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जीवन धारा: अपने सपनों को जीना ही सबसे बड़ा रोमांच है

हैल एलरॉड Published by: लव गौर Updated Wed, 03 Dec 2025 06:58 AM IST
सार

जब आप ठान लेते हैं कि अब औसत दर्जा स्वीकार नहीं, डर के आगे रुकना नहीं, अपनी कीमत कम नहीं आंकनी, तभी जीवन में असली बदलाव शुरू होता है।

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greatest adventure is living your dreams
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : freepik.com
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विस्तार
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जब एक बच्चा जन्म लेता है, तो दुनिया उसे जीवन का चमत्कार कहती है, क्योंकि वह सचमुच अनंत संभावनाओं, शुद्ध ऊर्जा और असीम क्षमता का प्रतीक होता है। लेकिन सवाल यह है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, वही लोग, वही समाज, वही माहौल, जो कभी हमें ‘कुछ भी कर सकने वाला’ समझता था, क्यों हमें धीरे-धीरे औसत दर्जे की सीमाओं में धकेल देता है? और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि हम खुद कब अपने भीतर के उस चमत्कार पर भरोसा करना छोड़ देते हैं!
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जब हम छोटे होते हैं, तो हर कोई हमें यह भरोसा दिलाता है कि आप जो चाहें बन सकते हैं, हासिल कर सकते हैं, लेकिन आज, क्या आप वह जीवन जी रहे हैं, जिसके सपने कभी आपने देखे थे? सच कहें तो, हममें से कई लोग रास्ते में किसी मोड़ पर अपने सपनों की चमक खो देते हैं, और ‘कुछ भी संभव है’ की सोच को घटाकर ‘जो मिल जाए, वही ठीक है’ तक सीमित कर लेते हैं।
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ऐसा सोचते ही जीवन का असली चमत्कार खोने लगता है। हम लगातार उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो हमारे वश में हैं ही नहीं, और नतीजा होता है तनाव, भय और बेचैनी। आपका जीवन वहां से बदलना शुरू होता है, जहां आप अपनी शक्ति को पहचानना शुरू कर देते हैं और वह ताकत कहीं और नहीं, बल्कि आपके भीतर ही है। दिन की शुरुआत से अंत तक, केवल एक चीज है, जिस पर आपका पूरा नियंत्रण है और वह आप खुद हैं। आप कैसे सोचते हैं, कैसे बढ़ते हैं, कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, अपने सपनों के लिए कितना समर्पण दिखाते हैं-यह सब आपके हाथ में है। इसलिए सवाल यह नहीं कि आपके पास संसाधन कितने हैं, बल्कि यह है कि आप अपनी क्षमता का कितना और किस तरह से इस्तेमाल करते हैं।

अब समय है स्वयं से ईमानदारी से पूछने का कि क्या आप हर दिन अपने सर्वोत्तम रूप में ढल पाते हैं? क्या आप वह जिंदगी गढ़ रहे हैं, जो आप सचमुच चाहते हैं? या फिर आप अपने जीवन में जिम्मेदारियों, डर, असुरक्षा और नए रास्तों के भय के कारण समझौता कर रहे हैं? याद रखें, समझौता आपकी वास्तविक क्षमता का सबसे बड़ा दुश्मन है। जब आप ठान लेते हैं कि अब औसत दर्जा स्वीकार नहीं, अब डर के आगे रुकना नहीं, अब अपनी कीमत कम नहीं आंकनी, तभी असली बदलाव शुरू होता है।

सबसे बड़ा रोमांच है अपने सपनों की जिंदगी जीना। दुखद यह है कि बहुत कम लोग इस रोमांच तक पहुंचते हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग वही स्वीकार कर लेते हैं, जो जीवन उन्हें देता रहता है। अब समय है हर दिन को उद्देश्य, कृतज्ञता और सकारात्मकता के साथ शुरू करने का और कदम-दर-कदम उस जीवन तक पहुंचने का, जिसे आप चाहते हैं। सफलता वहीं है, जहां आप उसे बनाने का निर्णय लेते हैं।

अपनी शक्ति पहचानें
जीवन उसी क्षण बदलना शुरू होता है, जब आप यह स्वीकार करते हैं कि आपकी सबसे बड़ी शक्ति आपके भीतर है। आप अनंत संभावनाओं के साथ एक चमत्कार के रूप में जन्मे थे। इसलिए औसत दर्जा स्वीकार करना बंद कीजिए। आपका ध्यान ही आपकी दिशा तय करता है। उसे अपने विचारों, निर्णयों, अपनी मेहनत और समर्पण पर लगाइए।
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