखी गयी उनकी पुस्तक ‘हरियाणा पुलिस बेसिक रिक्रूटमेंट कोर्स’ पुलिस की नौकरी करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए मार्गदर्शक के रूप में देखी गई। उनकी पुस्तक ‘ह्यूमन राइट्स एंड स्टेट कस्टडी इन इंडिया’ भी काफी चर्चाओं में रही है।
आईपीएस अफसर केपी सिंह की गिनती हरियाणा के कड़क अधिकारियों में होती है। कई जिलों में एसपी सहित वे पुलिस में अहम पदों पर रहे हैं। वे सीआईडी में भी रह चुके हैं और वर्तमान में डीडी क्राइम के पद पर तैनात हैं। पुलिस राष्ट्रपति पदक से भी उन्हें नवाजा जा चुका है।
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1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मूलत: यूपी के सहारनपुर निवासी केपी सिंह ने अपनी सर्विस के सात वर्षों के बाद यानी 1992 में पहली बार कुछ लिखा। उनकी पहली पुस्तक पुलिस ट्रेनिंग और पुलिस प्रोफेशन से संबंधित थीं। बेशक, उन्होंने यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी, लेकिन उसके बाद उन्हें लिखने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ह्यूमन राइट्स में पीएचडी कर चुके डॉ. केपी सिंह बेशक अंग्रेजी के टॉपर रहे, लेकिन जब उन्होंने लिखना शुरू किया तो हिंदी की बारीकियों को समझने में भी उन्हें देर नहीं लगी। वर्ष 1996 में उन्होंने हिंदी में अपनी पहली पुस्तक ‘अर्द्धजन्मी’ लिखी। हरभजनवां के साथ वे ‘आठवां समंदर’ नाम से भी दो पुस्तकें लिखे चुके हैं।
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उनके अब तक तीन निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। समानांतर, भावनांतर व निरंतर नामक ये निबंध संग्रह उनके उन लेखों का संग्रह हैं। कानून व्यवस्था पुलिस ट्रेनिंग पर भी उन्होंने पुस्तकें लिखी हैं। पुलिस ट्रेनिंग पर लिखी गयी उनकी पुस्तक ‘हरियाणा पुलिस बेसिक रिक्रूटमेंट कोर्स’ पुलिस की नौकरी करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए मार्गदर्शक के रूप में देखी गई। उनकी पुस्तक ‘ह्यूमन राइट्स एंड स्टेट कस्टडी इन इंडिया’ भी काफी चर्चाओं में रही है।
आईपीएस अफसर केपी सिंह की गिनती हरियाणा के कड़क अधिकारियों में होती है। कई जिलों में एसपी सहित वे पुलिस में अहम पदों पर रहे हैं। वे सीआईडी में भी रह चुके हैं और वर्तमान में डीडी क्राइम के पद पर तैनात हैं। पुलिस राष्ट्रपति पदक से भी उन्हें नवाजा जा चुका है।