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जोशीमठ: एनएचआई की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, ये थी शहर में भू-धंसाव की असली वजह, घरों में इसलिए पड़ी थीं दरारें

अंकित कुमार गर्ग, अमर उजाला, रुड़की Published by: अलका त्यागी Updated Sat, 30 Sep 2023 05:00 AM IST
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सार

भूस्खलन जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान हुआ भूस्खलन अन्य घटनाओं से अलग था, इसमें रात में जोशीमठ के बड़े हिस्से में अचानक भूस्खलन देखा गया।

Uttarakhand News Joshimath Landslide real Reason Big reveal in NHI report
जोशीमठ में तिरछे हुए घर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जोशीमठ में पहाड़ के धंसने के पीछे का कारण अक्तूबर 2021 में आई भारी बारिश और विनाशकारी बाढ़ के बाद जमीन के भीतर जमा हुए 10.66 मिलीयन लीटर पानी के कारण बना हाइड्रोस्टेटिक दबाव था। जो जनवरी 2023 में जमीन के भीतर फूट पड़ा और अपने साथ भीतर से मिट्टी भी बहाकर ले आया। इससे भीतर से पहाड़ में खोखलापन पैदा हुआ धंसने के साथ ही भवनों में कई मीटर चौड़ी दरारें दिखाई देने लगी। पानी ने किस तरह से पहाड़ को खोखला कर आपदा की शक्ल अख्तियार की। इसका खुलासा एनएचआई की रिपोर्ट से हुआ है।

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वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार भूस्खलन जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान हुआ भूस्खलन अन्य घटनाओं से अलग था, इसमें रात में जोशीमठ के बड़े हिस्से में अचानक भूस्खलन देखा गया। जेपी कॉलोनी के बैडमिंटन कोर्ट के पास पानी का तेज बहाव खतरनाक था। आपदा के बाद राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जांच की। जिसकी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपी गई है। रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ की आपदा का कनेक्शन यहां अक्तूबर 2021 में आई विनाशकारी बाढ़ से ताल्लुक रखता है।
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पड़ताल : जोशीमठ में भूधंसाव से ही आई थीं घरों में दरारें, सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

यहां अचानक उफने जेपी कॉलोनी के झरने के डिस्चार्ज डाटा को वैज्ञानिकों ने मापा था। जो 06 जनवरी को 540 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) था। जो कि करीब एक माह बाद दो फरवरी को घटकर 17 एलपीएम हो गया। वैज्ञानिकों ने अक्तूबर 2021 से जनवरी 2023 के बीच प्रवाहित पानी का आकलन किया तो पाया कि इसकी मात्रा जोशीमठ में आपदा के दौरान जमीन से फूटकर बाहर निकले पानी के ही बराबर थी।

सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशीमठ क्षेत्र विशेष रूप से उत्तर की ओर ढलान एक स्लाइडिंग क्षेत्र पर स्थित है, जहां नियमित उपकरणों के साथ मॉनिटरिंग जरूरी है। रिपोर्ट में सेटेलाइट रडार इंटरफेरोमेट्री से निगरानी की वकालत की गई है। इसके अलावा खतरनाक क्षेत्रों की मॉडलिंग एवं वर्गीकरण, खतरे का पूर्वानुमान की व्यवस्था को जरूरी बताया है।

पानी बहने के निशान मिले पर पानी नहीं  

जोशीमठ आपदा के दौरान भौतिक सर्वे किया तो वैज्ञानिकों ने पाया कि नीचे नदी में जाने के लिए पानी के लिए रास्ता साफ बना दिख रहा था, लेकिन उसमें से पानी नहीं बह रहा था। कुछ दूरी तय करने के बाद जोशीमठ गायब हो जाता है। जोशीमठ के पश्चिम क्षेत्र में बारिश या बर्फ पिघलने के लिए पानी के प्रवाह के चैनल नदी तक बने होने चाहिए। जो गायब थे।

जिससे वैज्ञानिकों को यह संकेत मिला कि पानी तीव्र ढलानों के चलते कहीं बीच रास्ते में पहाड़ी के भीतर जा रहा है। पानी के सिग्नेचर जांचने के लिए नमूने लिए गए तो वैज्ञानिकों की आशंका सही साबित हुई। इस दौरान पाया गया कि क्षेत्र में जिस जगह पर 16 झरने चिह्नित किए गए, वहीं पर अधिकांश धंसांव हुआ है।

फिर बंद हो गई पानी की आवाज

जोशीमठ में जनवरी 2023 की आपदा के कुछ माह बाद भी एक घर की दीवार पर कान लगाकर सुनने पर पानी के बहने आवाज आ रही थी। जिस पर एनआईएच के वैज्ञानिकों ने जांच की। जिसमें पाया कि सड़क पर दरार में से जा रहे पानी के बहने के चलते आवाज आ रही थी। जिसे बंद करने के बाद दीवार में से पानी के बहने की आवाज बंद हो गई। वैज्ञानिकों के अनुसार पहाड़ों में पानी के रास्तों की मानटिरिंग और चैनेलाइज्ड किया जाना ही एकामत्र उपाय है।

37 नमूनों में शुद्ध मिला पानी

सर्वे के दौरान जोशीमठ में झरनों, नालों, नदियों और भूजल से जुड़े 37 नमूने एकत्र किए गए। पानी के नमूनों में प्रमुख आयनों और ट्रेस धातुओं के परिणाम सीमा के भीतर पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार पानी शुद्ध पाया गया।
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