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Gorakhpur News: काठमांडू से गांजा लोड कर सोनौली बॉर्डर के रास्ते यूपी में लाते हैं तस्कर
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नेपाल से हाजीपुर तक फैला है गांजा तस्करी का मजबूत रूट, एसटीएफ की जांच में बड़ा पर्दाफाश
पहले भी कई बार पकड़ी जा चुकी है खेप, यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में भेजा जाता है गांजा
पकड़े गए तस्करों के जरिये नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी एसटीएफ
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। नेपाल से यूपी और बिहार तक फैला गांजा तस्करी का नेटवर्क एक बार फिर सक्रिय मिला है। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि तस्कर नेपाल के काठमांडू क्षेत्र से भारी मात्रा में गांजा लोड कर उसे सोनौली बॉर्डर के रास्ते यूपी में दाखिल कराते थे। यहां से गोरखपुर मार्ग के जरिये गांजा लदे वाहन को देवरिया की तरफ मोड़ा जाता था। फिर बिहार के हाजीपुर में खेप उतारी जाती थी। पकड़े गए तस्करों ने एसटीएफ को बताया है कि इसी रूट से कई बार तस्करी की बड़ी खेप भेजी जा चुकी है।
तस्कर लंबे रूट के लिए दूर-दराज के राज्यों के वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल करते हैं ताकि संदेह न हो। वाहन में सामान्य माल दिखाकर उसे हाईवे पर नियमित परिवहन वाहन की तरह चलाया जाता था। कई बार तो वे वाहन को खाली दिखाने या उसमें खास प्रोडक्ट पैकेजिंग डालकर चेकिंग को भटकाने में सफल रहे। जांच एजेंसियों का अंदेशा है कि यह नेटवर्क केवल यूपी-बिहार ही नहीं बल्कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तक गांजा की सप्लाई करता है।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के दौरान पकड़े गए तस्करों ने स्वीकार किया कि तस्करी की गतिविधियां लंबे समय से लगातार चल रही थीं। बताया कि नेपाल में मौजूद सप्लायर खेप तैयार कर काठमांडू से भेजता था। वहीं, भारत में प्रवेश करते ही तस्करों की दूसरी टीम उसे संभाल लेती और आगे गंतव्य तक पहुंचाती। इस दौरान वे बॉर्डर से बचने के लिए कई बार रात के समय, भीड़-भाड़ वाले मार्गों या वैकल्पिक ग्रामीण सड़कों का भी इस्तेमाल करते थे।
सीमा चौकी पर सतही जांच होने के कारण आसानी से निकल जाता हैं कंटेनर
तस्करों के बयान के बाद यह भी सामने आया कि सीमा चौकी पर कई बार सतही जांच होने के कारण कंटेनर आसानी से निकल जाते थे। इसके अलावा हाईवे पर तैनात चेकिंग पॉइंट भी रूट बदलकर पार किए जाते थे। इस पूरे ऑपरेशन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए तस्कर विभिन्न जिलों में मौजूद नेटवर्क का सहारा लेते थे, जो खिलाड़ियों की तरह हर बार नई रणनीति बनाकर तस्करी को अंजाम देते रहे।
मोबाइल की कॉल डिटेल और वित्तीय ट्रांजेक्शन खंगाल रही टीम
सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ अब पकड़े गए तस्करों के मोबाइल, कॉल डिटेल, वित्तीय ट्रांजेक्शन और लोकेशन हिस्ट्री के आधार पर नेटवर्क के अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है। एजेंसियां यह पता करने की कोशिश कर रही हैं कि खेप किन-किन राज्यों तक भेजी जाती थी और इस रैकेट में कितने लोग सक्रिय हैं। टीम का दावा है कि पकड़े गए तस्करों से मिली जानकारी के आधार पर नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की तैयारी चल रही है। आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।
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पहले भी कई बार पकड़ी जा चुकी है खेप, यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में भेजा जाता है गांजा
पकड़े गए तस्करों के जरिये नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी एसटीएफ
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। नेपाल से यूपी और बिहार तक फैला गांजा तस्करी का नेटवर्क एक बार फिर सक्रिय मिला है। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि तस्कर नेपाल के काठमांडू क्षेत्र से भारी मात्रा में गांजा लोड कर उसे सोनौली बॉर्डर के रास्ते यूपी में दाखिल कराते थे। यहां से गोरखपुर मार्ग के जरिये गांजा लदे वाहन को देवरिया की तरफ मोड़ा जाता था। फिर बिहार के हाजीपुर में खेप उतारी जाती थी। पकड़े गए तस्करों ने एसटीएफ को बताया है कि इसी रूट से कई बार तस्करी की बड़ी खेप भेजी जा चुकी है।
तस्कर लंबे रूट के लिए दूर-दराज के राज्यों के वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल करते हैं ताकि संदेह न हो। वाहन में सामान्य माल दिखाकर उसे हाईवे पर नियमित परिवहन वाहन की तरह चलाया जाता था। कई बार तो वे वाहन को खाली दिखाने या उसमें खास प्रोडक्ट पैकेजिंग डालकर चेकिंग को भटकाने में सफल रहे। जांच एजेंसियों का अंदेशा है कि यह नेटवर्क केवल यूपी-बिहार ही नहीं बल्कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तक गांजा की सप्लाई करता है।
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एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के दौरान पकड़े गए तस्करों ने स्वीकार किया कि तस्करी की गतिविधियां लंबे समय से लगातार चल रही थीं। बताया कि नेपाल में मौजूद सप्लायर खेप तैयार कर काठमांडू से भेजता था। वहीं, भारत में प्रवेश करते ही तस्करों की दूसरी टीम उसे संभाल लेती और आगे गंतव्य तक पहुंचाती। इस दौरान वे बॉर्डर से बचने के लिए कई बार रात के समय, भीड़-भाड़ वाले मार्गों या वैकल्पिक ग्रामीण सड़कों का भी इस्तेमाल करते थे।
सीमा चौकी पर सतही जांच होने के कारण आसानी से निकल जाता हैं कंटेनर
तस्करों के बयान के बाद यह भी सामने आया कि सीमा चौकी पर कई बार सतही जांच होने के कारण कंटेनर आसानी से निकल जाते थे। इसके अलावा हाईवे पर तैनात चेकिंग पॉइंट भी रूट बदलकर पार किए जाते थे। इस पूरे ऑपरेशन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए तस्कर विभिन्न जिलों में मौजूद नेटवर्क का सहारा लेते थे, जो खिलाड़ियों की तरह हर बार नई रणनीति बनाकर तस्करी को अंजाम देते रहे।
मोबाइल की कॉल डिटेल और वित्तीय ट्रांजेक्शन खंगाल रही टीम
सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ अब पकड़े गए तस्करों के मोबाइल, कॉल डिटेल, वित्तीय ट्रांजेक्शन और लोकेशन हिस्ट्री के आधार पर नेटवर्क के अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है। एजेंसियां यह पता करने की कोशिश कर रही हैं कि खेप किन-किन राज्यों तक भेजी जाती थी और इस रैकेट में कितने लोग सक्रिय हैं। टीम का दावा है कि पकड़े गए तस्करों से मिली जानकारी के आधार पर नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की तैयारी चल रही है। आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।