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सलाह: बुखार के मरीज इन आठ दवाओं का न करें इस्तेमाल, दिक्कत होने पर डॉक्टर को दिखाएं
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर।
Published by: गोरखपुर ब्यूरो
Updated Mon, 20 Sep 2021 10:26 AM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
गोरखपुर जिले में कोल्ड, फ्लू और सीजनल एलर्जी के मरीज लगातार मिल रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि इन तीनों बीमारियों से घबराने की जरूरत नहीं है। कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए वायरल फीवर से भी बचा जा सकता है। वहीं विभाग ने आठ दवाओं का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। यह भी कहा है कि किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर डॉक्टर को दिखाएं। सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि एस्प्रिन, डिस्प्रिन, आइबूप्रोफेन, डिकलोफेनक, एसीक्लोफेने, निमुसिलाइड व काट्रीसोन या स्टेरायड का इस्तेमाल बुखार में न करें। चिकित्सक की सलाह पर ही दवाएं लें।
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डॉ. राजेश कुमार।
- फोटो : अमर उजाला।
डॉ. राजेश ने कहा कि वायरस दो प्रकार के होते हैं। एक कोल्ड वायरस और दूसरा हॉट वायरस। इस मौसम में संक्रामक बीमारियां बढ़ती हैं। इस बुखार का वायरस एक रिसपाइरेट्री वायरस है। यदि कोविड प्रोटोकाल का सही से पालन करें तो इस तरह की बीमारियों को रोकने में सफल हो सकते हैं। इसलिए सावधान रहें और बहुत आवश्यक स्थिति में ही बाहर निकलें। बुखार, कमजोरी जैसी शरीर में कोई भी समस्या आने पर घबराएं नहीं, चिकित्सक से संपर्क करें।
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सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय।
- फोटो : अमर उजाला।
32 हजार से अधिक मरीज मिले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में
सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में 32 हजार से अधिक मरीज मिल चुके हैं। 50 प्रतिशत मरीजों में कोल्ड, फ्लू और सीजनल एलर्जी के मरीज हैं। 30 प्रतिशत मरीज चर्म रोग के हैं। 20 प्रतिशत मरीजों में कोल्ड, डायरिया जैसे लक्षण मिले हैं। सभी को दवाएं दी गईं हैं।
सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में 32 हजार से अधिक मरीज मिल चुके हैं। 50 प्रतिशत मरीजों में कोल्ड, फ्लू और सीजनल एलर्जी के मरीज हैं। 30 प्रतिशत मरीज चर्म रोग के हैं। 20 प्रतिशत मरीजों में कोल्ड, डायरिया जैसे लक्षण मिले हैं। सभी को दवाएं दी गईं हैं।
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Pixabay
कोल्ड वायरस के लक्षण
कोल्ड होने पर मानव शरीर आमतौर पर खुद उसे नियंत्रित कर लेता है। लेकिन इसमें 7 से 10 दिन का समय लगता है। इसलिए अपनी खुराक के माध्यम से शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजें दें। नाक बहना या नाक का बंद होना, हल्की खांसी होना, हल्की थकान रहना, छींके आना, आंखों से पानी आना, गले में सूजन या खराश होना, कभी-कभी सिरदर्द होना भी कोल्ड के सामान्य लक्षण हैं।
कोल्ड होने पर मानव शरीर आमतौर पर खुद उसे नियंत्रित कर लेता है। लेकिन इसमें 7 से 10 दिन का समय लगता है। इसलिए अपनी खुराक के माध्यम से शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजें दें। नाक बहना या नाक का बंद होना, हल्की खांसी होना, हल्की थकान रहना, छींके आना, आंखों से पानी आना, गले में सूजन या खराश होना, कभी-कभी सिरदर्द होना भी कोल्ड के सामान्य लक्षण हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Pixabay
फ्लू के लक्षण
मौजूदा समय में फ्लू ने सबसे अधिक लोगों को परेशान कर रखा है। फ्लू बहुत तेजी से फैलता है। इसे इंफ्लूएंजा भी कहते हैं। फ्लू का वायरस नाक, गले और फेफड़ों को चपेट में लेता है। इसे ठीक होने में 5 से 7 दिन का समय लगता है। इसमें बुखार होता है, ठंड लगती है, आमतौर पर सूखी खांसी होती है। हर समय थकान बनी रहती है, शरीर में लगातार दर्द रहता है। नाक बंद रहती या लगातार बहती है। गले में खराश और दर्द डायरिया होता है।
मौजूदा समय में फ्लू ने सबसे अधिक लोगों को परेशान कर रखा है। फ्लू बहुत तेजी से फैलता है। इसे इंफ्लूएंजा भी कहते हैं। फ्लू का वायरस नाक, गले और फेफड़ों को चपेट में लेता है। इसे ठीक होने में 5 से 7 दिन का समय लगता है। इसमें बुखार होता है, ठंड लगती है, आमतौर पर सूखी खांसी होती है। हर समय थकान बनी रहती है, शरीर में लगातार दर्द रहता है। नाक बंद रहती या लगातार बहती है। गले में खराश और दर्द डायरिया होता है।