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UP: पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी के प्लॉट पर संजय सिंह ने बनाई लोहे की फैक्टरी; किराए पर चलता था कारखाना

अमर उजाला नेटवर्क, देवरिया Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 12 Dec 2025 03:34 PM IST
सार

गोरखपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में रामजनक शर्मा से पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने प्लॉट को खरीदा था। औद्योगिक क्षेत्र में दिन भर प्लॉट नंबर बी-2 की चर्चा होती रही। 

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Sanjay Singh built an iron factory on the plot owned by the wife of former IPS officer Amitabh Thakur.
कोर्ट रुम के अंदर अमिताभ ठाकुर - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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देवरिया में आद्यौगिक क्षेत्र के जिस बी-2 नंबर के प्लॉट को नूतन ठाकुर ने खरीदा था, वह उस समय खाली था। प्लॉट का आवंटन लेने वाले रामजनक शर्मा इसे सरेंडर करने के लिए उद्योग विभाग का चक्कर लगा रहे थे। वहीं नूतन ठाकुर ने भी तीन साल बाद ही इसे सरेंडर करने के लिए विभाग को मौखिक सूचना दी थी। 
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इसके बाद साल 2003 में नूतन ठाकुर ने 618 वर्ग मीटर के इस प्लॉट शराब कारोबारी संजय सिंह को बेच दिया था। संजय सिंह उस समय इसी इलाके में किराए की जमीन पर एक फैक्टरी संचालित कर रहे थे। जमीन मिलने के बाद उन्होंने पक्का निर्माण कराकर अपना कारखाना स्थापित किया। करीब पांच साल पहले यह मामला चर्चा में आया था।
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नब्बे के दशक में हर जिला मुख्यालय और बड़े कस्बों में उद्योग विभाग की तरफ से इंडस्ट्रियल एस्टेट बनवाया गया था। देवरिया में भी पूरवा चौराहे के पास इस क्षेत्र के लिए जमीन आवंटित हुई थी। इस क्षेत्र में कुछ बड़ी फर्मों ने अपने कारखाने लगाने के लिए जमीन आवंटित कराई थी। 

इन प्लॉटों के बीच एक बड़ा पार्क है, जिसके दूसरी तरफ उपायुक्त उद्योग का दफ्तर है। इस पार्क के सामने ही प्लॉट नंबर बी-2 है। यह प्लॉट नूतन ठाकुर के नाम से गलत तरीके से आवंटित करने का मुद्दा पांच साल पहले उठा था। तब विभाग ने जांच कराई तो यह बात सामने आई कि जिले से पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर का ट्रांसफर होने के बाद पत्नी नूतन ठाकुर ने प्लॉट सरेंडर करने के लिए उद्योग विभाग को मौखिक सूचना दे दी थी।
 


उस समय संजय सिंह भी लोहे का छोटा कारखाना चलाते थे। वह कारखाना किराए की जमीन पर था। संजय सिंह ने भी प्लॉट के लिए विभाग में संपर्क किया तो जमीन उपलब्ध होने पर आवंटन का आश्वासन मिला था। इसी बीच उन्हें किसी ने बताया कि पार्क के सामने स्थित बी-2 को नूतन ठाकुर सरेंडर करने वाली हैं। 

विभागीय नियमों के अनुसार प्लॉट सरेंडर होने पर उसे दोबारा आवंटन के लिए लॉटरी या फिर वरियता क्रम को आधार बनाया जाता। इसमें प्लॉट किसी दूसरे को भी मिलने की संभावना होती। इससे बचने के लिए नूतन ठाकुर और संजय सिंह के बीच ही विभागीय लोगों ने हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरा करा दिया। पूर्व आईपीएल अमिताभ ठाकुर मार्च 1998 से मार्च 2000 तक देवरिया के एसपी रहे थे।
 

प्लॉट पर अपनी फर्म का नाम आने के बाद संजय सिंह ने वहां पहले टिनशेड और फिर पक्का निर्माण करा लिया। किराए पर चल रहे कारखाने को भी इसमें शिफ्ट कर दिया। हालांकि वर्ष 2010 आते-आते संजय सिंह का खुद का कारोबार दिल्ली शिफ्ट हो गया और इसी के साथ प्लॉट नंबर बी-2 पर लगा कारखाना भी अधिकतर बंद रहने लगा। इस संबंध में उपायुक्त उद्योग एस. सिद्दकी ने कहा कि मामले से जुड़ी जो भी जानकारी मांगी गई थी, वह सब उपलब्ध करा दिया गया है।
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