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Gorakhpur News: दरोगाओं की वरिष्ठता सही करने को एसपी ऑफिस को सौंपी जिम्मेदारी, SSP हुए सख्त
अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Mon, 19 Feb 2024 01:46 PM IST
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सार
2015 बैच के दरोगाओं की नवंबर 2015 से ट्रेनिंग शुरू हुई थी। उन्होंने नवंबर 2015 को ट्रेनिंग के लिए आमद किया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वर्ष 2017 में उन्हें जिला आवंटित हुआ और अगस्त 2017 को 195 दारोगा गोरखपुर में ज्वाइन किए, लेकिन बाबुओं ने इन दारोगाओं का पीएनओ नंबर 2017 का आवंटित कर दिया।

सांकेतिक तस्वीर।
- फोटो : iStock

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विस्तार
दरोगाओं के पीएनओ गड़बड़ी मामले में एक बार फिर पुलिस ऑफिस के कुछ बाबुओं ने अफसरों को गुमराह करने की कोशिश की। वे अपनी गर्दन बचाने के लिए नए पीएनओ के लिए दरोगाओं को एसपी टेक्निकल सर्विसेज लखनऊ जाने की सलाह दे रहे हैं।
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उनका कहना है कि पीएनओ वहीं से जारी होता है। लेकिन, एसएसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी ऑफिस को जिम्मेदारी सौंप दी है। एसएसपी का कहना है कि पहले जो भी गड़बड़ी हुई, उसे अब हर हाल में ठीक किया जाएगा।
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जानकारी के मुताबिक, 2015 बैच के दरोगाओं की नवंबर 2015 से ट्रेनिंग शुरू हुई थी। उन्होंने नवंबर 2015 को ट्रेनिंग के लिए आमद किया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वर्ष 2017 में उन्हें जिला आवंटित हुआ और अगस्त 2017 को 195 दारोगा गोरखपुर में ज्वाइन किए, लेकिन बाबुओं ने इन दारोगाओं का पीएनओ नंबर 2017 का आवंटित कर दिया। यानी उन्हें 2017 बैच का दरोगा बना दिया। जबकि, अन्य जिलों में आमद करने वाले दरोगाओं को 2017 बैच जारी हुआ।
वहीं, इसी तरह 2017 बैच के 109 दरोगाओं ने 2017 में ट्रेनिंग की, लेकिन जिन लोगों ने ट्रेनिंग पूरी कर अन्य जिलों में आमद किया, उन्हें 2017 बैच मिला और जिन लोगों ने गोरखपुर जिले में आमद किया, उन्हें 2018 बैच का पीएनओ जारी कर दिया गया।
बाबुओं की मनमानी की वजह से गोरखपुर में आज तक उसमें संशोधन नहीं हो सका। ऐसे में सर्विस बुक में 2015 बैच के दरोगा दो साल तो 2017 बैच के दरोगा एक साल जूनियर हो गए। अब गोरखपुर की गलती सामने आने के बाद इन इन दरोगाओं के करीब सात साल बाद जूनियर होने के दंश से बाहर निकलने का मौका मिल रहा है।
कुछ पुलिस अफसरों और बाबुओं के शिकार हुए अयोध्या जिले में नियुक्त एक दरोगा को जब कहीं से राहत नहीं मिली तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दरोगा ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में अपील दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने जब पुलिस मुख्यालय से जवाब मांगा तो उसके बाद अफसरों ने समीक्षा शुरू की।
बाबुओं की मनमानी की वजह से गोरखपुर में आज तक उसमें संशोधन नहीं हो सका। ऐसे में सर्विस बुक में 2015 बैच के दरोगा दो साल तो 2017 बैच के दरोगा एक साल जूनियर हो गए। अब गोरखपुर की गलती सामने आने के बाद इन इन दरोगाओं के करीब सात साल बाद जूनियर होने के दंश से बाहर निकलने का मौका मिल रहा है।
कुछ पुलिस अफसरों और बाबुओं के शिकार हुए अयोध्या जिले में नियुक्त एक दरोगा को जब कहीं से राहत नहीं मिली तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दरोगा ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में अपील दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने जब पुलिस मुख्यालय से जवाब मांगा तो उसके बाद अफसरों ने समीक्षा शुरू की।