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UP: मां का आंचल भी न दे सका सुकून... हालात से घबराए राहुल ने दे दी जान; सुसाइड से पहले व्यापारी ने कहे ये शब्द
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Thu, 20 Nov 2025 03:11 PM IST
सार
गोरखपुर में सराफा व्यापारी ने आत्महत्या कर ली। आत्मघाती कदम उठाने से कुछ घंटे पहले व्यापारी अपनी मां के पास गया था, उनका हाल पूछा था। वहीं, व्यापारी के कक्षा छह में पढ़ने वाले बेटे ने कई खुलासे किए हैं।
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gorakhpur suicide
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सोने-चांदी के काम में मंदी, बढ़ता कर्ज और पारिवारिक तनाव। इन सबके बीच घिरकर गोरखपुर के पीपीगंज के वार्ड नंबर दो निवासी राहुल वर्मा (40) ने आत्महत्या कर ली। आत्मघाती कदम उठाने से कुछ घंटे पहले वह अपनी मां के पास गया था, उनका हाल पूछा था।
मां को क्या पता था कि बेटे से यह आखिरी मुलाकात है। राहुल ने कहा था कोई बात नहीं मां, परेशान मत होना सब ठीक हो जाएगा। अगली सुबह वह दुनिया छोड़ चुका था, घटना से पूरा मोहल्ला सन्न है और परिवार बदहवास।
परिजनों का कहना है कि राहुल कई महीने से आर्थिक तनाव में था और सोशल मीडिया पर भी अपनी बेचैनी जाहिर करता था। बड़े भाई राजू वर्मा ने बताया कि राहुल और उनके पिता गांव-गांव जाकर सोने-चांदी के जेवर खरीदने-बेचने का काम करते थे।
समय के साथ सोने-चांदी के बढ़ते दाम के चलते व्यवसाय भी लगभग ठप हो गया था। धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई। कर्ज भी बढ़ गया था। डर लगता था कि राहुल कहीं गलत कदम न उठा ले। हमने जमीन बेचकर करीब पांच लाख रुपये कर्ज चुकाया भी, फिर भी वह टूटता गया।
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मां को क्या पता था कि बेटे से यह आखिरी मुलाकात है। राहुल ने कहा था कोई बात नहीं मां, परेशान मत होना सब ठीक हो जाएगा। अगली सुबह वह दुनिया छोड़ चुका था, घटना से पूरा मोहल्ला सन्न है और परिवार बदहवास।
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परिजनों का कहना है कि राहुल कई महीने से आर्थिक तनाव में था और सोशल मीडिया पर भी अपनी बेचैनी जाहिर करता था। बड़े भाई राजू वर्मा ने बताया कि राहुल और उनके पिता गांव-गांव जाकर सोने-चांदी के जेवर खरीदने-बेचने का काम करते थे।
समय के साथ सोने-चांदी के बढ़ते दाम के चलते व्यवसाय भी लगभग ठप हो गया था। धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई। कर्ज भी बढ़ गया था। डर लगता था कि राहुल कहीं गलत कदम न उठा ले। हमने जमीन बेचकर करीब पांच लाख रुपये कर्ज चुकाया भी, फिर भी वह टूटता गया।
इधर, घरेलू तकरार की बातें भी अक्सर सामने आतीं थीं। वह डिप्रेशन में रहने लगा था। वह अक्सर सोशल मीडिया पर दिल की बातें शेयर करता था। इसमें वह सुसाइड का जिक्र भी करता था। इसके चलते पूरा परिवार परेशान रहता था। सोमवार शाम को भी वह घर आया था। मां से बातचीत कर लौट गया था।
पत्नी माया और पड़ोसियों के बयान दर्ज किए
अगले दिन उसके सुसाइड की सूचना आई। बुधवार को पुलिस सराफा व्यवसायी के घर पहुंची जहां पत्नी माया और पड़ोसियों के बयान दर्ज किए। पीपीगंज थाना प्रभारी अरुण सिंह ने बताया कि परिजनों और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अगले दिन उसके सुसाइड की सूचना आई। बुधवार को पुलिस सराफा व्यवसायी के घर पहुंची जहां पत्नी माया और पड़ोसियों के बयान दर्ज किए। पीपीगंज थाना प्रभारी अरुण सिंह ने बताया कि परिजनों और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पत्नी का आरोप, शराब पीकर करते थे झगड़ा
राहुल की पत्नी माया परतावल में संविदा शिक्षक है। माया ने बताया कि राहुल रात दो बजे तक उसके पास था। सुबह दूसरे कमरे में फंदे से लटका राहुल का शव मिला। वह शराब पीकर झगड़ा करता था और मुझसे नौकरी छोड़ने के लिए कहता था। पत्नी के मुताबिक राहुल जून से उसे स्कूल नहीं पहुंचा रहा था जिससे वह महीनों से ड्यूटी नहीं जा सकीं।
राहुल की पत्नी माया परतावल में संविदा शिक्षक है। माया ने बताया कि राहुल रात दो बजे तक उसके पास था। सुबह दूसरे कमरे में फंदे से लटका राहुल का शव मिला। वह शराब पीकर झगड़ा करता था और मुझसे नौकरी छोड़ने के लिए कहता था। पत्नी के मुताबिक राहुल जून से उसे स्कूल नहीं पहुंचा रहा था जिससे वह महीनों से ड्यूटी नहीं जा सकीं।
पापा अक्सर मिलने आते थे स्कूल
राहुल के 6वीं में पढ़ने वाले बेटे हर्ष ने कहा कि पापा मुझे बहुत प्यार करते थे। हर हफ्ते स्कूल में मिलने आते थे। कभी-कभी मम्मी-पापा में झगड़ा होता था।
राहुल के 6वीं में पढ़ने वाले बेटे हर्ष ने कहा कि पापा मुझे बहुत प्यार करते थे। हर हफ्ते स्कूल में मिलने आते थे। कभी-कभी मम्मी-पापा में झगड़ा होता था।
परिवार एक नियामक संस्था है जिसका मूलभूत आधार ‘अंतरनिर्भरता’ है। टेक्नोलॉजी से संबंधों में उपस्थित भावनात्मकता उपेक्षित हुई है। व्यक्तित्व-निर्माण, पारिवारिक मूल्यों और प्रतिमानों की जगह प्रौद्योगिकी निर्देशित ताकतों से हो रहा है। इसके साथ ही उपभोक्तावादी संस्कृति, पारंपरिक मूल्यों के क्षरण तथा बढ़ती हुई व्यक्तिवादिता ने पारिवारिक बंधनों को कमजोर किया है। परिणामस्वरूप लोगों में हताशा एवं अवसाद में वृद्धि हुई है और इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। -डॉ. दीपेंद्र मोहन सिंह, समाजशास्त्र, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
राहुल के व्यवहार में क्लासिक चेतावनी संकेत दिखाई दे रहे थे। वह मदद मांग रहा था, उसके संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए था। सोशल मीडिया पर आत्महत्या का जिक्र करना। अचानक घरवालों से मिलकर भावुक बातें करना। ये सभी संकेत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि वह मानसिक रूप से संकट में था। अगर ऐसे संकेत दिखें तो तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। समय पर काउंसलिंग, दवाओं और परिवार के सहयोग से ऐसी जानें बचाई जा सकती थीं।- आकृति पांडेय, मनोचिकित्सक, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय